उदयपुर। रोशनी और मोहब्बत से सजी हुई गलियाँ, इश्क़-ए-रसूल ﷺ से महकता माहौल, और अकीदतमंदों का सैलाब… ऐसा मंजर था जब जुलूस-ए-मोहम्मदी 5 सितम्बर, बरोज़े-जुमुआ नमाज़-ए-जुमुआ के बाद अंजुमन चौक से रवाना हुआ। अंजुमन तालीमुल इस्लाम के सेक्रेट्री एडवोकेट मुस्तफा शेख ने बताया कि सवीना और ख़ांजीपीर के जुलूस जब अंजुमन पहुंचे तो इस ऐतिहासिक आग़ाज़ ने शहर की रूह को एक नई रोशनाई बख़्श दी।
हर तरफ़ “नारे-तकबीर” और “मरहबा” की सदाएं थीं। सलाम और नात की महकती आवाज़ों के बीच जब हजारों अकीदतमंदों का कारवां सिंधी बाज़ार, बड़ा बाज़ार, घंटाघर, मोती चोहट्टा, हरबेन्जी का खुर्रा, हाथीपोल, सिलावटवाड़ी, बिच्छुघाटी, जाटवाड़ी, नई पुलिया, अंबावगढ़ कच्ची बस्ती और आयुर्वेदिक कॉलेज चौराहा से गुज़रता हुआ चरक छात्रावास मार्ग से होकर रज़ा कॉलोनी बड़ी मस्जिद पहुंचा तो शहर की गलियां रूहानी नूर से जगमगाने लगीं।
“सजदे में झुक गए सर, दुआओं का आलम,
गली-गली गूँजा नारा-ए-सलाम।”
हाथीपोल में आयड़, धोली बावड़ी, पहाड़ा, आलू फ़ैक्ट्री और दीगर मोहल्लों के जुलूस भी आकर इस समंदर में शामिल हो गए। जुलूस का नज़ारा मानो एक जश्न-ए-वफ़ा बन गया हो, जहां हर दिल एक ही धड़कन में कह रहा था: “मरहबा या नबी ﷺ”।
इस बार अंजुमन की तरफ़ से सफ़ेद ड्रेस कोड रखा गया था, जिसे अकीदतमंदों ने बड़े शौक़ और सरोश से अपनाया। शहर की तमाम मोहल्ला कमेटियां, दरगाह कमेटियां, मदरसे और स्कूलों के मासूम बच्चे तिलावत, नात और सलाम पेश करते रहे।
मौके पर शहर के नामवर आलिमे-दीन – मौलाना जुलकरनैन, मुफ़्ती अहमद हुसैन, मौलाना आस मोहम्मद – मौजूद रहे। अंजुमन कमेटी से सदर मुख़्तार अहमद क़ुरैशी, सेक्रेट्री मुस्तफा शेख, नायब सदर फ़ारूख क़ुरैशी, जॉइंट सेक्रेट्री इज़हार हुसैन, कैबिनेट मेम्बर अनीस रज़ा (जुलूस कोऑर्डिनेटर), फ़ख़रुद्दीन शेख, तौकीर मोहम्मद, तनवीर चिश्ती, फ़िरोज़ बशीर, सिराज मोहम्मद, आदिल शेख, इरशाद ख़ान और दीगर मौतबिरान व नौजवान शामिल हुए।
जुलूस का मुक़ाम दरगाह बड़े मौलाना जहीरुल हसन साहब, हज़रत इमरत रसूल शाह रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह रहा, जहां मुफ़्ती जहीरूल हसन रहमतुल्लाह अलैह की मजार शरीफ़ पर उर्स के मौक़े पर चादर शरीफ़ पेश की गई। यह मंजर देखने वालों की आंखें भी भीग गईं और दिल भी।
“गली-गली थी रौनक, सजी थी महफ़िलें,
नूर बरसा आसमां से, दिलों में थी चमक।”
जुलूस के बाद लेकसिटी ट्रेवल्स, मुख़्तयार, मुफ़फ़र हुसैन और अब्दुल फ़रीद ख़ान की तरफ़ से मुफ़्त बस सेवा दी गई, जिसने अकीदतमंदों की आसान सफ़र में बड़ी मदद की।
प्रवक्ता राशिद ख़ान ने बताया कि ईद-ए-मिलादुन्नबी का यह जुलूस सिर्फ़ एक जलूस नहीं बल्कि इश्क़-ए-रसूल ﷺ की ज़िंदा तस्वीर था, जो रात 10 बजे अपने मुकम्मल इख़्तिताम तक पहुंचा।
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