
जयपुर। राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री और राज्यसभा सांसद अश्क अली टाक का रविवार देर रात लंबी बीमारी के बाद इंतकाल हो गया। वे पिछले कई महीनों से अस्वस्थ चल रहे थे, लेकिन अंतिम समय तक पार्टी संगठन और कार्यकर्ताओं से जुड़े रहे। सोमवार सुबह उन्हें जयपुर के विद्याधर नगर कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया। उनके इंतकाल की खबर से कांग्रेस और राज्य की सियासत में गहरा शोक व्याप्त है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए लिखा—“अश्क अली टाक के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। उन्होंने अपनी लंबी राजनीतिक यात्रा में कई मुकाम हासिल किए। पार्टी संगठन को मजबूत करने में उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। उनका जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है।”
गहलोत ने याद किया कि टाक ने अपने कार्यकाल में प्रदेश के लगभग हर जिले का दौरा किया और संगठन को नई ऊर्जा दी। “ऐसे दौरे बहुत कम लोग कर पाते हैं,” उन्होंने कहा।
अश्क अली टाक राजस्थान कांग्रेस के उन दुर्लभ नेताओं में से थे जिन्होंने छात्र राजनीति से लेकर संसद तक का लंबा सफर तय किया। वे NSUI और यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके थे। इसके बाद उन्होंने राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन के रूप में भी काम किया। राज्यसभा में उन्होंने अल्पसंख्यक अधिकारों, शिक्षा और सामाजिक समानता से जुड़े मुद्दों को प्रभावशाली ढंग से उठाया। उनकी पहचान एक सौम्य, व्यावहारिक और संवादप्रिय नेता के रूप में रही।
राजनीति में सादगी और सेवा की मिसाल
टाक का जीवन सादगी, अनुशासन और सेवा का पर्याय था। वे अपनी बीमारी के बावजूद अधिकांश राजनीतिक कार्यक्रमों में उपस्थिति दर्ज कराते रहे। उनका यह समर्पण उन्हें युवाओं और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच बेहद लोकप्रिय बनाता था।
राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी उनके विनम्र स्वभाव के कायल थे।
राजस्थान की मुस्लिम लीडरशिप में आई कमी
अश्क अली टाक के निधन से राजस्थान में मुस्लिम राजनीतिक नेतृत्व को बड़ा झटका लगा है। वर्तमान में रफीक पठान और अमीन कागजी जैसे विधायक सक्रिय हैं, लेकिन जयपुर के बाहर उनका प्रभाव सीमित माना जाता है। टाक की एक विशेषता यह थी कि वे प्रदेशस्तर पर मुस्लिम समुदाय की आवाज़ बन चुके थे — चाहे वह कांग्रेस संगठनात्मक ढांचे में हो या विधानमंडल में।
उनके जाने से कांग्रेस के भीतर अल्पसंख्यक नेतृत्व की एक पीढ़ी समाप्त होती दिख रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि “टाक का जाना केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक दौर का अंत है। वे कांग्रेस और मुस्लिम समुदाय के बीच एक मजबूत सेतु की तरह थे।”
राजनीतिक जगत में शोक की लहर
उनके निधन की खबर फैलते ही कांग्रेस, बीजेपी, और अन्य दलों के नेताओं ने श्रद्धांजलि व्यक्त की। पूर्व सांसदों, विधायकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर टाक के योगदान को याद किया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और कई वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें “ईमानदार, संघर्षशील और सौम्य व्यक्तित्व” बताया।
अश्क अली टाक उन नेताओं में से थे जिनकी राजनीति किसी धर्म, जाति या क्षेत्र तक सीमित नहीं रही। वे हर तबके से संवाद करते थे और कांग्रेस के “ग्राउंड लेवल नेटवर्क” को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। उनका निधन राजस्थान की राजनीतिक स्मृति में एक स्थायी शून्य छोड़ गया है।
राजनीति में विनम्रता, ईमानदारी और जनसंपर्क की जो मिसाल उन्होंने कायम की, उसे आने वाली पीढ़ियां लंबे समय तक याद रखेंगी।
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