25 दिवसीय समर थिएटर वर्कशॉप का समापनप्रतिभागियों ने किया ‘आषाढ का एक दिन‘ का अभिनीत वाचन

उदयपुर। शहर के युवाओं को रंगकर्म की बारीकियां एवं अभिनय के गुर सिखाने के लिए सूचना केन्द्र में आयोजित 25 दिवसीय समर थिएटर वर्कशॉप का समापन मंगलवार को सूचना केन्द्र सभागार में हुआ।

समापन के अवसर पर गणमान्य अतिथि सूचना केंद्र के उपनिदेशक गौरीकांत शर्मा, मौलिक संस्थान के संस्थापक वरिष्ठ रंगकर्मी शिवराज सोनवाल, यूजीसी महिला अध्ययन केंद्र की असिस्टेंट प्रोफ़ेसर श्रीमती गरिमा मिश्रा एवं श्रीनिवासन अय्यर थे। अतिथियों ने सभी प्रतिभागियों को बधाई दी और प्राप्त प्रशिक्षण का बेहतर उपयोग करते हुए आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। समापन अवसर पर प्रतिभागियों द्वारा मोहन राकेश की रचना ‘आषाढ का एक दिन‘ का अभिनीत वाचन किया गया।


सूचना केंद्र, उदयपुर के सहयोग एवं शहर के उभरते कलाकार शुभम् आमेटा और जतिन भारवानी के निर्देशन में चल रही इस ग्रीष्मकालीन कार्यशाला में उदयपुर के अलावा दिल्ली, कोटा, जयपुर, आबू, पाली आदि शहरों से आए प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।


इस कार्यशाला का उद्देश्य नाटक के मंचन के साथ प्रक्रिया को समझते हुए स्पीच, इंप्रोवाइजेशन, मंच एवं जीवन में सही ढंग से सांस लेने के तरीक़े, रंगमंचीय गतिविधियों के ज़रिए कहानी के मर्म को समझते हुए, स्वयं की खोज भी रहा। कार्यशाला में कुल पंद्रह प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

आषाढ़ का एक दिन : की कहानी
आषाढ़ का एक दिन भारतीय रंगमंच के महत्वपूर्ण स्तंभकार मोहन राकेश की उत्कृष्ट कृतियों में से एक है। कवि कालिदास के जीवन घटनाक्रम पर आधारित नाटक की मुख्य नायिका उनकी प्रेयसी मल्लिका है जो उन्हें  उज्जयिनी जाने को प्रेरित करती है। कवि उज्जयिनी जाते हैं। किंतु वे राज्यभार में उलझकर रह जाते हैं। उनके पीछे मल्लिका कालिदास की स्मृति एवं उनकी रचनाओं के सहारे अपना जीवन व्यतीत करने लगती है।


आषाढ़ का एक दिन आज से लगभग 60 साल पहले लिखा गया फिर भी नाटक की कथावस्तु इतनी समसामयिक है कि महसूस होता है, नाटक हाल ही में लिखा गया हो।


नाटक में गुनिशा मकोल, निष्ठा धाकड़, हिमांशी चौबीसा, मानस जैन, मीरा राणा, वैभवी बिरावत, नवीन कुमार चौबिसा, किंजल तिवारी, जुज़र नाथद्वारा, अंकित मेवाड़ा, मोहित गुर्जर, आदित्य नारायण शर्मा द्वारा अभिनीत वाचन किया गया।

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