भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(2) के प्रावधानों को समझाया विस्तार से

उदयपुर। जिला कलक्टर श्री अरविंद पोसवाल और जिला पुलिस अधीक्षक श्री भुवन भूषण ने बुधवार को दी उदयपुर ट्रांसपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के पदाधिकारियों व वाहन चालकों के साथ संक्षिप्त चर्चा शिविर आयोजित कर भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(2) को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों को दूर किया। प्रतापनगर स्थित ट्रांसपोर्ट नगर में आयोजित इस आयोजन के दौरान एडीएम शैलेष सुराणा व राजीव द्विवेदी, एएसपी डॉ प्रियंका, आरटीओ पीएल बामनिया, एआरटीओ अनिल पंड्या, ट्रांसपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन अध्यक्ष नरेंद्र सिंह राणावत सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।
जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक ने सर्वप्रथम उपस्थित ट्रांसपोर्टर्स व वाहन चालकों में नए कानून को लेकर व्याप्त भय व आशंकाओं के संबंध में पूरी जानकारी ली। इसके बाद एक-एक कर उनकी जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए उनकी आशंकाओं को दूर किया। उन्होने कहा कि कानून को लेकर सोशल मीडिया पर कई प्रकार की अफवाहें चल रही हैं जिसके चलते भ्रम की स्थिति बन गई है। लेकिन नए कानून में कुछ भी ऐसा नहीं है जो वाहन चालकों की सुरक्षा के विरुद्ध हो। जिला कलक्टर ने अपने संबोधन में कहा कि नए कानून की धारा 106(2) सिर्फ व्यावसायिक वाहन चालकों ही नहीं बल्कि सभी प्रकार के वाहन चालकों पर लागू है। असामाजिक तत्वों के बहकावे में आकर अफवाहों पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए। नए कानून के प्रावधानों की मंशा दुर्घटना में घायल की जान बचाने की है, किसी को अनावश्यक परेशान करना नहीं। जिला पुलिस अधीक्षक ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 134 में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। इसमें वाहन चालकों की सुरक्षा बरकरार है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(2) के अनुसार दुर्घटना की स्थिति में वाहन चालक दुर्घटना स्थल पर रूकने व पहचान प्रदर्शित करने को बाध्य नहीं है। उसे इसकी जानकारी या रिपोर्ट निकटस्थ पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को देनी होगी ताकि समय पर घायल को उचित सहायता प्राप्त हो सके। कानून का मुख्य उद्देश्य सड़क दुर्घटना के मामलों में मेडीकल सुविधा एवं पुलिस सहायता उपलब्ध करवाना है ताकि आहत व्यक्ति की जान बचाई जा सके। आरटीओ पीएल बामनिया ने कहा कि सरकार दंड संहिता की बजाय न्याय संहिता ला रही जिसमें दंड की बजाय न्याय पर जोर दिया जा रहा है।

ट्रांसपोर्टर्स व वाहन चालकों ने किए सवाल, अधिकारियों ने दिए जवाब
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित जन ने “हिट एंड रन” की असल परिभाषा क्या है, कमर्शियल वाहन चालक प्रशिक्षित होते हैं जो आमतौर पर लापरवाही नहीं करते तो क्यों न उन्हे नए कानून की धारा के दायरे से बाहर रखा जाए, दुर्घटनाओं में गलती हमेशा बड़े वाहन के चालक की ही क्यों होती है जैसे सवाल किए। जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक ने सभी सवालों के संतोषप्रद जवाब देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। वाहन चालक द्वारा दुर्घटना की सूचना देने के लिए विशेष टोल फ्री नंबर का प्रावधान किए जाने का सुझाव भी ट्रांसपोर्टर्स ने रखा।
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