मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी मस्जिद’ के नाम पर मस्जिद की नींव, बंगाल की राजनीति में बढ़ी हलचल, बीजेपी ने कहा-ममता आग से खेल रही है?

 

मुर्शिदाबाद। मुर्शिदाबाद में तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर ने शनिवार को ‘बाबरी मस्जिद’ के नाम से एक मस्जिद परियोजना की नींव रखी, जिसके बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है। रेजीनगर और बेलडांगा क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा के बीच कबीर ने समर्थकों की भारी भीड़ की मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से फीता काटकर शिलान्यास किया। समारोह में “नारा-ए-तकबीर, अल्लाहु अकबर” के नारे लगाए गए और बड़ी संख्या में लोग सुबह से ही वहां जुटने लगे थे।

कबीर ने दावा किया कि इस कार्यक्रम में तीन से चार लाख लोग शामिल हुए और मस्जिद के साथ एक इस्लामिक हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेज, होटल-रेस्टोरेंट, पार्क और हेलीपैड समेत करीब 300 करोड़ रुपये की परियोजना विकसित की जाएगी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय का उन्हें व्यापक समर्थन मिल रहा है और 22 दिसंबर को वे अपनी नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा करेंगे।

इस कार्यक्रम ने भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच नए आरोप-प्रत्यारोप को जन्म दिया। भाजपा नेता अमित मालवीय ने ममता बनर्जी पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री “आग से खेल रही हैं।” भाजपा का आरोप है कि कबीर और उनके समर्थकों को पुलिस का खुला समर्थन प्राप्त है और मस्जिद निर्माण के लिए सामग्री लाने तक में उन्हें रोक नहीं गया।

केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि ममता बनर्जी ने कबीर को केवल दिखावे के लिए निष्कासित किया है और यदि वे वास्तव में इस परियोजना के खिलाफ होतीं तो कबीर को गिरफ्तार किया जा सकता था। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि कबीर पहले भी हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ बयान देते रहे हैं, फिर भी टीएमसी ने पहले कभी उन पर कार्रवाई नहीं की।

टीएमसी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भाजपा बंगाल में धार्मिक तनाव फैलाने की कोशिश कर रही है। टीएमसी नेता सायोनी घोष ने कहा कि 2026 के चुनाव में ममता बनर्जी इतिहास रचेंगी और भाजपा की सभी रणनीतियाँ विफल होंगी। उन्होंने कहा कि कोई भी मंदिर या मस्जिद बना सकता है, लेकिन अगर किसी का उद्देश्य धार्मिक उन्माद फैलाना है, तो उसके पीछे भाजपा की फंडिंग और उकसावे को देखा जाना चाहिए।

हुमायूं कबीर का राजनीतिक सफर कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है। वे कांग्रेस से राजनीति में आए, 2012 में टीएमसी में शामिल हुए, 2015 में पार्टी विरोधी बयान पर निष्कासित हुए, 2018 में भाजपा में गए और 2021 में फिर टीएमसी में लौट आए। कई बार विवादित बयान देने के कारण वे सुर्खियों में रहे हैं। हालांकि पार्टी से निष्कासन के बावजूद वे अभी भी भरतपुर से विधायक बने हुए हैं।

6 दिसंबर की तारीख, जब 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी, इस कार्यक्रम के कारण एक बार फिर राजनीतिक रूप से संवेदनशील हो गई है। मुर्शिदाबाद और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और इस मुद्दे ने बंगाल की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है।

 

 

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