सैयद हबीब, उदयपुर

जब हम मेवाड़ की महान संस्कृति और परंपराओं की बात करते हैं, तो एक नाम ऐसा है, जो हमेशा हमारी यादों में अमिट रहेगा — महेन्द्र सिंह मेवाड़। यह सिर्फ एक व्यक्ति का नाम नहीं, बल्कि मेवाड़ के शौर्य, सम्मान और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक था। उनकी असामान्य विद्वता, जीवन की सादगी, और अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पण ने उन्हें न केवल मेवाड़वासियों का, बल्कि समूचे राजस्थान और देश का एक प्रेरणास्त्रोत बना दिया।
श्री महेन्द्र सिंह जी का जीवन एक मिसाल था। उनका आचरण, उनके विचार, और उनके कार्य हमेशा हमें यह सिखाते थे कि असली महानता बाहरी चीजों से नहीं, बल्कि अपने भीतर के गुणों से आती है। उन्होंने बचपन से लेकर जीवन के हर मोड़ पर अपनी मेवाड़ी संस्कृति, परंपरा और लोक मर्यादाओं का पालन किया। उनका जीवन स्व-अनुशासन और शिष्टाचार का आदर्श था, जो आज के युग में भी प्रासंगिक है। वे हमेशा तुच्छ और अपमानजनक भाषा से दूर रहते थे और उच्चकोटि की अंग्रेजी तथा मेवाड़ी भाषा में महारत रखते हुए भी अपनी सादगी को कभी नहीं खोते थे।

मेवाड़ के हर व्यक्ति को यह अनुभव था कि श्री महेन्द्र सिंह जी से मिलने के बाद उनका व्यक्तित्व और विद्वता उनके दिलो-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ जाती थी। उनका सरल और मृदु व्यवहार, लेकिन गहरी सोच, उन्हें हर किसी के लिए आदर्श बना देती थी। जब भी वे किसी से मिलते, उनकी भाषा और विचार शिष्ट और संतुलित होते, और किसी भी प्रकार की व्यर्थ की बातों से वे हमेशा बचते थे।
उनका योगदान केवल उनके परिवार या समाज तक सीमित नहीं था, बल्कि मेवाड़ के समग्र विकास में उनका अत्यधिक योगदान रहा। वे सन् 1960 से 1970 के बीच उदयपुर के राजमहलों में स्थित हाउस होल्ड ऑफिस के संचालन के समय, महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन, म्यूजियम, गार्डन होटल और लेक पैलेस होटल की कार्य योजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। यह वही बुनियाद है, जिसके चलते आज उदयपुर का पर्यटन उद्योग समृद्ध है। उन्होंने मेवाड़ के प्राचीन किलों, महलों और जलाशयों की मरम्मत और संरक्षण का भी कार्य किया, जिससे यह ऐतिहासिक धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रह सके।
श्री महेन्द्र सिंह जी के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह था कि उन्होंने कभी भी धन-संपत्ति को प्राथमिकता नहीं दी। उनके लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण था — मानवीय मूल्य और समाज की भलाई। उन्होंने अपने जीवन के हर कदम पर नैतिकता और ईमानदारी को महत्व दिया। उनका यह जीवन दर्शन हमें यह सिखाता है कि असली संपत्ति पैसे में नहीं, बल्कि हमारे कर्मों और विचारों में छिपी होती है।

मुझे गर्व है कि मुझे उनके साथ तीस वर्षों से अधिक समय तक मेवाड़ की सेवा में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। उनके सानिध्य में रहकर मैंने न केवल प्राचीन परंपराओं को जाना, बल्कि जीवन के प्रत्येक पहलू में उनसे मार्गदर्शन प्राप्त किया। उन्होंने हमेशा हमें यह सिखाया कि बड़े कार्य करने के लिए महत्त्वाकांक्षाओं का होना ज़रूरी नहीं, बल्कि ईमानदारी, साधना और दृढ़ नायकत्व की आवश्यकता होती है।
आज जब वे हमारे बीच नहीं हैं, उनका शरीर भले ही हमारे बीच न हो, लेकिन उनके विचार, उनके कार्य और उनकी यादें हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी। उन्होंने हमें यह समझाया कि समाज की सेवा, संस्कृति का संरक्षण, और अपने कार्यों में निष्कलंक ईमानदारी सबसे महत्वपूर्ण है। वे हमारे बीच एक प्रेरणा स्त्रोत के रूप में हमेशा बने रहेंगे।
श्री महेन्द्र सिंह जी मेवाड़ को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, मैं प्रार्थना करता हूं कि उनके आशीर्वाद से मेवाड़ की यह भूमि हमेशा समृद्ध रहे और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रहे। वे जहां भी हों, उनका आशीर्वाद हम पर हमेशा बना रहे।
जय मेवाड़, जय भारत।
— कंवर प्रताप सिंह झाला “तलावदा”
संयोजक, मेवाड़जन, उदयपुर
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अत्यन्त दुःख के साथ यह सूचित करना पड़ रहा है कि एकलिंग दीवाण श्रीजी हजूर महाराणा जी श्री महेन्द्र सिंह जी मेवाड़ का 10 नवंबर, 2024 को गोलोक पधारना हो गया है।
अंतिम यात्रा कल दिनांक 11 नवंबर, 2024 को प्रातः 11.00 बजे समोर बाग़ से प्रारंभ होकर जगदीश चौक , घंटाघर, बड़ा बाजार, भड़भुजा घाटी, देहली गेट होते हुए महासतियाँ पहुँचेगी।
अंतिम दर्शन – समोर बाग पैलेस प्रातः 8 से 11बजे तक ।
पार्किंग व्यवस्था RSEB , किशनपोल, हेमराज व्यायाम शाला रहेगी
सचिव
समोर बाग पैलेस, उदयपुर,
राजस्थान।
कमलेंद्र सिंह पंवार
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