उदयपुर। हिरणमगरी में सेटेलाइट अस्पताल में जनजाति नेता एवं पूर्व विधायक स्व. खेमराज कटारा की मूर्ति के अनावरण से पहले उदयपुर की सियासत से कई संदेश निकले हैं। भाजपा शहर जिला ने मूर्ति अनावरण के विरोध का निर्णय किया। विरोध हुआ भी। प्रदर्शन भी हुआ। कुछ छुटभैया नेताओं ने अपनी सियासी रील बनाकर वायरल कर दी।
इस बीच भाजपा के ही कुछ लोगों ने विरोध का भी विरोध हुआ। पूर्व पार्षद विजयप्रकाश विप्लवी, दिनेश माली और दिनेश गुप्ता ने हकीकत बयान की। स्व. खेमराज कटारा के योगदान को याद किया। विरोध के लिए विरोध करने का भी विरोध किया। लोगों ने इन नेताओं की बात की सराहना की। इन लोगों मौजूदा बिगड़ती सियासत के माहौल में सैद्धांतिक सियासत का संदेश दिया। इन तीनों पूर्व पार्षदों ने अपनी सियासत से एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के सिद्धांतों की याद ताजा कर दी। जिन्होंने कहा था-सरकारें आएंगी, सरकारें जाएंगी, ये देश रहना चाहिए और देश का लोकतंत्र जिंदा रहना चाहिए।
अब अगला सवाल यह है कि उदयपुर के शहर के चौराहों पर लगी महापुरुषों की प्रतिमाएं क्या अच्छी हालत में हैं? क्या उनकी नियमित सफाई होती है? विरोध करने वाले क्या इन प्रतिमाओं को लेकर कभी अपने ही जिम्मेदारों के पास पहुंचे हैं? उदयपुर में ज्यादातर प्रतिमाएं नगर निगम में भाजपा के 30 सालों के बोर्ड में ही लगी है। अब आप ही तय कीजिए प्रतिमाओं को लेकर होने वाली राजनीति किस स्तर की होनी चाहिए?