उदयपुर पैसेफिक डेंटल कॉलेज हॉस्टल में छात्रा ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में लगाए स्टाफ पर टॉर्चर और पैसे वसूली के आरोप, छात्रों का प्रदर्शन


उदयपुर के भीलों का बेदला स्थित पैसेफिक डेंटल कॉलेज में गुरुवार रात बीडीएस फाइनल ईयर की छात्रा श्वेता सिंह ने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसकी रूममेट जब कमरे में पहुंची तो श्वेता फंदे पर लटकी मिली। छात्रा को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें छात्रा ने कॉलेज प्रशासन और दो स्टाफ सदस्यों—नैनी मैम और भगवत सर—पर मानसिक प्रताड़ना, पैसे मांगने और परीक्षा में मनमानी करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। सुसाइड नोट में लिखा गया है कि समय पर परीक्षा नहीं करवाई जाती, जानबूझकर फेल कर दिया जाता है और जो छात्र पैसे नहीं देते, उन्हें टॉर्चर किया जाता है।

श्वेता सिंह जम्मू-कश्मीर की रहने वाली थी। उसके पिता पुलिस में कांस्टेबल हैं और वह उनकी इकलौती बेटी थी। बताया गया है कि श्वेता 2020 बैच की छात्रा थी। उसे एक साल पीछे कर दिया गया था, जबकि इस समय उसे इंटर्नशिप करनी चाहिए थी। कॉलेज प्रशासन से उसने बार-बार गुहार लगाई थी कि उसकी परीक्षा ली जाए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

श्वेता की मौत के बाद शुक्रवार सुबह कॉलेज के छात्र-छात्राएं आक्रोशित हो गए। उन्होंने कॉलेज का मेन गेट और अस्पताल परिसर का रास्ता बंद कर दिया। छात्रों ने ‘We want justice’ के नारे लगाए और प्रदर्शन शुरू कर दिया। मौके पर सुखेर थाना पुलिस पहुंची और समझाइश का प्रयास किया, लेकिन छात्र पीछे हटने को तैयार नहीं हुए।

प्रदर्शन कर रहे छात्रों और डॉक्टर्स ने भी सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों को सही बताया। छात्र डॉ. ओवेस और डॉ. बसित ने कहा कि श्वेता पर मानसिक दबाव था, उससे पैसे मांगे गए और उसे धमकी दी गई कि अगर पैसे नहीं दिए तो उसे फेल कर दिया जाएगा।

इस मामले में कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. रवि कुमार ने कहा कि छात्रा को किसी प्रकार की प्रताड़ना नहीं दी गई। कॉलेज प्रशासन जांच कर रहा है।

पुलिस का कहना है कि मृतका के परिजन जम्मू-कश्मीर से आ रहे हैं। उनके आने के बाद पोस्टमार्टम और आगे की कार्रवाई की जाएगी।

छात्रों ने कॉलेज प्रशासन पर दोषियों को बचाने का आरोप लगाया है और मांग की है कि जिन लोगों के नाम सुसाइड नोट में हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और कॉलेज प्रशासन को तुरंत बदला जाए। मामले ने उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्र शोषण और मानसिक दबाव जैसे गंभीर विषयों को एक बार फिर उजागर कर दिया है।

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