
उदयपुर। भट्टियानी चौहट्टा स्थित प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर इस बार एक विशेष आध्यात्मिक उत्सव का साक्षी बनने जा रहा है। रविवार, 14 सितंबर 2025 को माता महालक्ष्मी का प्राकट्योत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं होगा, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और समर्पण का ऐसा दिव्य अवसर होगा जिसमें भक्त अपने हृदय को देवी के चरणों में अर्पित करेंगे।
ट्रस्ट अध्यक्ष भगवतीलाल दशोत्तर के अनुसार, यह पर्व केवल परंपरा का निर्वहन नहीं है, बल्कि आत्मा को उस दिव्यता से जोड़ने का मार्ग है जिसे महालक्ष्मी स्वयं प्रतीक करती हैं—संपन्नता, सौंदर्य और शुद्धता।
प्रातः 4 बजे जब माता का पंचामृत स्नान और अभिषेक होगा, तब वातावरण में केवल सुगंध और मंत्रोच्चार ही नहीं, बल्कि वह अदृश्य ऊर्जा भी प्रवाहित होगी जिसे साधक “मां की कृपा” कहते हैं। इस क्षण भक्तजन अपने मन को निर्मल कर, माता से आंतरिक संपन्नता का वरदान मांगेंगे।
श्रृंगार और दिव्यता का प्रकट होना
माता को सोने-चांदी के विशेष वेश से सजाना केवल बाहरी आभा का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उस सत्य का स्मरण है कि भौतिक वैभव भी तभी सार्थक है जब वह दिव्यता के चरणों में समर्पित हो। रंग-बिरंगे फूल और विद्युत सज्जा केवल सौंदर्य नहीं, बल्कि उस आनंद का प्रतीक है जो भीतर से प्रवाहित होता है।
यज्ञ-हवन और अंतःशुद्धि
सुबह 10 बजे आयोजित होने वाला यज्ञ-हवन भक्तों के लिए केवल एक कर्मकांड नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि का माध्यम है। जब पांच जोड़े मिलकर आहुति देंगे, तो वह सामूहिक ऊर्जा एक दिव्य तरंग के रूप में पूरे मंदिर परिसर को आच्छादित करेगी। संध्या 4:30 बजे पूर्णाहुति का क्षण वह होगा जब प्रत्येक भक्त यह अनुभव करेगा कि उसकी प्रार्थना मां तक पहुंच चुकी है।
सुंदरकांड पाठ और भक्तिभाव
यज्ञ के पश्चात होने वाला सुंदरकांड पाठ भक्तों को भक्ति के उस रस में डुबो देगा, जिसमें श्रीराम के चरित्र के माध्यम से हमें धैर्य, विश्वास और निष्ठा की शिक्षा मिलती है। माता महालक्ष्मी की उपस्थिति में इस पाठ का श्रवण साधक के जीवन में दृढ़ता और शांति दोनों का संचार करेगा।
महाआरती : चरम आध्यात्मिक क्षण
ट्रस्ट के ट्रस्टी जतिन श्रीमाली ने बताया कि इस पर्व का मुख्य आकर्षण मध्यरात्रि 12 बजे की महाआरती होगी। दीपों की ज्योति, घंटों की गूंज और मंत्रों का आलोक भक्तों को उस दिव्य क्षण में ले जाएगा जहां आत्मा और परमशक्ति का मिलन होता है। यह अनुभव केवल आँखों से देखना नहीं, बल्कि हृदय से महसूस करना होगा।
महाप्रसाद : कृपा का प्रसार
आरती के बाद वितरित होने वाला महाप्रसाद महालक्ष्मी की कृपा का वह मूर्त रूप होगा जो हर भक्त को अपने जीवन में संतोष, सुख और समृद्धि का अनुभव कराएगा।
समाज और अध्यात्म का संगम
यह आयोजन केवल धार्मिक परंपरा तक सीमित नहीं है। यह समाज को जोड़ने, सामूहिक चेतना जगाने और यह स्मरण कराने का अवसर है कि सच्ची संपन्नता बाहरी वैभव में नहीं, बल्कि आंतरिक संतोष और भक्तिभाव में है।
ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु विशेष प्रबंध किए हैं ताकि हर भक्त बिना किसी व्यवधान के इस दिव्य पर्व में सम्मिलित हो सके।
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