शिल्पग्राम उत्सव 2025 का रूहानी आग़ाज़ : राज्यपाल बोले — लोक है तो आलोक है, लोक कला ही जीवन की असली रोशनी

उदयपुर। राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे ने कहा कि लोक कला जीवन की वह सच्ची रोशनी है जिसमें बनावट नहीं, बल्कि कुदरती सादगी और आत्मिक सौंदर्य बसता है। उन्होंने मौजूद अधिकारियों और गणमान्यजनों से आह्वान किया कि बच्चों को कला और संस्कृति की तालीम दी जाए तथा उन्हें मंच प्रदान किया जाए, ताकि वे लोक परंपराओं को आगे बढ़ा सकें और इस अनमोल धरोहर को महफूज़ रख सकें।

वे रविवार को केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर द्वारा हवाला स्थित शिल्पग्राम में आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राज्यपाल बागडे ने अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलित किया तथा नगाड़ा बजाकर उत्सव का शानदार आग़ाज़ किया।

राज्यपाल ने बचपन में मिले प्रोत्साहन से महान शिल्पकार बनने की मिसाल देते हुए “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” के शिल्पकार राम वी. सुतार का उल्लेख किया और कहा कि सही समय पर मिला मार्गदर्शन प्रतिभा को बुलंदियों तक पहुंचा देता है।

एक भारत–श्रेष्ठ भारत का ज़िंदा पैग़ाम : कटारिया

समारोह के अति विशिष्ट अतिथि, पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि यह सांस्कृतिक महोत्सव एक भारत–श्रेष्ठ भारत का जीवंत प्रतीक है। ऐसे उत्सव देश की विविध सांस्कृतिक परंपराओं को जोड़ने और संजोने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि इस मेले में हर आयु वर्ग के लिए कुछ न कुछ है, जो मन और आत्मा दोनों को सुकून देता है।

लोक कलाकारों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि इनकी कला को देखकर संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का दायित्व स्वतः ही महसूस होता है। उन्होंने पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान और उनकी टीम को उत्सव के सफल और निरंतर आयोजन के लिए मुबारकबाद दी।

दो राज्यपाल, एक आत्मीयता

समारोह में राजस्थान के राज्यपाल बागडे ने पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया का गर्मजोशी से स्वागत किया और उनके आगमन पर आभार जताया। वहीं कटारिया ने उदयपुर का नागरिक होने के नाते राज्यपाल बागडे का अपने शहर में स्वागत कर कृतज्ञता प्रकट की।

गणमान्यजनों की मौजूदगी

इस मौके पर उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत, उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन तथा उदयपुर ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा भी समारोह की शोभा बढ़ाते नजर आए।

लोक कला के साधकों को सम्मान

समारोह में डॉ. कोमल कोठारी स्मृति लाइफटाइम अचीवमेंट लोक कला पुरस्कार से गुजरात के राजकोट निवासी डॉ. निरंजन वल्लभभाई राज्यगुरु और राजस्थान के जयपुर निवासी रामनाथ चौधरी को नवाज़ा गया। प्रत्येक पुरस्कार में रजत पट्टिका के साथ 2.51 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई।

रामनाथ चौधरी दुनिया के एकमात्र कलाकार हैं जो नाक से अल्गोजा बजाने की दुर्लभ कला में पारंगत हैं, जबकि डॉ. निरंजन राज्यगुरु ने लोक और भक्ति संगीत पर सात सौ घंटे से अधिक का ध्वनि संकलन कर अमूल्य योगदान दिया है।

लोक संस्कृतियों का रंगीन संगम

कोरियोग्राफिक प्रस्तुतियों में गोवा की देखनी और घोड़े मोदनी, मणिपुर की लैहारोबा, कश्मीर का रौफ, राजस्थान के लाल आंगी और चरी, कर्नाटक के पूजा कुनिता और ढालू कुनिता, महाराष्ट्र का सोंगी मुखौटा, पंजाब का लुड्डी तथा गुजरात के तलवार रास और राठवा नृत्य शामिल रहे। दिल्ली के प्रसिद्ध कोरियोग्राफर सुशील शर्मा के निर्देशन में सजी इस प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कथक–लावणी का फोक–क्लासिकल जादू

श्रद्धा सतवीडकर की मराठी लावणी और नितिन कुमार के शास्त्रीय कथक के अनूठे संगम ने शिल्पग्राम को तालियों की गूंज से भर दिया। नर्तकों की लयकारी और रंगीन वेशभूषा पर दर्शक बार-बार वाह-वाह करते नजर आए।

लोक गीतों की मधुर गूंज

डॉ. प्रेम भंडारी के निर्देशन में प्रस्तुत राजस्थानी लोक गीतों के मधुर मेडले ने सुरों की ऐसी झंकार बिखेरी कि श्रोताओं के दिल झूम उठे। लोक गायन की मूल आत्मा को बरकरार रखते हुए क्लासिकल स्पर्श ने इस प्रस्तुति को और भी यादगार बना दिया।

 

 

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