उदयपुर। जनजाति मंत्री बाबूलाल खराड़ी की सादगी की खूब चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया पर उनके खेत में काम करते हुए वीडियो ने सबका ध्यान खींचा है। वे मजदूरों के साथ पत्थर उठाते और कुएं में सीढ़ी लगाते नजर आए। इससे पहले भी उनके केलुपोश मकान में रहने और अन्य सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं करने की खबरें आई हैं। बीजेपी नेता सतीश पूनिया ने भी उनकी सादगी को लेकर इंटरव्यू किया है।
हालांकि, मंत्री बनने के बाद से उन्होंने अपने क्षेत्र के लिए क्या बड़े काम किए हैं, इस पर सवाल उठ रहे हैं। क्या झाड़ोल-कोटड़ा में 24 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है? क्या इन क्षेत्रों के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सभी डॉक्टर और कंपाउंडर के पद भरे हुए हैं? क्या झाड़ोल-कोटड़ा के सभी स्कूलों में बच्चों के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं? क्या इन क्षेत्रों में बच्चों की तस्करी पूरी तरह से रुक गई है? क्या रोजगार के साधन मुहैया हो रहे हैं और लोगों का गुजरात पलायन बंद हो गया है? क्या हर घर में 24 घंटे भोजन की सुविधा उपलब्ध है? क्या इन क्षेत्रों में मौताणा और नाता जैसी कुप्रथाएं खत्म हो चुकी हैं?
मंत्री की सादगी की प्रशंसा तो ठीक है, लेकिन उनके कार्यों का मूल्यांकन भी जरूरी है। क्षेत्र की जनता ने उन्हें चुनकर विधानसभा भेजा है ताकि वे क्षेत्र की समस्याओं को उठाएं और विकास के काम करवाएं। उनकी सादगी तभी अधिक प्रभावशाली होगी जब वह अपने क्षेत्र की जनता की समस्याओं का समाधान भी कर सकें।
बाबूलाल खराड़ी की तरह ही बीजेपी के गुलाबचंद कटारिया, कांग्रेस नेता रघुवीर सिंह मीणा, और बीजेपी के सलूंबर विधायक अमृतलाल मीणा भी ईमानदार और सरल स्वभाव के नेता हैं। लेकिन, जनता के भले के लिए किए गए कामों का महत्व अधिक होता है। मंत्री जी को अपनी सादगी के साथ-साथ क्षेत्र के विकास पर भी ध्यान देना चाहिए।
About Author
You may also like
-
प्रदेश के लिए गर्व का क्षण : हिन्दुस्तान जिंक का भीलवाड़ा में लगेगा देश का पहला टेलिंग्स रीप्रोसेसिंग प्लांट
-
शिक्षक ने रची साजिश, पांच दोस्तों संग मिलकर ली युवक की जान
-
हिन्दुस्तान जिंक में धूमधाम से मनाया गया स्वतंत्रता दिवस
-
जन्माष्टमी प्रसाद ठेका विवाद : मुस्लिम फर्म को ठेका देने का विरोध, देवस्थान विभाग ने रातोंरात रद्द किया आदेश
-
एनएचएआई ने फास्टैग वार्षिक पास को देशभर में लागू किया, पहले दिन ही 1.4 लाख उपयोगकर्ता जुड़े