-माहेश्वरी समाज ने किया कारसेवकों का सम्मान
-परदेसी पामणे भी पहुंचे छप्पन भोग समझने
उदयपुर। अयोध्या में सोमवार को श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव पर उदयपुर में माहेश्वरी समाज की ओर से भी दिन भर विविध आयोजन रखे गए। समाज के धानमण्डी स्थित भगवान श्रीजानकीरायजी मंदिर में छप्पन भोग का मनोरथ हुआ, शोभायात्रा निकाली गई, रंगोली सजाई गई और कारसेवकों का सम्मान किया गया। इस दौरान समाज के महिला संगठन की ओर से भजन-कीर्तन किए गए और समाज के महेश घोष दल द्वारा घोष वादन किया गया।
माहेश्वरी पंचायत धानमण्डी के अध्यक्ष जमनेश धुप्पड़ ने बताया कि दोपहर में प्राण प्रतिष्ठा के समय अभिजीत मुहूर्त में धानमण्डी हनुमान चौक में स्थित भगवान जानकीराय मंदिर में विशेष आरती हुई। भजन-कीर्तन हुए और महेश घोष दल ने घोष वादन किया। विशेष आरती के पश्चात आतिशबाजी की गई और प्रसाद बांटा गया।
इसके बाद, कार्यक्रम का दूसरा चरण शाम पांच बजे शुरू हुआ। माहेश्वरी सेवा सदन तीज का चौक में समाज की महिलाओं ने रंगोली बनाई। सांध्यवेला में भगवान जानकीराय को संध्या आरती के बाद शोभायात्रा के साथ मंदिर से शोभायात्रा के रूप में हनुमान चौक, बड़लेश्वर महादेव मंदिर, संतोषी माता मंदिर होते हुए तीज का चौक स्थित माहेश्वरी सेवा सदन में लाया गया। शोभायात्रा में आगे समाज का महेश घोष दल घोष वादन करते हुए चला।
इसके बाद श्रीराम लक्ष्मण जानकी और हनुमानजी की झांकी रही। इसके बाद समाज के युवा रजत पालकी में बिराजमान ठाकुरजी को लेकर जयकारे लगाते चले। मार्ग के आए मंदिरों के समक्ष शोभायात्रा ठहरती हुई चली। महेश घोष दल की ओर से मंदिरों के समक्ष कुछ देर वादन किया गया। शोभायात्रा के माहेश्वरी सेवा सदन पहुंचने पर महाआरती हुई और आतिशबाजी की गई।
धुप्पड़ ने बताया कि माहेश्वरी महिला संगठन, माहेश्वरी युवा संगठन सहित समाज की विविध इकाइयों के सहयोग से संयुक्त रूप से हुए इस आयोजन में समाज के कारसेवकों का सम्मान किया गया। उपस्थित कारसेवकों ने अपने संक्षिप्त संस्मरण भी सुनाए। इसी दौरान कारसेवा के दौरान बलिदान हुए माहेश्वरी समाज के राम कोठारी, शरद कोठारी और अविनाश माहेश्वरी को भी पुष्पांजलि अर्पित की गई। अंत में महाप्रसादी हुई।
धुप्पड़ ने बताया कि खास बात यह रही कि सोमवार को धानमण्डी क्षेत्र में भ्रमण कर रहे विदेशी पर्यटक भी माहेश्वरी सेवा सदन में हो रहे आयोजन की तैयारियां देखने पहुंचे और छप्पन भोग की तैयारी को देखकर हैरान हुए। फिर समाजजनों ने उन्हें छप्पन भोग की परम्परा समझाई।
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