रुझानों में फिर नीतीश की वापसी : NDA बहुमत की ओर, महागठबंधन पिछड़ा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना के शुरुआती रुझानों ने राज्य की राजनीतिक दिशा लगभग स्पष्ट कर दी है। अब तक के आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार नेतृत्व वाला गठबंधन सत्ता की ओर बढ़ रहा है। NDA 138 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जो बहुमत के लिए आवश्यक 122 के आंकड़े से काफी ऊपर है। इसके मुकाबले महागठबंधन 68 सीटों पर आगे दिखाई दे रहा है, जो विपक्ष की उम्मीदों के विपरीत कमजोर प्रदर्शन को दर्शाता है।

243 सदस्यीय विधानसभा में NDA की शुरुआती बढ़त बताती है कि इस चुनाव में मतदाता ने स्थिरता और स्थापित नेतृत्व को प्राथमिकता दी है। यह रुझान खास इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रचंड मतदान (67.10%) ने यह संकेत दिया था कि चुनाव में भारी एंटी-इंकम्बेंसी भी सक्रिय हो सकती है। लेकिन मौजूदा आंकड़े बताते हैं कि उच्च मतदान का लाभ विपक्ष की बजाय NDA को मिलता दिख रहा है।

PS–PK फैक्टर और छोटे दलों की भूमिका

प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज को शुरुआती रुझानों में दो सीटों पर बढ़त मिली है। ये भले ही संख्या में कम हों, लेकिन राज्य की पारंपरिक द्विध्रुवीय राजनीति में यह संकेत देते हैं कि नई राजनीतिक जमीन तैयार हो रही है।
वहीं स्वतंत्र उम्मीदवार और अन्य दल कुल मिलाकर 5 सीटों पर आगे हैं, जो स्थानीय असंतोष और क्षेत्रीय समीकरणों की झलक पेश करते हैं।

VIP सीटें: यादव बनाम NDA

राघोपुर से तेजस्वी यादव ने NDA प्रत्याशी सतीश यादव पर बढ़त बना ली है। यह सीट न सिर्फ तेजस्वी की पहचान है, बल्कि महागठबंधन के लिए मनोबल बढ़ाने वाली भी मानी जाती है।

महुआ से तेजप्रताप यादव भी बढ़त बनाए हुए हैं, जिससे यादव परिवार दोनों प्रमुख सीटों पर मजबूत स्थिति में दिख रहा है।

दूसरी ओर सम्राट चौधरी पीछे चल रहे हैं, जो NDA के भीतर नेतृत्व और भविष्य की राजनीति पर प्रभाव डाल सकता है।

सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियाँ

राज्य में बढ़ते राजनीतिक तापमान को देखते हुए प्रशासन सतर्क है—

मोतिहारी में काउंटिंग सेंटर के बाहर वाटर कैनन तैनात की गई है।

पटना में मुख्यमंत्री निवास के आसपास सुरक्षा बढ़ाई गई है।

सभी जिलों के मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई है, जिससे किसी भी तनावपूर्ण स्थिति से निपटा जा सके।

रिकॉर्ड मतदान ने बदली चुनावी बिसात

2025 का यह चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक रहा, खासतौर पर 67.10% वोटिंग—जो 2020 की तुलना में लगभग 10% अधिक है। अधिक मतदान आमतौर पर सत्ता विरोधी लहर की ओर इशारा करता है, लेकिन इस बार वोटर व्यवहार उलट तस्वीर दिखा रहा है।
उच्च मतदान दर के बावजूद NDA की बढ़त बताती है कि ग्रामीण और महिला वोटरों ने एक बार फिर सरकार पर भरोसा जताया है।

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