शख्सियत : पॉलिटिक्स और बिजनेस मैनेजमेंट के गुरु छोगालाल भोई

उदयपुर। इस शहर में कोई शख्स ऐसा नहीं है जो मिस्टर छोगालाल भोई को नहीं जानता है। वो पार्षद हैं, बिजनेसमैन हैं, पत्रकार हैं और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। वो जीतने नेताओं के करीब हैं, उतने ही अफसरों के भी करीब हैं। संघ से लेकर बीजेपी में उन्होंने बतौर कार्यकर्ता काम कर पहचान बनाई, लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं के बीच भी वे लोकप्रिय हैं। वो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं, लेकिन उनकी समझ किसी अफसर, किसी नेता से कम भी नहीं हैं।


छोगालाल भोई की जिंदगी के बारे में वे खुद कई टीवी चैनल्स को बता चुके हैं कि वे कैसे गांव से आए थे, थोड़ी बहुत पढ़ाई की, रोडवेज में कंडक्टरी की। फिर विशाखापटनम जाकर जहाज पर काम किया। एक समय उनकी हिस्ट्रीशीटर जैसी छवि रही, लेकिन अपनी जिंदगी को उनको अच्छे मोड़ पर ले आई।


बीजेपी और संघ से वे बचपन से ही जुड़ गए थे। हिंदुत्व की विचारधारा होने के बावजूद उनकी दोस्ती सभी धर्मों के लोगों से है। यही नहीं उन्हें इस्लाम के बारे में अच्छा खासा ज्ञान है।
बात करते हैं-उनकी सियासत की। पार्टी में विभिन्न पदों पर रहे, लेकिन सियासत में आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अपनी धर्म पत्नी हंसा माली को आगे किया। केबल का कारोबार शुरू करने के साथ ही वे उदयपुर में पहले टीवी रिपोर्टर बनें।

शहर के सभी कार्यक्रमों की रिकॉर्डिंग करना और उन्हें अपनी ही केबल पर दिखाना। इस काम ने उन्हें कारोबारी बनाने के साथ अच्छा कैमरामैन, अच्छा पत्रकार बना दिया। इस काम से उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई। इसका उन्हें बीजेपी की सियासत में फायदा मिला। पत्रकारिता का लाभ भी उन्हें मिलता रहा।


प्रोफेशनल नहीं होने के बावजूद कैमरे पर उनका देसी अंदाज लोगों को खूब पसंद आने लगा। इसी को उन्होंने अपनी ताकत बना लिया। वे हैदराबाद, दुबई, कश्मीर जहां भी गए, उन्होंने अपने परिवार के साथ उस शहर को भी केबल पर दिखाना शुरू किया। लोग उनके इस अंदाज के दिवाने हो गए।
छोगालाल भोई अपने सियासी कौशल के कारण उदयपुर में सियासत पावर सेंटर गुलाबचंद कटारिया और किरण माहेश्वरी के अति नजदीक रहे। इसका उन्होंने राजनीति और अपने बिजनेस का पूरा फायदा उठाया। उनकी आक्रमक होने की छवि को भी कमजोर नहीं होने दिया। इसके साथ समझौतावादी हो गए। राजनीति में उन्होंने कोई अवसर नहीं छोड़ा।


इसके साथ ही वे बिजनेस के भी गुर सीखते गए। मैंने उनके किरदार को ऑब्जर्व किया है। लोगों को पहचानने का उनका अपना अनुभव है। किस व्यक्ति को कितनी तवज्जो कहां देनी है, वे अच्छी तरह जानते हैं। सियासत में गलाकाट कॉम्पीटिशन में विपरीत ध्रुवों के साथ भी वे तालमेल बैठाने में माहिर हैं। अपने विरोधियों के सामने कब खड़ा होना है और कब गले में हाथ डालकर चलना है, उनसे बेहतर कोई नहीं जान सकता है। बिजनेस में भी नुकसान और फायदे को वो दूर से ही देख लेते हैं। 25 सालों से कैमरे के साथ उदयपुर की सड़कों पर घूमने वाले छोगालाल भोई का न्यूजसेंस भी गजब का है। वे हर कार्यक्रम में खबर की बारीकी को पकड़ लेते हैं।


वो दिन दूर नहीं कि शिक्षण संस्थान छोगालाल भोई को बतौर पॉलिटिकल और बिजनेस मैनेजमेंट गुरु के रूप में अपने यहां आमंत्रित करें।
फंडा यह है कि जिंदगी में सफल होने के लिए आपको अपनी ही जिंदगी से सीखना होगा। अवसर को छोड़ना नहीं पकड़ना होगा। जरूरत पड़ने पर झुकना और जरूरत पड़ने पर अकड़ना होगा। महान बॉक्सर मोहम्मद अली किले ने कहा था-जिंदगी में तितली की तरह उड़ो और मधुमक्खी की तरह हमला करो। छोगालाल भोई का व्यक्तित्व भी ऐसा ही रहा है।

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