विश्व इतिहास का प्रथम जन युद्ध : हल्दीघाटी युद्ध

डॉ. अजात शत्रु शिवरती (9413813076)

प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप के जीवन संघर्ष से जुड़ी भारत कि थर्मोपल्ली कही जाने वाली रण स्थली हल्दीघाटी के मूल स्वरूप (सामरिक- ऐतिहासिक- पुरातात्विक ) में रखने कि मांग ।
इतिहासकार डॉ अजात शत्रु शिवरती ने बताया कि महाराणा प्रताप के स्वाधीनता संघर्ष ,देश कि अस्मिता को चुनौती दी जा रही है ।मेवाड़ इतिहास को राष्ट्रीय इतिहास कि दृष्टिकोण से देखने कि जरूरत।
हल्दीघाटी न केवल राजस्थान ही नहीं सम्पूर्ण विश्व स्वतंत्रता प्रेमियों कि तीर्थ स्थली है। अतःदेश के इस महान विरासत क्षेत्र को संरक्षित रखा जाना चाहिए।
सम्पूर्ण हल्दीघाटी इस दस किलोमीटर परिक्षेत्र निर्माण निषेध घोषित करे। सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षक मेवाड़ महाराणा प्रताप के उज्ज्वल प्रेरणा कार्यों को चीर स्थाई रखने के लिए धरोहर को संजोकर रखने कि आवश्यकता है। हल्दीघाटी स्वाधिनता संघर्ष का प्रतीक तथा राष्ट्रीय धरोहर है। भावी पीढ़ियों को इस गौरवमय इतिहास से परिचित करवाने एवं भावनात्मक रूप से जोड़ने के लिए इसे मूल स्वरूप में सुरक्षित रखना हम सभी का दायित्व है।राष्ट्रीय भावना का प्रबुद्ध केंद्र हल्दीघाटी का अतिक्रमण करने से समस्त वर्ग जातियों कि आस्था को चुनौती देने समान है।
हल्दीघाटी न केवल राजपूत वरन सभी जाति भील ,ब्राह्मण,कायस्थ ,जैन ,इत्यादि का आस्था का केंद्र रहा है।

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