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हिंदुस्तान जिंक प्रकृति संरक्षण और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्ध एक अग्रणी संस्था : सांसद

उदयपुर। खनन क्षेत्र में देशभर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने वाली हिन्दुस्तान जिंक अब केवल खनन तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, सामुदायिक सशक्तिकरण और सतत विकास के क्षेत्रों में भी अपनी उल्लेखनीय भूमिका निभा रही है। यही प्रतिबद्धता हाल ही में जावर माइंस के रंवा गांव में आयोजित “ग्रीन जावर” वृक्षारोपण अभियान में स्पष्ट रूप से देखने को मिली।
सांसद मन्नालाल रावत ने इस अवसर पर हिन्दुस्तान जिंक की पर्यावरणीय सोच की सराहना करते हुए कहा कि जावर क्षेत्र में हरियाली फैलाने की यह पहल न सिर्फ आज, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ, हरित और टिकाऊ पर्यावरण प्रदान करने में सहायक होगी।
इस अभियान का उद्देश्य 50,000 से अधिक पौधे रोपित कर पर्यावरण को पुनर्स्थापित करना और जैव विविधता को बढ़ावा देना है। अब तक 8,000 पौधों का रोपण किया जा चुका है, जो इस हरित यात्रा की एक सशक्त शुरुआत है। विशेष बात यह है कि यह पहल मात्र पौधारोपण तक सीमित नहीं, बल्कि लगाए गए पौधों के संरक्षण और उनके विकसित होने तक की पूरी योजना को भी समाहित करती है।
राजस्थान सरकार के राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने इस अवसर पर “हरियालो राजस्थान” और “एक पेड़ माँ के नाम” जैसे अभियानों में जिंक की भागीदारी को सराहा और कहा कि यह प्रकृति के प्रति हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी को दर्शाता है।
सतत विकास की दिशा में प्रयास
इस वृक्षारोपण अभियान में औषधीय पौधे, फलदार पेड़ और देशी प्रजातियां लगाई जा रही हैं, जिससे न केवल हरियाली बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती मिलेगी। यह अभियान हिन्दुस्तान जिंक की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता और दीर्घकालिक सतत विकास की नीति का एक अहम हिस्सा है।
CSR के तहत ग्रामीण सशक्तिकरण
कार्यक्रम के दौरान “सखी” कार्यक्रम और “नंदघर” पहल जैसे सामाजिक अभियानों की भी सराहना की गई, जो महिलाओं और बच्चों के विकास को केंद्र में रखते हैं। जावरमाता एग्रो फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के साथ मिलकर जिंक द्वारा चलाए जा रहे FPO में 1,750 से अधिक किसान-शेयरधारक जुड़े हुए हैं, जो यह दर्शाता है कि कंपनी का उद्देश्य केवल पर्यावरण ही नहीं, बल्कि आजीविका और आर्थिक सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देना है।
सामूहिक जिम्मेदारी और सहभागिता
इस अभियान में हिन्दुस्तान जिंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों, पंच-सरपंचों, कर्मचारियों, सखी महिलाओं, किसान संगठनों और समुदाय के लोगों ने भी भाग लिया। यह सहभागिता इस बात का प्रमाण है कि पर्यावरण संरक्षण अब केवल एक संस्थागत उत्तरदायित्व नहीं, बल्कि समूहिक सामाजिक चेतना बन चुका है।
हिन्दुस्तान जिंक की यह पहल केवल वृक्षारोपण अभियान नहीं, बल्कि हरित भविष्य की ओर एक ठोस कदम है। पर्यावरणीय पुनर्स्थापन, सामाजिक सशक्तिकरण और दीर्घकालिक समावेशी विकास की यह सोच वास्तव में “बढ़ते भारत” की एक जिम्मेदार और सतत विकासशील तस्वीर प्रस्तुत करती है।
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