नंद घर : वेदांता की 10,000 रोशनियों से जगमगाता नया भारत

उदयपुर। बाल दिवस के इस खास अवसर पर जब देशभर के बच्चे मुस्कुरा रहे थे, तभी एक और मुस्कान पूरे भारत में फैल रही थी — वेदांता समूह की “नंद घर” पहल की 10,000वीं केंद्र की स्थापना। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि 16 राज्यों के गांवों में फैले चार लाख बच्चों और तीन लाख महिलाओं के जीवन में आया उजाला है।

अनिल अग्रवाल फाउंडेशन (AAF) की यह ऐतिहासिक उपलब्धि भारत के सामाजिक विकास की यात्रा में एक नया अध्याय लिख रही है। नंद घर — जो कभी एक सपना था, आज ग्रामीण भारत में सशक्तिकरण, शिक्षा और आशा का प्रतीक बन चुका है।

एक सपना, जो गांव-गांव तक पहुंचा

वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल का सपना सीधा और मानवीय था — “हर बच्चे को पोषण और शुरुआती शिक्षा मिले, और हर महिला अपने पैरों पर खड़ी हो सके।”

इस एक सोच ने एक ऐसी मुहिम को जन्म दिया जिसने अब तक 16 राज्यों में 10,000 नंद घर स्थापित कर दिए हैं। इन केंद्रों ने न केवल लाखों बच्चों को पोषण और शिक्षा दी, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भरता और सम्मान का मार्ग भी दिखाया।

राजस्थान में ही 6,600 से अधिक नंद घर सक्रिय हैं, जिनके संचालन में हिंदुस्तान जिंक की भूमिका बेहद अहम है। राज्य के 27 जिलों में फैले इन आधुनिक आंगनवाड़ियों ने लगभग 3.7 लाख महिलाओं और बच्चों के जीवन को छुआ है।

आंगनवाड़ी से आधुनिक ‘नंद घर’ तक

नंद घर का विचार पारंपरिक आंगनवाड़ी व्यवस्था को डिजिटल और सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलने का है। भारत सरकार की एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) — जो इस वर्ष 50 वर्ष पूरे कर रही है — के अनुरूप, नंद घर ने आंगनवाड़ियों को एक नया चेहरा दिया है।

हर नंद घर एक “मॉडल सेंटर ऑफ चेंज” है — स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल लर्निंग मॉड्यूल, विश्वसनीय बिजली और स्वच्छ पेयजल, स्वच्छ शौचालय और बच्चों के अनुकूल फर्नीचर, पौष्टिक भोजन और नियमित स्वास्थ्य जांच, यह सब मिलकर एक ऐसा माहौल बनाते हैं, जहां बच्चे सिर्फ पढ़ते नहीं, बल्कि खुश होकर सीखते हैं।

महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता की पाठशाला

नंद घर सिर्फ बच्चों के लिए नहीं है — यह महिलाओं के लिए भी अवसरों का द्वार है।
कौशल प्रशिक्षण, सिलाई-कढ़ाई, हस्तकला और डिजिटल शिक्षा जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से हजारों महिलाएं अब हर महीने ₹10,000 तक की कमाई कर रही हैं।

ओडिशा की रेखा मुस्कुराते हुए कहती हैं, “नंद घर ने हमारे गांव की महिलाओं को देखने का नजरिया बदल दिया। मैंने नए कौशल सीखे, कमाई शुरू की और अब दूसरों को भी सिखा रही हूं।”

यह बदलाव सिर्फ आर्थिक नहीं है — यह आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की कहानी है।

राजस्थान की मिट्टी में गूंजता विश्वास

राजस्थान में “नंद घर दीदी” सुनीता देवी की आवाज़ गर्व से भर जाती है — “पहले आंगनवाड़ी एक छोटा कमरा भर थी। आज हमारा नंद घर गांव का गौरव है! बच्चे खुशी से आते हैं और माताएँ हम पर भरोसा करती हैं।”

इन शब्दों में वही ऊर्जा है जो नंद घर के हर ईंट-पत्थर में समाई है। रेगिस्तानी गांवों में जहां पहले सन्नाटा होता था, अब बच्चों की हंसी और गीत गूंजते हैं।

सशक्त भारत की नई नींव

नंद घर के पोषण कार्यक्रमों ने अब तक 80 लाख से अधिक पोषण सप्लिमेंट वितरित किए हैं। नियमित स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण अभियानों से 90 लाख से अधिक लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंची हैं। साथ ही, डिजिटल मॉड्यूल्स के जरिए क्षेत्रीय भाषाओं में प्री-स्कूल एजुकेशन को नई दिशा मिली है।

यह सब मिलकर नंद घर को ग्रामीण विकास का एक दोहराने योग्य मॉडल बना रहा है — जहां सरकारी प्रयास और निजी क्षेत्र की प्रतिबद्धता हाथ मिलाकर काम कर रहे हैं।

तकनीक और टिकाऊ ऊर्जा का संगम

हर नंद घर में तकनीकी सुविधाएं और सौर ऊर्जा का उपयोग इस पहल को सस्टेनेबल बनाता है। यह केवल एक इमारत नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा में उठाया गया कदम है — जहां हर बच्चा डिजिटल साक्षरता से लैस होगा और हर महिला आर्थिक रूप से स्वतंत्र।

अनिल अग्रवाल का संदेश : हर नंद घर उम्मीद का प्रतीक है- बाल दिवस पर अनिल अग्रवाल ने कहा — “जब हमने नंद घर की शुरुआत की थी, हमारा सपना बहुत सीधा था। आज 10,000 नंद घर पूरे करते हुए वह सपना सच होता दिख रहा है। यह भारत सरकार, राज्य सरकारों और समुदायों के सहयोग से संभव हुआ है।”

उनका लक्ष्य और भी बड़ा है — 8 करोड़ बच्चों और 2 करोड़ महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने का। वह इसे भारत की सामाजिक क्रांति की दिशा में अगला बड़ा कदम मानते हैं।

त्योहारों जैसा जश्न : जब गांवों में गूंजा बाल दिवस

इस वर्ष का बाल दिवस खास बन गया जब देशभर में नंद घरों में 10,000 केंद्र पूरे होने का जश्न मनाया गया। बच्चों ने चित्रकला, कहानी सुनाने और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से इस दिन को यादगार बनाया। राजस्थान, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में एक ही सुर सुनाई दिया — “हमारा नंद घर, हमारा गर्व।”

आगे की राह : 25,000 नंद घरों का संकल्प

अगले दो वर्षों में केवल राजस्थान में 25,000 नंद घर स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे करीब 20 लाख लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की उम्मीद है।
यह सार्वजनिक और निजी साझेदारी (PPP) के क्षेत्र में एक नए मानदंड की स्थापना करेगा।

एक उजले भविष्य की नींव

नंद घर आज सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि एक आंदोलन है — जो हर बच्चे की आंखों में उजाला और हर महिला के कदमों में आत्मविश्वास भर रहा है। राजस्थान के धूलभरे गांवों से लेकर आंध्र के समुद्री तटों तक, यह कहानी एक ही बात कहती है —
“जहां शिक्षा और सशक्तिकरण साथ चलते हैं, वहीं से बदलता है भारत का भविष्य।”

नंद घर सिर्फ दीवारों से नहीं बनता — यह सपनों, विश्वास और सहयोग से बनता है।
और जब देश के हर गांव में एक नंद घर खड़ा होगा, तब सच में पूरा भारत मुस्कुराएगा।

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