फोटो एंड रिपोर्ट : कमल कुमावत
उदयपुर। आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर भगवान जगन्नाथ (जगत के नाथ) नगर भ्रमण पर निकले तो मौसम भी पूरी तरह साफ हो गया। बारिश की बूंद भी नहीं गिरी बल्कि सूर्यदेव भी भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने बादलों के बीच से निकल आए। ओडिशा के पुरी में निकलने वाली जगन्नाथ यात्रा की तर्ज पर शुरू हुई उदयपुर में जगन्नाथ यात्रा में शहर के लोगों की मौजूदगी बढ़ती गई। इस दिन पूरे शहर में उत्सव का माहौल होता है। भगवा पताकाओं से मार्ग सजता है और भगवान जगदीश के नारे गूंजते हैं। हमेशा की तरह इस यात्रा में भगवान के नगर भ्रमण पर निकलते ही शहर में चारों ओर खुशियों का माहौल बन जाता है।
भगवान के रथ को खींचने के लिए युवाओं में उत्साह दिखाई दिया। पूर्व राजघराने से महेंद्र सिंह मेवाड़ के पुत्र विश्वजीत सिंह मेवाड़ और अरविंद सिंह मेवाड़ के पुत्र डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने जगदीश चौक पर आरती की। रथ को खींचा। आयोजकों की ओर से पूर्व राजघराने के दोनों सदस्यों का स्वागत किया गया।
पूरे शहर का भ्रमण कर भगवान जगन्नाथ फिर से जगदीश चौक पहुंचेंगे। रथ के आगे बड़ी संख्या में महिला-पुरुष पूरे जोश के साथ भगवान के जयकारे लगाते चल रहे हैं।
रथयात्रा रवाना होने से पहले अखाड़ा प्रदर्शन की झांकी के दौरान अचानक आग लग गई। तीन लोग आग की की चपेट में आ गए। लोगों ने उन्हें एमबी हॉस्पिटल पहुंचाया गया। आग पर तुरंत काबू कर लिया गया।
रथ यात्रा जगदीश मंदिर से रवाना होकर जगदीश चौक, घंटाघर, मोचीवाड़ा, भड़भूजा घाटी, संतोषी माता मंदिर, मंडी मार्शल चौराहा, अस्थल मंदिर, आरएमवी रोड, कालाजी गोराजी चौराहा और भट्टियानी चौहट्टा से गुजरी। जगदीश मंदिर पर ही यात्रा खत्म होगी।
80 किलो चांदी से निर्मित रथ
रथ समिति के अध्यक्ष राजेंद्र श्रीमाली ने बताया- भगवान का रथ 80 किलो चांदी से बना है। यह 8 फीट चौड़ा, 16 फीट लंबा और 21 फीट ऊंचा है। इसमें प्रभु जगन्नाथ स्वामी माता लक्ष्मी और दानी राय जी के साथ विराजित हैं। रथ यात्रा से पहले 21 बंदूकों की सलामी दी गई।
यात्रा में शामिल हुई झांकियां
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