हिंदुस्तान जिंक का देबारी में स्वच्छता और हरित भविष्य की ओर एक ठोस कदम : ईवी कचरा वाहन से बदलेगा 3,000 ग्रामीण परिवारों का जीवन

उदयपुर। देबारी क्षेत्र में हिन्दुस्तान जिंक द्वारा उठाया गया ताज़ा कदम स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक प्रेरक उदाहरण बनकर उभरा है। बिछड़ी और जिंक स्मेल्टर ग्राम पंचायतों को इलेक्ट्रिक कचरा संग्रहण वाहन सौंपना न केवल एक बुनियादी सुविधा प्रदान करना है, बल्कि यह ग्रामीण जीवन में स्थायी और हरित बदलाव की दिशा में की गई एक दूरदर्शी पहल है।

इस पहल के माध्यम से लगभग तीन हजार परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा। ग्रामीण परिवेश में आज भी कचरा प्रबंधन की उचित व्यवस्था का अभाव है, जिससे न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है बल्कि स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। घर-घर जाकर कचरा एकत्र करने वाला यह ईवी वाहन इस कमी को दूर करेगा और एक संगठित, स्वस्थ और स्वच्छ प्रणाली स्थापित करेगा।

पर्यावरणीय दृष्टि से यह निर्णय और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि ये वाहन पूरी तरह से बैटरी से संचालित हैं। इससे न केवल डीज़ल या पेट्रोल के इस्तेमाल में कटौती होगी, बल्कि वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य प्रदूषक गैसों के उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय गिरावट आएगी। गांवों में अक्सर प्रदूषण की चर्चा शहरों की तुलना में कम होती है, लेकिन यह सच है कि जल और वायु प्रदूषण के प्रभाव अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी महसूस किए जा रहे हैं। ऐसे में हिन्दुस्तान जिंक की यह पहल गांवों को प्रदूषण-मुक्त बनाने की दिशा में कारगर कदम है।

स्वच्छता के स्तर पर यह पहल बेहद प्रभावी साबित होगी। अभी तक गांवों में बहुत से परिवार कचरे को खुले में फेंकने को मजबूर थे, जिससे नालियों का जाम होना, मच्छरों की भरमार, दुर्गंध और जलजनित रोग जैसे कई मुद्दे जन्म लेते थे। घर-द्वार से कचरा संग्रहण की सुविधा शुरू होने से इन समस्याओं पर काबू पाया जा सकेगा। इसके अलावा, यह पहल ग्रामीणों में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करने की आदत भी विकसित करेगी, जिससे आगे चलकर रिसाइकलिंग और खाद निर्माण जैसे सतत समाधान भी संभव होंगे।

हिन्दुस्तान जिंक की यह पहल उसके ईएसजी यानी पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासनिक उत्तरदायित्वों के प्रति गंभीरता को दर्शाती है। यह सिर्फ एक कंपनी की छवि सुधारने का प्रयास नहीं, बल्कि ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की सच्ची कोशिश है। खास बात यह है कि कम्पनी इससे पहले भी सरकारी विद्यालयों में शौचालय निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास के ज़रिए पाँच हज़ार से अधिक ग्रामीणों के जीवन में बदलाव ला चुकी है। बालिकाओं की शिक्षा में सुधार, स्वच्छ पीने के पानी की व्यवस्था और व्यक्तिगत स्वच्छता को लेकर ग्रामीणों में जागरूकता पैदा करना इन प्रयासों के प्रमुख परिणाम रहे हैं।

इस नए प्रयास के उद्घाटन समारोह में ग्राम पंचायत के सरपंच, उपसरपंच और अन्य पंचायत सदस्यों की मौजूदगी यह दर्शाती है कि स्थानीय नेतृत्व भी इस दिशा में गंभीर और सक्रिय है। पंचायत प्रतिनिधियों ने इसे स्वच्छ भारत मिशन के उद्देश्यों से जोड़ते हुए सराहा और इसे अपने गांव की सफाई व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव बताया। यह पहल सिर्फ स्वच्छता ही नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता, तकनीकी सशक्तिकरण और पर्यावरणीय जिम्मेदारी को भी मजबूत करती है।

ईवी आधारित कचरा प्रबंधन प्रणाली को अगर बड़े पैमाने पर अपनाया जाए, तो यह न केवल ग्रामीण भारत के लिए स्वच्छता का मॉडल बन सकती है, बल्कि भारत की सतत विकास की नीतियों में एक मील का पत्थर भी साबित हो सकती है। आज जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और कार्बन न्यूट्रल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रही है, ऐसे में देबारी जैसे गांवों में ऐसी पहलें देश को नीचे से ऊपर की ओर टिकाऊ परिवर्तन की दिशा में अग्रसर कर सकती हैं।

यह पहल साफ दर्शाती है कि पर्यावरणीय जागरूकता और स्वच्छता केवल सरकारी योजनाओं की मोहताज नहीं, बल्कि जब निजी क्षेत्र और स्थानीय समुदाय मिलकर काम करते हैं, तो उसका प्रभाव कहीं अधिक गहरा और दीर्घकालिक होता है। हिन्दुस्तान जिंक का यह प्रयास आने वाले वर्षों में अन्य ग्राम पंचायतों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन सकता है।

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