“जेडी वेंस भारत में : एक संभावित अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार की सांस्कृतिक और रणनीतिक यात्रा”

रिपब्लिकन पार्टी के लोकप्रिय चेहरे और ‘हिलबिली एलेगी’ के लेखक, सीनेटर जेडी वेंस की भारत यात्रा सिर्फ एक राजनयिक औपचारिकता नहीं थी—बल्कि यह एक रणनीतिक संकेत, सांस्कृतिक जुड़ाव और संभावित राष्ट्रपति उम्मीदवार की विदेश नीति का परिचय भी थी।

प्रस्तावना : अमेरिका से भारत तक एक नई कहानी

अमेरिकी राजनीति में आजकल जिस नाम की सबसे ज़्यादा चर्चा हो रही है, वह हैं जेम्स डेविड वेंस—जिन्हें दुनिया जेडी वेंस के नाम से जानती है। 2022 में ओहायो से सीनेटर बने वेंस को डोनाल्ड ट्रंप का उत्तराधिकारी और रिपब्लिकन पार्टी के भविष्य के सितारे के रूप में देखा जा रहा है। हाल ही में उनकी भारत यात्रा ने सिर्फ राजनयिक गलियारों में हलचल मचाई बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी सुर्खियाँ बटोरीं।

उनकी यह यात्रा ऐसे समय हुई जब भारत-अमेरिका संबंधों में ‘स्ट्रैटेजिक इंटिमेसी’ यानी रणनीतिक निकटता के नए आयाम गढ़े जा रहे हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नज़दीक हैं, और ट्रंप कैंप के कई प्रभावशाली नेता अब सीधे भारत से जुड़ाव बना रहे हैं—यह कोई संयोग नहीं बल्कि एक ठोस रणनीति का हिस्सा है।

पहचान : एक ‘हिलबिली’ का उभार

जेडी वेंस की कहानी हॉलिवुड की किसी स्क्रिप्ट से कम नहीं। ओहायो की पहाड़ी बस्तियों से उठकर, येल लॉ स्कूल से पढ़ाई, फिर एक बेस्टसेलिंग किताब ‘Hillbilly Elegy’—और आज अमेरिकी सीनेट के एक सशक्त नेता। इस किताब में उन्होंने अमेरिकी मिडवेस्ट और वर्किंग क्लास की तकलीफ़ों और संस्कृति का चित्रण किया, जिसने उन्हें न केवल एक लेखक के रूप में बल्कि एक विचारशील राजनीतिज्ञ के रूप में स्थापित किया।

ट्रम्प युग के बाद रिपब्लिकन पार्टी दो भागों में बंटी दिख रही है—एक पारंपरिक कंजरवेटिव और दूसरा ट्रंपवादी। वेंस बड़ी सफाई से इन दोनों के बीच पुल बनते नज़र आ रहे हैं। वे ट्रंप के आलोचक से समर्थक बने और अब संभवत: उपराष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार भी बन सकते हैं।

भारत यात्रा : औपचारिकता नहीं, संकेतों से भरी सियासत

मार्च 2025 में जब जेडी वेंस भारत पहुँचे, तो इस यात्रा को “आगामी नेतृत्व के रिश्तों की बुनियाद” के रूप में देखा गया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। उनकी बातचीत में मुख्य विषय थे:

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती चुनौती

तकनीकी और रक्षा क्षेत्र में सहयोग

भारतीय-अमेरिकी समुदाय की भूमिका

वैक्सीन डिप्लोमेसी और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर

हालाँकि यह यात्रा औपचारिक रूप से एक “सिनेटर डेलीगेशन विज़िट” थी, लेकिन इसके हर पल में राष्ट्रपति पद की संभावित तैयारी झलक रही थी। उनके वक्तव्यों से यह स्पष्ट था कि वे भारत को केवल एक रणनीतिक भागीदार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और वैचारिक साझेदार मानते हैं।

नरेंद्र मोदी से मुलाकात : दो विचारधाराओं की संगति?

वेंस की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात सिर्फ औपचारिक नहीं रही। इस मुलाकात में साझा विचारधाराओं की भी प्रतिध्वनि सुनाई दी। दोनों ही नेता राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक अस्मिता और स्वदेशी विकास मॉडल के पैरोकार हैं। दोनों का जनाधार ग्रामीण और पारंपरिक समुदायों में है। ऐसे में इनकी यह बातचीत केवल राजनीतिक नहीं बल्कि विचारधारात्मक थी।

कुछ सूत्रों की मानें तो बैठक में वेंस ने भारत-अमेरिका के बीच ‘डेमोक्रेटिक नैशनलिज्म’ (लोकतांत्रिक राष्ट्रवाद) की बात की और इसे 21वीं सदी की जरूरत बताया।

कूटनीतिक समीकरण : बाइडन बनाम ट्रंप 2.0 की भूमिका

अगर डोनाल्ड ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं (या वेंस उपराष्ट्रपति के रूप में उनके साथ होते हैं), तो अमेरिका की विदेश नीति में भारत की भूमिका और मज़बूत होगी। वेंस की इस यात्रा को ट्रंप कैंप द्वारा भारत के साथ समीकरण मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। ख़ासकर इसलिए भी क्योंकि डेमोक्रेट्स की दक्षिण एशिया नीति कई बार पाकिस्तान के पक्ष में झुकी हुई दिखती रही है, जिससे भारतीय समुदाय में असंतोष भी रहा है।

भारतीय-अमेरिकी समुदाय से संवाद : एक चुनावी दांव?

वेंस की यात्रा के दौरान उन्होंने दिल्ली और मुंबई में इंडियन डायस्पोरा लीडर्स से संवाद किया। उन्होंने भारतीय मूल के उद्योगपतियों, टेक्नोलॉजिस्ट्स और शिक्षाविदों से मुलाकात की। उनका स्पष्ट संदेश था: “भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अमेरिका की आत्मा हैं और अगली सदी को आकार देने में उनकी अहम भूमिका होगी।”

यह बयान केवल सांस्कृतिक प्रशंसा नहीं थी—बल्कि यह चुनावी रणनीति का हिस्सा था। 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट्स को भारतीय मूल के वोटरों का भारी समर्थन मिला था, खासकर कमला हैरिस के कारण। लेकिन वेंस और ट्रंप कैंप अब इसे बदलना चाहते हैं।

भारत की छवि पर टिप्पणी : दो वैश्विक लोकतंत्रों का गठबंधन

वेंस ने भारत को ‘एक जीवंत लोकतंत्र, जो अपनी सांस्कृतिक जड़ों को न भूलकर आधुनिकता से तालमेल बैठा रहा है’ कहा। उन्होंने कहा कि “भारत पश्चिमी देशों को यह सिखा सकता है कि कैसे परंपरा और प्रौद्योगिकी का संगम हो सकता है।” यह टिप्पणी पश्चिमी मीडिया की भारत-विरोधी आलोचनाओं के जवाब में आई थी, और यह वेंस के कूटनीतिक परिपक्वता की मिसाल भी थी।

यात्रा का सांस्कृतिक पक्ष: बनारस से बेंगलुरु तक

राजनीति और रणनीति के अलावा, जेडी वेंस ने भारत की सांस्कृतिक विविधता का भी आनंद उठाया। वे वाराणसी पहुँचे, गंगा आरती में शामिल हुए, और फिर दक्षिण भारत के टेक हब बेंगलुरु में स्टार्टअप संस्थापकों से बातचीत की।

उन्होंने ट्विटर पर लिखा :

“India isn’t just a country—it’s a civilization that’s alive, vibrant and constantly evolving.”

उनका यह कथन भारतीय दर्शकों में काफी लोकप्रिय हुआ और सोशल मीडिया पर ट्रेंड करता रहा।

भविष्य की राजनीति : क्या यह एक चुनावी पूर्वाभ्यास था?

राजनीतिक पंडित इस यात्रा को

सिर्फ सीनेटरी डेलीगेशन की ट्रिप नहीं मान रहे हैं। उनका मानना है कि यह यात्रा वेंस की अंतरराष्ट्रीय पहचान गढ़ने की दिशा में पहला बड़ा कदम है। अमेरिकी चुनाव की तैयारियों में यह संदेश देना कि वे विदेश नीति में भी अनुभवी और विश्वसनीय हैं, अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अगर वेंस ट्रंप के साथ रिपब्लिकन टिकट पर उपराष्ट्रपति उम्मीदवार होते हैं, तो भारत में उनकी यह मजबूत छवि चुनाव में काम आ सकती है—खासतौर से टेक्सास, न्यू जर्सी और कैलिफोर्निया जैसे राज्यों में जहाँ बड़ी संख्या में भारतीय मूल के मतदाता हैं।

एक यात्रा, जो भविष्य का संकेत देती है

जेडी वेंस की भारत यात्रा केवल एक यात्रा नहीं थी—यह आने वाले वर्षों की अंतरराष्ट्रीय राजनीति का पूर्वाभास भी थी। जहाँ एक ओर भारत खुद को एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति के रूप में देख रहा है, वहीं अमेरिका के संभावित नेता भारत को सिर्फ एक सहयोगी नहीं बल्कि एक साझेदार के रूप में देख रहे हैं।

इस यात्रा ने यह भी दिखाया कि आने वाले अमेरिकी नेता सिर्फ सुरक्षा और रणनीति की बातें नहीं करेंगे, बल्कि वे सांस्कृतिक समझ और पारस्परिक आदर के साथ आगे बढ़ना चाहेंगे।

भारत के लिए यह एक संकेत है—कि दुनिया अब उसे सिर्फ एशिया की महाशक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक विमर्श के केंद्र के रूप में स्वीकार कर रही है।

 

भारत में जेडी वेंस की छाप: एक सांस्कृतिक और कूटनीतिक संवाद
जेडी वेंस की भारत यात्रा केवल एक औपचारिक कूटनीतिक पड़ाव नहीं थी, बल्कि यह दोनों देशों के बीच भरोसे, विचार और संस्कृति के सेतु की पुनर्पुष्टि थी। जहां वेंस ने रणनीतिक मुद्दों पर बात की, वहीं उन्होंने भारत की आत्मा को भी महसूस करने की कोशिश की — चाहे वह काशी के घाट हों, या गुजरात के गांवों में मिली मिट्टी की सोंधी गंध। यह यात्रा यह जताने का प्रयास थी कि 21वीं सदी के जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य में ‘हार्ड पॉलिटिक्स’ के साथ-साथ ‘सॉफ्ट पावर’ की भूमिका भी उतनी ही अहम है।

भारतीय-अमेरिकी समुदाय को दिया गया संदेश
जेडी वेंस के लिए भारतीय-अमेरिकियों का समुदाय केवल एक वोट बैंक नहीं है। उन्होंने यह साफ संकेत दिए कि भारतीय प्रवासी अमेरिका की शक्ति का हिस्सा हैं, न कि केवल दर्शक। उन्होंने भारत में विभिन्न विश्वविद्यालयों में भाषण दिए, युवा उद्यमियों से मिले, और यह जताया कि वह भारत को भविष्य का भागीदार मानते हैं, केवल व्यापारिक सहयोगी नहीं। यह रवैया उनके राजनीतिक विरोधियों से उन्हें अलग करता है।

शिक्षा और नवाचार पर केंद्रित दृष्टिकोण
दिल्ली विश्वविद्यालय और अहमदाबाद के IIM में उनके दिए भाषणों में यह बात प्रमुखता से उभरी कि जेडी वेंस शिक्षा और तकनीकी नवाचार को अमेरिकी विदेश नीति का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहते हैं। उनके अनुसार, यदि अमेरिका और भारत को सच्चे मायनों में वैश्विक नेतृत्व करना है, तो उन्हें मिलकर AI, साइबर सुरक्षा, और हेल्थटेक में नवाचार के क्षेत्र में निवेश करना होगा।

सांस्कृतिक चेतना का इज़हार
यह यात्रा धार्मिक स्थलों के दौरे से लेकर भारतीय साहित्य और संगीत में रुचि दिखाने तक सीमित नहीं रही। जेडी वेंस ने “भगवद् गीता” की प्रतिलिपि लेकर यह जताया कि भारत को समझने के लिए उसके आध्यात्मिक दर्शन को आत्मसात करना आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत में उन्होंने भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणाली में भी रुचि दिखाई। यह पहल पश्चिमी नेताओं के बीच कम ही देखने को मिलती है।

भविष्य का तानाबाना
जेडी वेंस की यात्रा केवल वर्तमान की कूटनीति नहीं थी, बल्कि यह भविष्य की जमीन तैयार करने की कवायद थी — एक ऐसा भविष्य जहां भारत और अमेरिका तकनीकी, सांस्कृतिक और सुरक्षा के मामलों में एक-दूसरे के पूरक बन सकें। उनकी यह यात्रा यह संकेत भी दे गई कि यदि वे भविष्य में उपराष्ट्रपति या राष्ट्रपति पद के लिए आगे बढ़ते हैं, तो भारत उनके लिए प्राथमिकता रहेगा।

 

जेडी वेंस की यह यात्रा न केवल राजनीतिक दृष्टि से अहम रही, बल्कि इससे भारतीय जनमानस में अमेरिका की छवि भी सकारात्मक रूप से उभरी। उन्होंने भारत के युवाओं से संवाद किया, स्थानीय भाषा और परंपराओं को सम्मान दिया और यह दर्शाया कि वैश्विक कूटनीति में आत्मीयता भी मायने रखती है। उनकी स्पष्टवादिता और जमीनी अनुभवों ने उन्हें एक भरोसेमंद अमेरिकी नेता के रूप में प्रस्तुत किया। इस दौरे ने न सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों को ऊर्जा दी, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत-अमेरिका की साझेदारी को नई दिशा भी प्रदान की। यह यात्रा भविष्य के गहरे सहयोग का संकेतक बन गई।

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