गौरव गोगोई, गौरव वल्लभ और लोकल दावेदारों का गुस्सा, बीस साल बाद भी वही कहानी, कुछ नए तो कुछ पुराने दावेदार, नया सिर्फ बाहरी का मुद्दा

उदयपुर। कांग्रेस में अब वही 20 साल पुरानी परंपरा कायम दिखाई दे रही है। पहले पर्यवेक्षक आते थे और दावेदारों से बायोडाटा लेते चले जाते। भीड़ लेकर आने वाले नेता खुश होते, मायूसी तो तब होती जब टिकट उसको मिलता, जिसने दावेदारी की ही नहीं थी।

बीस साल बाद आज भी वैसा ही नजारा दिखाई दिया। इस बार पर्यवेक्षक की बजाय स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष थे, तरीका वही था, लाइन में खड़े रख कर बायोडेटा एकत्र कर लिए गए। दूसरी और भी वही माहौल। तवज्जो नहीं मिलने से नेताओं में गुस्सा, नारेबाजी, कोसना आदि।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि उदयपुर की सियासी फिजाओं में सक्रिय व सुर्खिया बटोरने वाले गौरव वल्लभ भी स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन गोगोई से मिलने पहुंचे। वे सीधे अंदर चले गए तो बाहर खड़े कांग्रेस के स्थानीय नेताओं में और गुस्सा पैदा हो गया। भला बुरा सब कुछ गया। बहरहाल कांग्रेस की औपचारिकता पूरी हो गई।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि गोगोई से मंत्री अर्जुन बामनिया, उदयलाल आंजना, डॉ. गिरिजा व्यास, रघुवीर मीणा आदि बड़े नेताओं ने भी मुलाकात की।

इसके मायने यह है कि जो लोग दावेदारी जता रहे हैं, उनको समझ लेना चाहिए। वे समझते भी हैं, इसलिए वे अपना उल्लू सीधा करना जानते हैं। इस वक्त उन्होंने अपनी ताकत नहीं दिखाई तो उनकी उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा। बहरहाल चुनावों से पहले कई समीकरण बदलेंगे, बिगड़ेंगे। बगावत करने वाले ही बात को बनाएंगे।

दावेदारी करने पहुंचे नेताओं ने सियासी हवा का रुख भांप लिया है। वे दिखाई भले ही चिरागों के साथ देंगे, लेकिन असल में वे हवा के साथ हैं।

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