जयपुर की एक शांत कॉलोनी में जब सुबह की पहली धूप फैली, उसी समय एसीबी की टीम ने दरवाज़े खटखटाए — और दरवाज़े के पीछे से खुली एक ऐसी कहानी, जिसमें सरकारी वेतन और आलीशान संपत्तियों के बीच की दूरी किसी पहाड़ से कम नहीं थी।
यह कहानी है रामावतार मीणा की — एक अधिशाषी अभियंता, जो अब इंदिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान, जयपुर में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे। पहली नज़र में एक आम सरकारी अधिकारी, लेकिन जब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने उनके वित्तीय रिकॉर्ड की परतें खोलीं, तो सामने आया एक चौंकाने वाला आंकड़ा — 2.77 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति, यानी उनकी वैध आय से 115% ज़्यादा।
जांच की शुरुआत तब हुई जब ACB को गुप्त सूत्रों से सूचना मिली कि मीणा ने अपनी सरकारी नौकरी के दौरान कई जगहों पर महंगे भूखंड, मकान और ज़मीनें ख़रीदी हैं, जिनकी कीमत उनके घोषित आय स्रोतों से कहीं अधिक है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भूपेन्द्र (ACB, जयपुर नगर-प्रथम) को जांच का ज़िम्मा सौंपा गया। टीम ने महीनों तक गोपनीय निगरानी रखी — बैंक खातों से लेकर प्रॉपर्टी रजिस्ट्रियों तक, हर कड़ी को जोड़ा गया।
जो दस्तावेज़ सामने आए, वे हैरान करने वाले थे।
संपत्ति साम्राज्य का खुलासा
रामावतार मीणा के नाम और उनके परिवारजनों के नाम पर जयपुर, करौली और गंगापुर सिटी में करोड़ों की अचल संपत्तियां पाई गईं।
एक-एक कर इन संपत्तियों की फेहरिस्त लंबी होती गई:
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इंदिरा गांधी नगर, जयपुर: लाखों रुपये मूल्य के 6 बड़े भूखंड और मकान।
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रोहिणी नगर टीलावाला, जगतपुरा: मुख्य मार्ग महल रोड पर करोड़ों की जमीन।
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अचलपुरा, कोटखावदा (जयपुर): लाखों की कृषि भूमि।
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गंगापुर सिटी: मुख्य मार्ग और कॉलोनी क्षेत्र में महंगे प्लॉट।
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गांव खिरखिड़ा, करौली: एक आलीशान फार्म हाउस, जिसकी कीमत लाखों में आँकी गई।
इतना ही नहीं, एसीबी को उनके परिवार के नाम पर आधा दर्जन से अधिक बैंक खातों में भारी लेन-देन का रिकॉर्ड भी मिला।
छापेमारी : बारह ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन
एसीबी की टीम ने बुधवार सुबह एक साथ करीब एक दर्जन ठिकानों पर कार्रवाई शुरू की।
जांच का दायरा जयपुर से लेकर सवाईमाधोपुर और करौली तक फैला हुआ था।
छापेमारी जिन प्रमुख स्थानों पर की गई, उनमें शामिल हैं —
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इंदिरा गांधी नगर, जयपुर स्थित आवास
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कर्मचारी कॉलोनी, गंगापुर सिटी (सवाईमाधोपुर)
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ग्राम खिरखिड़ा (करौली) स्थित फार्म हाउस
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गांव धंधावली, पोस्ट सोमला सुरोठ, तहसील हिण्डौन स्थित पैतृक मकान
प्रत्येक ठिकाने से टीम को महंगे फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान, संपत्ति दस्तावेज़, नकदी और बैंकों के लेन-देन से जुड़े कागज़ात मिले।
आय से अधिक संपत्ति का गणित
एसीबी की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी की वैध आय की तुलना में अर्जित संपत्ति 115% अधिक है।
इसका अर्थ है कि जितनी वैध आमदनी उन्हें सरकारी सेवा से मिली, उससे दोगुनी संपत्ति का जाल उनके नाम और रिश्तेदारों के नाम पर बुना गया।
कानूनन यह मामला “भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(e) सहपठित धारा 13(2)” के अंतर्गत आता है, जिसमें दोषी पाए जाने पर जेल और संपत्ति ज़ब्ती दोनों का प्रावधान है।
इंजीनियर से एसोसिएट प्रोफेसर तक का सफ़र
रामावतार मीणा का करियर सामान्य रूप से शुरू हुआ था। वे राजस्थान सरकार के अभियंता पद पर नियुक्त हुए और वर्षों बाद इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान, जयपुर में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में पदस्थापित हुए।
यह संस्थान ग्रामीण विकास और पंचायत प्रशासन से जुड़ा एक प्रतिष्ठित केंद्र है, जहाँ पर वे प्रशिक्षण कार्यक्रमों और तकनीकी विषयों में अध्यापन का कार्य कर रहे थे।
लेकिन धीरे-धीरे, उनके आसपास संपत्ति और प्रभाव का विस्तार संदिग्ध होने लगा। उनके सहयोगियों के बीच भी चर्चा थी कि “सरकारी वेतन से इतनी रियल एस्टेट इम्पायर खड़ी नहीं हो सकती।”
ACB की रणनीति और कार्रवाई की टाइमलाइन
जांच अधिकारी भूपेन्द्र और उनकी टीम ने कार्रवाई को पूरी तरह गुप्त रखा।
सूत्रों के अनुसार, पिछले छह महीनों से टीम ने न केवल बैंक खातों की ट्रैकिंग की, बल्कि जमीनों के रजिस्ट्री रिकॉर्ड, बिजली बिल, संपत्ति कर और ट्रांजैक्शन हिस्ट्री तक जुटाई।
जैसे ही पर्याप्त साक्ष्य जुटे, जयपुर कोर्ट से सर्च वारंट प्राप्त किया गया और 12 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई।
आरोपी की प्रतिक्रिया और ACB का बयान
कार्रवाई के दौरान, मीणा ने प्रारंभ में एसीबी टीम के साथ सहयोग किया, परंतु कुछ सवालों पर टालमटोल की प्रवृत्ति दिखाई।
ACB अधिकारियों का कहना है कि “सभी दस्तावेज़ जब्त कर लिए गए हैं, और अब संपत्ति का मूल्यांकन आयकर विभाग और तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से कराया जाएगा।”
एक अधिकारी ने बताया —
“अब तक की जांच में जो संपत्तियां मिली हैं, वे उनकी वैध आय से कहीं अधिक हैं। आगे की जांच में यह भी देखा जाएगा कि कहीं यह संपत्ति किसी दलाल या बिचौलिये के माध्यम से तो अर्जित नहीं की गई।”
भ्रष्टाचार के विरुद्ध राजस्थान में लगातार कार्रवाई
यह मामला राजस्थान ACB की हालिया बड़ी कार्रवाइयों में से एक है। पिछले कुछ महीनों में, राज्य के कई विभागों में कार्यरत अधिकारियों पर आय से अधिक संपत्ति और रिश्वतखोरी के मामले दर्ज किए गए हैं।
ACB का कहना है कि “सरकारी सेवा में ईमानदारी और पारदर्शिता बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है,” और ऐसी कार्रवाई राज्य सरकार की “ज़ीरो टॉलरेंस टू करप्शन” नीति के तहत की जा रही है।
कानूनी प्रक्रिया का अगला चरण
रामावतार मीणा के खिलाफ अब विस्तृत वित्तीय ऑडिट कराया जाएगा। साथ ही, उनकी संपत्तियों के रजिस्ट्री दस्तावेज़ों की सत्यता, निवेश स्रोत, और रिश्तेदारों के बैंक खातों की जांच की जाएगी। यदि यह प्रमाणित हो जाता है कि संपत्तियां उनकी वैध आय से अधिक हैं, तो उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज कर अभियोजन स्वीकृति की प्रक्रिया शुरू होगी।
भ्रष्टाचार का सामाजिक पहलू
यह सिर्फ एक व्यक्ति का मामला नहीं है — यह उस व्यवस्था का आईना है, जहाँ एक अधिकारी की तनख्वाह से कई गुना महंगी संपत्तियां समाज की आंखों के सामने खड़ी हो जाती हैं, और तब तक कोई सवाल नहीं उठता जब तक एसीबी का दरवाज़ा नहीं खटखटाता।
यह कहानी बताती है कि कैसे “छोटी शुरुआत वाला भ्रष्टाचार धीरे-धीरे साम्राज्य बन जाता है।”
एक और चेतावनी भरी सुबह
जयपुर की वह सुबह जब एसीबी की गाड़ियाँ धूल उड़ाती हुई निकलीं, तब शहर ने एक और उदाहरण देखा —
कि “भ्रष्टाचार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, कानून की नज़र से बचना असंभव है।”
रामावतार मीणा का मामला फिलहाल जांच के अधीन है, लेकिन यह साफ़ है कि सरकारी सेवा में पारदर्शिता की कसौटी पर हर अधिकारी को परखा जाएगा।
यह कहानी सिर्फ एक अभियंता की नहीं, बल्कि उस मानसिकता की है जहाँ सत्ता और संपत्ति के बीच की दूरी मिट जाती है — और फिर शुरू होता है भ्रष्टाचार का खेल।
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