
दौसा। राजस्थान की सियासत एक बार फिर तीखे बयानों और आरोप–प्रत्यारोप के केंद्र में आ गई है। कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने दौसा में मीडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस, उसके नेताओं और अरावली मुद्दे पर खुलकर हमला बोला। उनके बयान केवल राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं बल्कि आने वाले समय में सत्ता और विपक्ष के बीच बढ़ते टकराव का संकेत भी देते हैं।
सबसे पहले सचिन पायलट के बेटे को कांग्रेस के अरावली बचाओ प्रदर्शन में लाने के सवाल पर उन्होंने खुला समर्थन जताया। डॉ. किरोड़ी ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बताते हुए कहा कि जैसे पंडित नेहरू इंदिरा गांधी को साथ लेकर चलते थे और इंदिरा गांधी राजीव व संजय गांधी को आगे बढ़ाती थीं, वैसे ही यदि सचिन पायलट अपने बेटे को राजनीति की समझ देने लाते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। यह बयान अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक विरासत को स्वाभाविक बताते हुए कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति पर भी टिप्पणी करता है।
अरावली मुद्दे पर उन्होंने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया। उनका आरोप है कि कांग्रेस सरकारों ने लीज देकर अरावली को खोखला किया और अब उसी पर राजनीति कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दे रही है और केंद्र सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि अरावली में किसी भी प्रकार की माइनिंग नहीं होगी। यह बयान भाजपा सरकार की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को रेखांकित करने का प्रयास है।
डॉ. किरोड़ी ने सांसद मुरारीलाल मीणा पर सीधा हमला करते हुए कहा कि उन्होंने खुद अरावली को खोदकर मकान बना लिया है, इसलिए दूसरों पर आरोप लगाने से पहले आत्ममंथन करना चाहिए। यह बयान स्थानीय राजनीति में टकराव को और गहरा करता है।
डाक बंगले में कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा कथित तोड़फोड़ पर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चित्र फाड़ने को उन्होंने “लोकतंत्र का अपमान” बताया और कहा कि इससे कोई “भागीरथ” नहीं बन जाता। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। साथ ही यह भी जोड़ा कि वे सामाजिक समरसता चाहते हैं, लेकिन विपक्ष के कुछ नेता जानबूझकर दूरियां बढ़ा रहे हैं।
राहुल गांधी पर भी उन्होंने सीधा निशाना साधते हुए कहा कि विदेशों में देश की छवि खराब करना राष्ट्रहित के खिलाफ है। उनके अनुसार कांग्रेस नेतृत्व अनुभवहीन और दिशाहीन हो चुका है, जबकि भाजपा सरकार विकास, पर्यावरण संरक्षण और जनकल्याण के रास्ते पर आगे बढ़ रही है।
कुल मिलाकर, यह पूरा घटनाक्रम राजस्थान की राजनीति में बढ़ते ध्रुवीकरण, विरासत बनाम नेतृत्व की बहस और सत्ता–विपक्ष के बीच तीखी बयानबाज़ी को दर्शाता है। अरावली, पर्यावरण और राजनीतिक नैतिकता जैसे मुद्दे आने वाले समय में राज्य की राजनीति का केंद्र बने रह सकते हैं।
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