जब पुलिस बनी हमदर्द – जेंडर न्याय और साइबर सुरक्षा के लिए उदयपुर से उठी अनोखी पहल

उदयपुर की पहल – एक सुरक्षित और संवेदनशील समाज की ओर
उदयपुर। आज उदयपुर की धरती पर एक ऐसी शुरुआत हुई है, जो केवल पुलिस प्रशिक्षण तक सीमित नहीं, बल्कि समाज की सोच को बदलने की ताक़त रखती है।

हर महिला जब घर से बाहर निकलती है तो उसके मन में एक सवाल होता है – क्या मैं सुरक्षित हूँ?
हर बच्चा जब अपनी बात कहता है तो उसके दिल में यह उम्मीद होती है – कोई मेरी सुनेगा न?
इन्हीं उम्मीदों को मज़बूत करने के लिए उदयपुर पुलिस ने UNFPA और राजस्थान पुलिस अकादमी के साथ मिलकर अपने अधिकारियों को संवेदनशीलता सिखाई।
यह प्रशिक्षण केवल कानून की धाराएं नहीं सिखाता, बल्कि यह याद दिलाता है कि हर शिकायत के पीछे एक दिल है, एक कहानी है और एक सपना है, जिसे बचाना हमारी जिम्मेदारी है।


साइबर सुरक्षा – बच्चों का भविष्य दांव पर
आज बच्चे किताबों से कम और स्क्रीन से ज़्यादा सीख रहे हैं।
लेकिन उस स्क्रीन के पीछे हर बार दोस्त नहीं होते, कभी-कभी ख़तरे भी छिपे होते हैं।
इसी खतरे को रोकने के लिए आईजी गौरव श्रीवास्तव ने यूनिसेफ राजस्थान के साथ मिलकर साइबर सुरक्षा पर पोस्टर जारी किया।
यह पोस्टर सिर्फ़ दीवार पर लगने वाला कागज़ नहीं है, यह हर परिवार के लिए एक ढाल है—


मज़बूत पासवर्ड बनाना


अजनबी लिंक्स से बचना


बच्चों को साइबर बुलिंग से सुरक्षित रखना


और मुसीबत में तुरंत 1930 हेल्पलाइन पर मदद माँगना।

पुलिस की नई पहचान

उदयपुर की पुलिस ने दिखा दिया कि उनकी भूमिका केवल अपराधी पकड़ने की नहीं है, बल्कि समाज को दिशा देने की भी है।
96 अधिकारियों ने मिलकर यह संकल्प लिया कि वे हर महिला, हर बच्चे और हर नागरिक के लिए सिर्फ वर्दीधारी पुलिसकर्मी नहीं, बल्कि संवेदनशील संरक्षक बनेंगे।

यह पहल एक उम्मीद है—कि बेटियाँ बेख़ौफ़ होकर अपने सपनों की उड़ान भरेंगी।
कि बच्चे डिजिटल दुनिया में भी सुरक्षित और निडर रहेंगे।
और कि पुलिस और समाज मिलकर एक ऐसा भविष्य गढ़ेंगे, जहाँ सुरक्षा केवल अधिकार नहीं, बल्कि हर इंसान की वास्तविकता होगी।

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