
उदयपुर। शहर के पास डबोक थाना क्षेत्र में बुधवार तड़के एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर दिया। कुमार मिनरल्स फैक्ट्री में काम कर रही कमला मीणा (प्रतापगढ़ निवासी) मशीन के रोलर में अपनी साड़ी के फंसने से खिंचती चली गई और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। इस दौरान उसके पेट का हिस्सा कट गया, जिससे उसका जीवन अधूरा रह गया।
यह घटना इसलिए और भी दिल दहला देने वाली है क्योंकि कमला का पति मानसिंह मीणा भी इसी फैक्ट्री में काम करता था और दो साल पहले काम करते समय उसका हाथ कट गया था। उस समय फैक्ट्री ने मुआवजे के तौर पर 25 हजार रुपए दिए थे, लेकिन यह राशि उनकी सैलरी से मासिक किश्तों में काटी जाती रही। अब, एक हाथ से अक्षम पति और दो छोटे बच्चों का परिवार आर्थिक और भावनात्मक संकट में फंस गया है।
ग्रामीणों और कर्मचारी यूनियन के नेता पुष्कर जोशी ने बताया कि कमला और उसके परिवार की स्थिति अत्यंत कमजोर है। छोटे बच्चे, पति की अक्षम स्थिति और अचानक आई त्रासदी ने उनके जीवन को त्रासदी में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि परिवार को उचित मुआवजा मिलना चाहिए ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके।

सुझाव और चेतावनी : यह दर्दनाक हादसा हमें यह याद दिलाता है कि फैक्ट्री और औद्योगिक कार्यस्थलों में सुरक्षा नियमों की अनदेखी कितनी घातक हो सकती है। उचित सुरक्षा उपकरण, मशीनों की सुरक्षा गार्डिंग, काम के समय का उचित प्रबंधन और कर्मचारियों को सुरक्षा प्रशिक्षण देना अनिवार्य है। केवल मुआवजे की बात नहीं, बल्कि कर्मचारियों की जान और उनके परिवार की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए।
अगर ऐसे हादसों को रोका जाना है, तो : मशीनों के पास किसी भी समय ढीली या लूज कपड़े/साड़ी पहनकर काम करने की अनुमति न दी जाए। काम करने का समय निर्धारित हो और रातभर मशीन चलाना प्रतिबंधित हो।
फैक्ट्री में सुरक्षा गार्ड और इमरजेंसी उपकरण हर समय उपलब्ध हों। मजदूरों को सुरक्षा प्रशिक्षण दिया जाए और उनका नियमित स्वास्थ्य व सुरक्षा चेकअप हो।
कमला मीणा की मौत केवल एक हादसा नहीं, बल्कि चेतावनी है कि अगर औद्योगिक सुरक्षा नियमों की अनदेखी जारी रही, तो परिवारों का जीवन हमेशा के लिए बदल जाएगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई और परिवार इसी तरह शिकार न बने।
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