– आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचन श्रृृंखला का तीसरा दिन

उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि संतों का मंगलवार को चातुर्मासिक मांगलिक प्रवचन हुए।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा की पावन निश्रा में महाविदेह क्षेत्र में विचरते 20 विहरमान जिनेश्वर श्रीसीमंधर स्वामी जी की भाव यात्रा करवाई गई।
उन्होने कहा कि भरत क्षेत्र में रहते हुए महाविदेह क्षेत्र में बिराजमान जो कि उनकी काया पांच सौ धनुष की, जिनका जन्म का समय सतरवें कुन्थुनाथ भगवान और अठारवें अरनाथ भगवान के अंतर काल में हुआ। पुष्कलावती विजय की पुंडरिकिणी नगरी में जन्म हुआ। पिता श्रेयांस माता सत्यकी और पत्नि का नाम रुक्मिणी था। दीक्षा और केवलज्ञान बीसवें मुनि सुव्रत स्वामी और नमिनाथ भगवान के अंतर काल में हुआ। छद्मस्थ काल उनका एक हजार वर्ष और चौरासी लाख पूर्व का आयुष्य था। चन्द्रायण यक्ष और दक्षिणी पंचांगुली देवी है। उन्होंने बताया कि हमें यहां पर ऐसा कर्म करता है कि महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर श्रीसीमंधर स्वामी के पास दीक्षा स्वीकार करके मोक्ष मंजिल को प्राप्त करते है। इस अवसर पर साध्वियों ने भावयात्रा के साथ श्रावक-श्राविका द्वारा आयंबिल तप की तपस्या भी करवाई गई।
जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला का आयोजन सुबह 9.15 बजे से होंगे। उन्होनें कहां कि शुक्रवार 7 जुलाई को पदमावती माता का जाप एवं एकासना किया जाएगा।
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