
उदयपुर | उदयपुर में 11-12 अक्टूबर को आयोजित होने जा रही इंटरनेशनल प्रकृति कॉन्फ्रेंस (IPCU-2025) की तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं। यह आयोजन न केवल भारत के पर्यावरण शोध समुदाय के लिए एक अहम पड़ाव साबित होने जा रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय संवाद और नवाचार की दिशा में भी एक ठोस कदम है।
कॉन्फ्रेंस का आयोजन HCM RIPA, Udaipur (OTC परिसर) में किया जाएगा, जहाँ देश-विदेश से पर्यावरणविद, शिक्षाविद और शोधकर्ता जुटेंगे।
प्रकृति रिसर्च सोसायटी के चेयरमैन प्रो. पीआर व्यास ने बताया कि इस वर्ष सम्मेलन में भारत के 12 रीजनल सेंटरों से जुड़े लगभग 200 पर्यावरणविद् और शोधकर्ता अपनी गतिविधियों को प्रदर्शनी और पोस्टर सत्र के रूप में प्रस्तुत करेंगे।
प्रकृति रिसर्च सोसाइटी (PRS-U), जो देशभर में पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय है, अपने प्रत्येक क्षेत्रीय केंद्र की पहलों को 3×4 फीट आकार के पोस्टरों में प्रदर्शित करेगी। इन केंद्रों में अहमदाबाद, बांसवाड़ा, चूरू, गढ़वाल-श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर, उज्जैन, पुणे, इलाहाबाद और वाराणसी प्रमुख हैं।
इससे यह भी स्पष्ट होता है कि संगठन न केवल शोध-आधारित गतिविधियों पर बल दे रहा है, बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर जागरूकता, वृक्षारोपण और सामाजिक सहभागिता जैसे अभियानों को भी प्राथमिकता दे रहा है।
प्रो. व्यास बताते हैं कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय “प्रकृति रिसर्च सोसाइटी, उदयपुर (PRS-U)” ने अपने गठन के केवल छह महीनों के भीतर उल्लेखनीय कार्य कर दिखाया है।
16 अप्रैल 2025 को राजस्थान सोसाइटीज़ एक्ट के तहत विधिवत रूप से पंजीकृत इस संस्था ने अल्प समय में ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना ली है।
इसी उपलब्धि का प्रतीक बनकर 11–12 अक्टूबर को आयोजित होने जा रही इंटरनेशनल प्रकृति कॉन्फ्रेंस उदयपुर (IPCU-2025) चर्चा का केंद्र बनी हुई है।
उन्होंने बताया कि IPCU-2025 का मूल उद्देश्य प्रकृति, पर्यावरण और सतत विकास पर केंद्रित अकादमिक विमर्श को नई दिशा देना है। वर्तमान में जब जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की हानि और प्रदूषण जैसे संकट विश्व के सामने चुनौती बने हुए हैं, तब यह सम्मेलन समाधान-आधारित संवाद का मंच बनेगा।
इस सम्मेलन के 9 तकनीकी सत्र, 1 वर्चुअल सत्र, और 2 पैनल डिस्कशन होंगे, जिनमें लगभग 115 शोध-पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। ये सत्र न केवल शोध-आधारित होंगे, बल्कि नीति-निर्माताओं, शिक्षाविदों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के अनुभवों को साझा करने का भी अवसर देंगे।
अंतरराष्ट्रीय भागीदारी : सीमाओं से परे पर्यावरण संवाद
सम्मेलन का एक विशेष आकर्षण इसका वर्चुअल सत्र होगा, जिसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और दुबई सहित कई देशों से पर्यावरणविद जुड़ेंगे।
यह वैश्विक सहभागिता इस बात का संकेत है कि उदयपुर में आयोजित यह सम्मेलन अब केवल राष्ट्रीय स्तर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इंटरनेशनल इकोलॉजिकल रिसर्च नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म में परिवर्तित हो रहा है।
सम्मान और प्रेरणा के प्रतीक : ‘प्रकृति रत्न’, ‘प्रकृति प्रहरी’ और ‘प्रकृति प्रेमी’
सम्मेलन के दौरान 10 प्रमुख पर्यावरणविदों को ‘प्रकृति रत्न’, ‘प्रकृति प्रहरी’ और ‘प्रकृति प्रेमी’ पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा।
यह सम्मान उन लोगों को दिया जाएगा जिन्होंने समाज में पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता और जल-संसाधन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान दिया है।
इस तरह के पुरस्कार न केवल व्यक्तियों को सम्मानित करते हैं बल्कि युवा शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता भी बढ़ाते हैं।
वैज्ञानिकता और सांस्कृतिकता का संगम
IPCU-2025 की एक विशिष्टता यह भी है कि इसमें शोध और संस्कृति दोनों का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलेगा। सम्मेलन में प्रो. पी. आर. व्यास, संस्थापक एवं चेयरमैन, द्वारा रचित संस्था गीत “संस्था गीत एंड प्रेम सिंह भंडारी” संगीतबद्ध रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, जिसे डॉ. पामिल और उनकी टीम के स्वरों में गाया जाएगा।
गीत का विमोचन प्रो. सुधेश नंगिया (JNU, नई दिल्ली) द्वारा किया जाएगा।
इस तरह का सांस्कृतिक आयाम वैज्ञानिक संवाद में भावनात्मक और प्रेरक जुड़ाव जोड़ता है।
कॉन्फ्रेंस के दौरान संस्था का फ्लैग रोहन (ध्वजारोहण) अखिलेश जोशी, पूर्व CEO, हिंदुस्तान जिंक, के करकमलों से किया जाएगा — जो इस आयोजन की गरिमा को और बढ़ाता है।
इस सम्मेलन में प्रस्तुत किए जाने वाले 115 शोध-पत्र पर्यावरणीय चुनौतियों के विविध पहलुओं — जैसे जल प्रबंधन, प्लास्टिक प्रदूषण, ऊर्जा संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन और सामुदायिक भागीदारी — पर केंद्रित होंगे।
इन शोधों से न केवल नए विचारों का आदान-प्रदान होगा, बल्कि यह भी तय होगा कि भारत के पर्यावरण शोध संस्थान आने वाले वर्षों में किस दिशा में आगे बढ़ेंगे।
प्रो. व्यास के नेतृत्व में प्रकृति रिसर्च सोसाइटी अब एक ऐसा मंच बन चुका है जो शोध, सामाजिक जागरूकता और नीति-निर्माण के बीच एक सेतु का कार्य कर रहा है।
उदयपुर से उठती पर्यावरण चेतना की गूंज
उदयपुर की यह अंतरराष्ट्रीय प्रकृति कॉन्फ्रेंस केवल एक शैक्षणिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भारत की पर्यावरण चेतना की नई अभिव्यक्ति है। देश के कोने-कोने से आए प्रतिभागियों, अंतरराष्ट्रीय सहभागिता और शोध-आधारित विमर्शों के जरिए IPCU-2025 यह साबित करने जा रहा है कि प्रकृति का संरक्षण केवल एक नीति नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन है।
यह सम्मेलन पर्यावरण-सम्बंधी संवाद को अकादमिक दीवारों से बाहर निकालकर जनसरोकारों से जोड़ने का प्रयास है — जहां विज्ञान, संस्कृति और संवेदना तीनों एक सूत्र में बंधे हैं।
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