समाज सहयोग से संघ शताब्दी यात्रा सुगम बनी : दत्तात्रेय होसबाले

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का शताब्दी वर्ष विशेष महत्व रखता है। इस 100 वर्ष की यात्रा में स्वयंसेवक और सामाजिक सहयोग ने मिलकर संघ के कार्य को सफलता की ओर अग्रसर किया। प्रारंभिक काल के युवा कार्यकर्ता, जैसे अप्पाजी जोशी, दादाराव परमार्थ, बालासाहब व भाऊराव देवरस, बंधु यादवराव जोशी, एकनाथ रानडे और डॉक्टर हेडगेवार ने राष्ट्र सेवा को जीवन का लक्ष्य बनाया।

संघ का कार्य हमेशा समाज की भावना के अनुरूप रहा, जिससे धीरे-धीरे समाज में इसकी स्वीकृति और समर्थन बढ़ता गया। जैसे स्वामी विवेकानंद ने कहा कि भारतीय जनता अपने आध्यात्मिक ज्ञान से किसी भी सात्विक कार्य को तुरंत समझ जाती है, वैसे ही संघ के सात्विक कार्य को समाज ने अपनाया और समर्थन प्रदान किया।

समाज की भूमिका और स्वयंसेवक परिवार

संघ कार्य की सफलता में स्वयंसेवकों के परिवारों और माताभगिनियों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। दत्तोपंत ठेंगड़ी, यशवंतराव केलकर, बालासाहेब देशपांडे, एकनाथ रानडे, दीनदयाल उपाध्याय और दादासाहेब आपटे जैसे प्रेरक व्यक्तित्वों ने समाज जीवन के विविध क्षेत्रों में संगठनों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।

राष्ट्र सेविका समिति के माध्यम से मातृसमान हस्तियों जैसे मौसी जी केलकर और प्रमिलाताई मेढ़े ने भी संघ कार्य को संबल प्रदान किया। समाज के सहयोग से ही संघ का कार्य लगातार आगे बढ़ा और समाज में राष्ट्र सेवा की भावना को प्रबल किया।

राष्ट्रीय हित और समाज का समर्थन

समय-समय पर संघ ने राष्ट्रीय हित के महत्वपूर्ण विषय उठाए, जिनमें समाज के विभिन्न वर्गों का समर्थन प्राप्त हुआ। उदाहरण के लिए:

  • 1981 में तमिलनाडु के मीनाक्षीपुरम में मतांतरण के विरोध में बड़े सम्मेलन का आयोजन।

  • 1964 में विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना में स्वामी चिन्मयानंद, मास्टर तारा सिंह, जैन मुनी सुशील कुमार, बौद्ध भिक्षु कुशोक बकुला और नामधारी सिख सद्‌गुरु जगजीत सिंह की प्रमुख सहभागिता।

  • हिन्दू शास्त्रों में अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए उड्डुपी में विश्व हिंदू सम्मेलन।

  • राम जन्मभूमि आंदोलन और गौहत्या बंदी के समर्थन में संतों का आशीर्वाद।

स्वयंसेवकों ने कठिन परिस्थितियों और बलिदानों के बावजूद संघ कार्य को निरंतर आगे बढ़ाया। स्वाधीनता के बाद राजनीतिक बाधाओं और आपातकाल के समय भी समाज के सामान्य लोग और प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने संघ को समर्थन दिया।

भविष्य की दिशा

RSS के शताब्दी वर्ष में स्वयंसेवक समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने का प्रयास करेंगे। घर-घर संपर्क, छोटे और बड़े शहरों से लेकर दूरदराज़ गाँवों तक, समाजिक सहयोग और सहभागिता के माध्यम से राष्ट्र के सर्वांगीण विकास की दिशा में यह यात्रा और सुगम और सफल होगी।

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