सैयद हबीब, उदयपुर।
यह कहानी है उदयपुर की, एक ऐसी टूरिस्ट सिटी जो अपनी खूबसूरती, ऐतिहासिक धरोहर और नए साल की रंगीनियों के लिए मशहूर है। हर साल लाखों लोग यहां नया साल मनाने आते हैं। लेकिन इस बार, उदयपुर का हर रास्ता, हर गली, और हर चौराहा सिर्फ एक चीज की गवाही दे रहा था—बेहिसाब ट्रैफिक जाम।
शहर की पहचान और समस्या की शुरुआत
उदयपुर, जहां एक तरफ पहाड़ों की हरियाली और झीलों का सौंदर्य है, वहीं दूसरी तरफ यह शहर अपने जटिल ट्रैफिक जाल में उलझा हुआ है। एक तरफ स्थानीय दुकानदार अपनी बिक्री के लिए पर्यटकों की भीड़ का स्वागत करते हैं, तो दूसरी तरफ वे अपनी दुकान तक पहुंचने के लिए भी संघर्ष करते हैं।
दिसंबर का आखिरी हफ्ता आते ही उदयपुर में सैलानियों की बाढ़ आ जाती है। इस बार, शहर के मुख्य मार्गों पर गाड़ियों की लंबी कतारें ऐसी थीं कि मानो किसी फिल्म के सेट पर अंतहीन ट्रैफिक जाम का दृश्य फिल्माया जा रहा हो। लोग अपने होटल या पर्यटन स्थलों तक पहुंचने के लिए घंटों जाम में फंसे रहे।
पुलिस और प्रशासन की नाकामी
शहर की पुलिस और प्रशासन ने इस बार ट्रैफिक संभालने के लिए कई योजनाएं बनाई थीं। वैकल्पिक मार्गों की घोषणा की गई, और ट्रैफिक कंट्रोल के लिए अतिरिक्त जवानों को तैनात किया गया।
लेकिन समस्या सिर्फ भीड़ की नहीं थी। सड़कें तंग थीं, पार्किंग का अभाव था, और लोग नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए गलत दिशा में गाड़ियां चला रहे थे। प्रशासन ने कुछ रूट वन-वे घोषित किए, लेकिन लोग नियम तोड़कर उल्टे रास्ते चलने लगे।
टूरिस्ट और स्थानीय लोगों की व्यथा : “यहां छुट्टी मनाने आए थे, लेकिन पूरा दिन कार में ही बिताना पड़ा,” एक पर्यटक ने गुस्से में कहा। स्थानीय निवासी भी परेशान थे। “हम अपने ही घर तक नहीं पहुंच पा रहे। क्या फायदा इस पर्यटन से?”
नए साल की रात और ट्रैफिक जाम
31 दिसंबर की रात, जब पूरा शहर नए साल के स्वागत के लिए तैयार है, तब उदयपुर के लोग अपनी गाड़ियों में बैठे नए साल का काउंटडाउन देख रहे हैं। कुछ ने हार मानकर अपनी गाड़ियां सड़क किनारे छोड़ दीं और पैदल ही आगे बढ़ रहे हैं।
कहानी का अंत : एक सीख
उदयपुर की इस स्थिति ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया। प्रशासन ने बाद में माना कि उनकी योजनाओं में कमी थी। स्थानीय लोगों ने सुझाव दिया कि पर्यावरण के हित में वाहनों की संख्या सीमित की जाए, और शहर में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जाए।
उदयपुर की कहानी बताती है कि विकास और लोकप्रियता के साथ जिम्मेदारी और योजना भी जरूरी है। एक शहर, चाहे कितना भी खूबसूरत क्यों न हो, अगर वह अपने ट्रैफिक की समस्या नहीं सुलझा पाता, तो उसका आकर्षण धीरे-धीरे फीका पड़ने लगता है।
शायद अगला नया साल उदयपुर के लिए बेहतर हो, लेकिन इस बार, वह सिर्फ ट्रैफिक जाम में उलझा एक सपना बनकर रह गया।
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