उदयपुर। राजस्थान में आने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर गहमा गहमी शुरू हो गई है। हर सीट का पार्टी के स्तर पर एनालिसिस किया जा रहा है। उयदपुर शहर व ग्रामीण सीट भी उदयपुर संभाग के लिए सबसे अहम है। उदयपुर शहरी सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही बाहरी प्रत्याशी के आने की पूरी संभावना है। इसकी वजह यह है कि दोनों ही पार्टियों में दावेदारी करने वाले शहरी नेताओं की लंबी कतार है, लेकिन कद्दावर कोई नहीं है। यही वजह है कि उदयपुर शहर से दोनों ही पार्टियां दमदार प्रत्याशी तलाश कर रही है।
उदयपुर ग्रामीण सीट पर भी भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी बदले जाने की उम्मीद है।
उदयपुर शहर विधानसभा सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल बनाए जाने के बाद दावेदारों के बीच जबरदस्त होड़ लगी हुई है। इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है। यही वजह है कि भाजपा भी उदयपुर शहर से किसी दमदार बाहरी प्रत्याशी को उतारने के लिए तैयारी कर रही है। अभी इसमें कोई नाम सामने नहीं आया है, लेकिन यह जरूर है कि कोई प्रदेश स्तरीय नेता को यहां से उतारा जा सकता है। सियासी गलियारों में ऐसी खबरें चल रही है। आगे क्या होगा, यह वक्त बताएगा।
उधर, कांग्रेस में पहले से ही डूंगरपुर के दिनेश खोडनिया, गौरव वल्लभ, पवन खेड़ा जैसे नेताओं के नाम चलाए जा रहे हैं। हालांकि इन नेताओं ने चुनाव लड़ने की किसी भी सवाल पर हामी नहीं भरी है। यह जरूर कहा है कि उदयपुर से उनका नाता है, लेकिन चुनाव लड़ने की पार्टी की एक प्रक्रिया है। इसके तहत ही प्रत्याशी तय होते हैं।
उदयपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा विधायक फूल सिंह मीणा का टिकट बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में उनको उतारा जा सकता है।
भाजपा में जनजाति नेताओं की लंबी कतार है, जिसमें से किसी को भी उदयपुर ग्रामीण से टिकट दिया जा सकता है। उधर, कांग्रेस में लगातार दो बार से विधानसभा का चुनाव हार रहे कटारा परिवार को भी बदला जा सकता है। चूंकि रघुवीर मीणा के सलूंबर से चुनाव लड़ने की संभावनाएं बढ़ गई है इसलिए कटारा परिवार के किसी भी सदस्य को लोकसभा चुनाव में उदयपुर सीट से आजमाया जा सकता है। रघुवीर मीणा उदयपुर लोकसभा से दो बार चुनाव हार चुके हैं। इस कारण कांग्रेस यह बदलाव कर सकती है। बहरहाल अभी चुनावों में समय बाकी है। कई समीकरण बदलेंगे और बिगड़ेंगे।
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