बड़ी झील महासीर कन्जर्वेशन रिजर्व : बड़ी झील की महासीर मछली विश्वभर में अनूठी, इसका संरक्षण हमारा दायित्व-कलेक्टर

मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक संपन्न


उदयपुर। जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल ने कहा है कि बड़ी झील में पाई जाने वाली महासीर मछली विश्वभर में अनूठी है। बड़ी झील महासीर कन्जर्वेशन रिजर्व विश्व में महासीर के लिए समर्पित दूसरा एवं भारत का एकमात्र संरक्षित क्षेत्र है। इससे पहले पाकिस्तान में पूंछ रिवर नेशनल महासीर पार्क घोषित किया गया है। ऐसे में इस महासीर मछली का संरक्षण करना हमारा दायित्व है और इसे हम पूरी प्रतिबद्धता के साथ पूरा करेंगे।
जिला कलक्टर पोसवाल शुक्रवार को अरण्य भवन, उदयपुर में महासीर कन्जर्वेशन रिजर्व, बड़ी की मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक को संबोधित कर रहे थे।
इस मौके कलक्टर ने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा महासीर संरक्षण के निर्देश जारी करने के साथ ही राज्य सरकार द्वारा बड़ी झील के आसपास के क्षेत्र को महासीर मछली के संरक्षण के लिए कन्जर्वेशन रिजर्व घोषित करने से इस प्रजाति की मछलियों का संरक्षण हो पाएगा, जो कि हमारे लिए गौरव का भी विषय है। उन्होंने माननीय न्यायालय के आदेश की सख्ती से अनुपालना करने के लिए भी सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए। बैठक दौरान बड़ी झील और आसपास के क्षेत्र को महासीर संरक्षण विषय पर विकसित करने तथा इस संबंध में आईईसी तैयार करने के भी निर्देश दिए।  
बड़ी में मत्स्याखेट पर होगी पाबंदी : कलक्टर
इस मौके पर कलक्टर पोसवाल ने कहा कि बड़ी में महासीर के संरक्षण के उद्देश्य से मस्त्स्याखेट पर पाबंदी रहेगी और मत्स्यपालन का कोई टेंडर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इस प्रतिबंध की सख्ती से अनुपालना करवाई जाए, इसके लिए वन विभाग द्वारा नाइट पेट्रोलिंग की व्यवस्था की जावें और मत्स्याखेट करने वालों पर सख्त कार्यवाही की जावें।
कार्य योजना अनुसार कार्यवाही की जावें : सीसीएफ
बैठक दौरान मुख्य वन संरक्षक एसआर वेंकटेश्वर मूर्थी ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश की अक्षरशः अनुपालना की जाएगी और कार्य योजना तैयार कर महासीर का संरक्षण किया जाएगा। उन्होंने महासीर मछली के अपस्ट्रीम प्रवाह क्षेत्र, खाद्य श्रृंखला, प्रजनन, झील में होने वाले प्रदूषण, हैबीटाट संरक्षण आदि बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की और उप वन संरक्षक वन्यजीव उदयपुर को इसके संरक्षण की कार्य योजना अनुरूप कार्यवाही के निर्देश दिए। उन्होंने कार्य योजना में मुख्य रूप से बड़ी झील में प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों की रोकथाम, महासीर मछली के प्रवाह क्षेत्र में आने वाले अवरोधां का निपटान, झील मे ंपर्यटन गतिविधियों के विनियमन को सम्मिलित करने और समस्त कार्यों में संबंधित विभागों का सहयोग लेने की बात कही।  
डीएनए की जांच में भी शुद्ध साबित हुई महासीर : भटनागर
बैठक दौरान रिटायर्ड सीसीएफ राहुल भटनागर ने कहा कि पूर्व में बड़ी तालाब स्थित महासीर के डीएनए की भी पुणे से जांच करवाई गई जिसमें पाया गया कि यह महासीर की शुद्ध प्रजाति है और यह गंगा में मिलने वाली महासीर जैसी ही है। इस दौरान उन्होंने महासीर के संरक्षण की दृष्टि से मत्स्याखेट पर पाबंदी को सही बताया।
प्रजनन के लिए भी हो रहे प्रयास : चित्तौड़ा
उप वन संरक्षक (वन्य जीव) अजय चित्तौड़ा ने बैठक में महासीर संरक्षण विषय पर की जा रही कार्यवाही पर जानकारी दी और कहा कि विभाग द्वारा महासीर के प्रजनन के लिए भी प्रयास किए गए है और वर्तमान में इसके लिए तैयार विशेष टेंक में मौजूद महासीर को जिले की अन्य झीलों में छोड़ा जाएगा।      
इन्होंने दिए महत्वपूर्ण सुझाव :
बैठक दौरान पर्यावरणप्रेमियों और झील संरक्षण से जुड़े सदस्यों डॉ. तेज राजदान, अनिल मेहता, शैलेन्द्र तिवारी, मत्स्य विशेषज्ञ इस्माइल अली दुर्गा, डॉ. अतुल जैन, बड़ी सरपंच मदन पंडित आदि ने भी महासीर संरक्षण व प्रजनन विषय पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए। बैठक में अवगत कराया गया कि राज्य सरकार द्वारा दिनांक 7 अक्टूबर 2023 को बड़ी झील के इर्द-गिर्द के 206.350 हैक्टेयर क्षेत्र को महासीर कन्जर्वेशन रिजर्व के रूप में घोषित किया गया है। इस संबंध में राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा भी महासीर के संरक्षण हेतु 2017 में आदेश जारी किए थे। इस मौके पर वन विभाग के गणेश गोठवाल, सीसारमा सरपंच सहित विभिन्न विभागीय प्रतिनिधि मौजूद थे।
स्वच्छता की प्रतीक है महासीर :
महासीर को “टाईगर फीश” के नाम से भी जाना जाता है। यह एक शिकारी मछली है जो जलाशय की शुद्धता का प्रतीक है। यह केवल उन्ही जल क्षेत्र में पाई जाती है, जो प्रदूषण रहीत एवं शुद्ध हो। जिस प्रकार टाईगर की उपस्थिति अच्छे जंगल की गुणवत्ता का सूचक है, उसी प्रकार महासीर की उपस्थिति जलाशय की स्वच्छता का प्रतीक है। विशेषज्ञों के अनुसार यह प्रजाति आईयूसीएन की रेड डाटा बुक में शामिल हो चुकी है एवं विलुप्ति के कगार पर है। उदयपुर जिले में महासीर मछली मुख्यतया बड़ी झील में ही उपलब्ध है। पूर्व में यह मछली यहां की अधिकांश झीलों में पाई जाती थी।

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