उदयपुर | एक पिता और बेटी को अपनी पुरानी दोस्ती और रिश्तों पर भरोसा करना भारी पड़ गया। शहर के अंबामाता थाना क्षेत्र में एक महिला ने 8 लोगों के खिलाफ करोड़ों की धोखाधड़ी का सनसनीखेज मामला दर्ज कराया है। आरोप है कि पहले मकान के सौदे में, फिर होटल में साझेदारी के नाम पर उनसे 6.70 करोड़ रुपए हड़प लिए गए।
महाप्रज्ञ विहार निवासी गार्गी सामर ने पुलिस अधीक्षक को दी शिकायत में बताया कि उनके पिता राजेश जैन और तनवीर सिंह कृष्णावत पुराने दोस्त हैं। इसी दोस्ती का फायदा उठाते हुए तनवीर व उसके परिवारजनों ने एक जाल बुना, जिसमें बाप-बेटी दोनों फंसते चले गए।
मकान की कुर्की का बहाना, फिर होटल की साझेदारी का लालच
शुरुआत हुई जब तनवीर और उसके भाई मनवीर ने अपने निर्माणाधीन मकान के लिए राजेश जैन से 20 लाख का सामान उधार लिया। इसके बाद बताया कि मकान पर 2.5 करोड़ का लोन बकाया है और कुर्की का खतरा है। मकान बचाने के नाम पर 40 लाख रुपए और लिए गए।
पैसे वापस मांगने पर आरोपियों ने नई स्कीम पेश की—मकान को होटल में तब्दील करने और उसमें साझेदारी देने का प्रस्ताव। मनोहर सिंह ने मकान की कीमत 6.50 करोड़ आंकी और निवेश के बदले आय में बराबरी का लालच दिया।
राजेश जैन और गार्गी ने होटल के निर्माण, साज-सज्जा और बिलों में अब तक 3.05 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। लेकिन यह अंत नहीं था। सितंबर 2019 में मनोहर सिंह ने मकान का आधा हिस्सा बेचने का एग्रीमेंट भी कर लिया, पर पैसे फिर भी लिए जाते रहे। धीरे-धीरे यह राशि 6.70 करोड़ रुपए तक पहुंच गई।
गिफ्ट डीड से धोखा, फिर होटल पर कब्जा
विश्वास का बदला धोखा बनकर सामने आया जब पता चला कि मनोहर सिंह ने फरवरी 2022 में पूरा मकान अपने पोते विक्रमादित्य के नाम गिफ्ट डीड कर दिया। यही नहीं, होटल को अन्य व्यक्तियों—दिव्य जैन और भूपेंद्र जैन को किराए पर दे दिया गया, और गार्गी व उनके पिता को कोई सूचना तक नहीं दी गई।
रजिस्ट्री कराने और होटल किराए में हिस्सेदारी देने से भी इनकार कर दिया गया। गार्गी सामर की रिपोर्ट पर पुलिस ने मनोहर सिंह, तनवीर, मनवीर, विक्रमादित्य सहित 8 लोगों को नामजद करते हुए धोखाधड़ी, विश्वासघात और आपराधिक साजिश के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत धोखाधड़ी का मामला है, बल्कि यह व्यापार, मित्रता और रिश्तों के बदलते समीकरणों की भी गवाही देती है। उदयपुर के व्यावसायिक और सामाजिक जगत के लिए यह एक गंभीर संकेत है कि अब निवेश या साझेदारी में केवल ‘नाता’ और ‘भरोसा’ ही काफी नहीं — हर कदम दस्तावेजों और प्रक्रियाओं से सुरक्षित किया जाना चाहिए।
शहर के अन्य वरिष्ठ व्यवसायियों, निवेशकों और उद्यमियों को इससे सीख लेनी चाहिए कि पारिवारिक मित्रता में भी व्यावसायिक अनुशासन और कानूनी दस्तावेजों को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।
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