आरपीएससी :- दस्तावेजों की गहन जांच में सामने आए डमी कैंडिडेट के 5 संदिग्ध प्रकरण, सभी संदिग्ध अभ्यर्थियों के विरूद्ध प्रकरण कराया दर्ज, 1 पुलिस के सुपुर्द

जयपुर। राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा की जा रही दस्तावेजों की गहन जांच दौरान मूल अभ्यर्थी के स्थान पर डमी कैंडिडेट द्वारा परीक्षा देने के 5 प्रकरण सामने आएं हैं। इन अभ्यर्थियों एवं उनके साथ अपराध मे संलिप्त अज्ञात व्यक्तियों के विरूद्ध आयोग सचिव के निर्देश पर अनुभाग अधिकारी द्वारा सिविल लाइन थाना पुलिस में मंगलवार को प्रकरण दर्ज कराया गया। इनमें से एक अभ्यर्थी को पुलिस के सुपुर्द भी कर दिया गया है।

आयोग सचिव ने बताया कि वरिष्ठ अध्यापक -सामाजिक विज्ञान (माध्यमिक शिक्षा विभाग) परीक्षा की मुख्य सूची 5 दिसंबर 2023 को जारी की गई थी। संबंधित विभाग को अभिस्तावना प्रेषित करने से पूर्व इस सूची में चयनित 1605 अभ्यर्थियों के उपस्थिति-पत्रक एवं ऑनलाइन आवेदन-पत्र पर चस्पा फोटो तथा अन्य विवरणों की जांच आयोग स्तर पर की गई। इसमें 5 अभ्यर्थियों द्वारा फोटो टेंपरिंग कर परीक्षा में अपने स्थान पर अन्य व्यक्ति को बिठाकर अनुचित साधन अपनाया जाना पाया गया।

उपस्थिति-पत्रक पर मिली परिवर्तित फोटो व जन्म दिनांक

आरोपी अभ्यर्थी हरीश चंद्र भील पुत्र श्री कांतिलाल रोल नंबर 1440641, जगदीश कुमार पुत्र श्री जवाना राम मेघवाल रोल नंबर 1320961 एवं राजू राम पुत्र श्री छगना राम रोल नंबर 1431315 द्वारा 21 दिसंबर 2022 को आयोजित प्रथम सत्र की सामान्य ज्ञान एवं द्वितीय सत्र की सामाजिक विज्ञान विषय की परीक्षा में आयोग द्वारा जारी प्रवेश-पत्र में टेंपरिंग कर फोटो एवं जन्म दिनांक में परिवर्तन करना पाया गया। अपरिहार्य कारणों से आयोग द्वारा प्रथम सत्र में आयोजित सामान्य ज्ञान की परीक्षा को निरस्त कर दिया गया था। इस परीक्षा का पुनः आयोजन 30 जुलाई 2023 को किया गया था। इसमें भी उक्त आरोपी अभ्यर्थियों द्वारा प्रवेश-पत्र में फोटो एवं जन्म दिनांक में परिवर्तन किया गया। इसके अलावा आरोपी अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत विस्तृत आवेदन-पत्र पर चस्पा की गई फोटो में भी भिन्नता पाई गई। इसी परीक्षा में आरोपी अभ्यर्थी मुकेश कुमार पुत्र श्री छोगाराम रोल नंबर 1449378 द्वारा भी 21 दिसंबर 2022 को आयोजित दोनों सत्रों की परीक्षाओं के प्रवेश पत्र में फोटो बदलकर टेंपरिंग किया जाना एवं अन्य व्यक्ति को बिठाया जाना पाया गया। इसी प्रकार आरोपी अभ्यर्थी नरेन्द्र कुमार पुत्र श्री सोना राम रोल नंबर 1434461 के उपस्थित पत्रक पर चस्पा फोटो एवं पात्रता जांच के लिए प्रस्तुत विस्तृत आवेदन-पत्र पर चस्पा की गई फोटो में भी भिन्नता पाई गई।

कृत्य संज्ञेय, अजमानतीय एवं गैर-समझौता योग्य अपराध

प्रकरणों की जांच में सामने आए तथ्यों से आरोपी अभ्यर्थियों द्वारा स्वयं के स्थान पर अन्य व्यक्ति को परीक्षा में सम्मिलित कराया गया था। राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम के अध्युपाय) अधिनियम 2022 के अनुसार किसी अन्य व्यक्ति के स्थान पर छद्म रूप से परीक्षा देना तथा परीक्षार्थी की अप्राधिकृत रूप से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहायता करना एवं परीक्षा संचालन में किसी भी गतिविधि में अनुचित साधन का उपयोग पूर्णतया निषिद्ध एवं कठोर दंड से दंडनीय है। ऐसा किए जाने पर 10 वर्ष किंतु आजीवन कारावास तक के दंड एवं 10 लाख रूपए जो 10 करोड़ रूपए तक हो सकता है के जुर्माने का प्रावधान है। यह कृत्य संज्ञेय, अजमानतीय एवं गैर-समझौता योग्य अपराध है।

उल्लेखनीय है कि आयोग द्वारा उक्त विषय की विचारित सूची 31 अगस्त 2023 को जारी की गई थी। इसमें सम्मिलित अभ्यर्थियों की पात्रता जांच का आयोजन 4 से 14 सितंबर 2023 तक किया गया था। इसके बाद मुख्य सूची को जारी कर अभिस्तावना प्रेषण से पूर्व सूची में सम्मिलित अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का पुनः मिलान आयोग के पास उपलब्ध रेकार्ड से किया गया। इसमें संदिग्ध पाए गए अभ्यर्थियों की अभिस्तावना को रोकते हुए व्यक्तिगत सुनवाई के लिए सूचना दी गई। सुनवाई का आयोजन 8 जनवरी 2024 को किया गया। इसमें कोई भी अभ्यर्थी स्वयं उपस्थित नहीं हुआ। इसके बाद 23 जनवरी 2024 को व्यक्तिगत सुनवाई का पुनः अवसर इन अभ्यर्थियों को दिया गया। इसमें मात्र 1 संदिग्ध अभ्यर्थी हरीश चंद्र भील आयोग कार्यालय में उपस्थित हुआ। पूर्ण जांच कार्य के बाद आयोग द्वारा प्रकरण में आगे के अनुसंधान हेतु सभी पांचों अभ्यर्थियों एवं उनके साथ अपराध मे संलिप्त अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

आयोग कार्मिकों को दस्तावेजों की जांच का प्रशिक्षण

आयोग कार्मिकों की कार्यप्रणाली के संवर्धन तथा काउंसलिंग के दौरान अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की गहन जांच के लिए कार्मिकों के प्रशिक्षण सत्रों को आयोजित किया जा रहा है। निर्धारित कार्यक्रमानुसार निरंतर प्रशिक्षण सत्र कार्यालय समय में आयोजित किए जा रहे हैं। अभिस्तावना प्रेषित करने से पूर्व भी अभ्यर्थियों के द्वारा प्रस्तुत विस्तृत आवेदन-पत्र की जांच आयोग के पास उपलब्ध आयोग के रिकॉर्ड से की जा रही है। किसी भी प्रकार का संदेह होने की स्थिति में पुनः जांच कार्य विभिन्न स्तरों पर किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप पकडे गए डमी व मूल अभ्यर्थियों के विरूद्ध अभी तक 10 प्रकरण दर्ज कराए जा चुके हैं। इसमें 2 प्रकरण 3 व 4 अक्टूबर 2023, 2 प्रकरण 14 तथा 27 दिसंबर 2023 एव 1 प्रकरण 10 जनवरी 2024 को दर्ज कराया जा चुका हैं।

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