उदयपुर। नगर निगम के परिसीमन के खिलाफ सीसारमा गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने सोमवार को जिला कलेक्टरी पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने नारेबाजी करते हुए सरकार से अपील की कि उनके गांव को शहरी क्षेत्र में शामिल करने की बजाय, इसे उसके पारंपरिक रूप में रहने दिया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि उनका गांव ग्रीन बेल्ट के अंतर्गत आता है और यहां की सामाजिक, भौगोलिक और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इसे शहरीकरण से बचाना चाहिए।
ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें उदयपुर ग्रामीण विधानसभा के विधायक द्वारा इस मुद्दे पर अंधेरे में रखा गया है। उनका मानना है कि इस परिसीमन के कारण उनकी कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी तंत्र पर संकट आ सकता है। सीसारमा के ग्रामीणों ने एकजुट होकर यह कहा कि वे शहर के शहरीकरण से खुश नहीं हैं और वे अपनी गांव की सरकार से संतुष्ट हैं। इस मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं ने भी समर्थन दिया, और गांव की एकता को सर्वोपरि मानते हुए राजनीतिक दलों से हटकर आंदोलन में भाग लिया।
कानपुर के पूर्व उपसरपंच मदनलाल डांगी ने भी इस आंदोलन का समर्थन करते हुए प्रशासन और शहरी राजनेताओं से अपील की कि वे नगर निगम का विस्तार करने के बजाय उदयपुर के पास स्थित गांवों को ग्रामीण पर्यटक सर्किट के रूप में विकसित करें। उन्होंने कहा कि इस कदम से न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, बल्कि क्षेत्र के विकास और पारिस्थितिकी का भी संरक्षण होगा। डांगी का कहना था कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों, मंदिरों और अन्य सांस्कृतिक स्थलों को बढ़ावा मिलेगा और पर्यटन व्यवसाय को भी बढ़ावा मिलेगा।
डांगी ने प्रशासन से अनुरोध किया कि वे इस प्रस्ताव को राज्य सरकार के पास भेजें और इसे लागू करने की कोशिश करें। उन्होंने यह भी कहा कि शहरीकरण के नाम पर गांवों की शुद्ध जल, हवा और कृषि आधारित जीवनशैली को खतरा हो सकता है। वे चाहते हैं कि सरकार इस योजना को जल्द से जल्द रद्द करे और गांवों के विकास के लिए ग्रामीण पर्यटक सर्किट को प्राथमिकता दे।
उदयपुर ग्रामीण विधायक और सांसद से भी डांगी ने अपील की कि वे इस मुद्दे को सरकार के सामने रखें और गांवों के विकास के लिए उचित कदम उठाएं।
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