
भारतीय सिनेमा के लिए 19 सितंबर 2025 का दिन ऐतिहासिक बन गया। नीरज घायवान के निर्देशन और करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी फिल्म “होमबाउंड” को भारत की तरफ से ऑस्कर 2026 में इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी की ऑफिशियल एंट्री के रूप में चुना गया। खास बात यह है कि यह फिल्म अभी तक भारत में रिलीज़ भी नहीं हुई है और 26 सितंबर को सिनेमाघरों में आएगी। यानी दर्शकों के सामने आने से पहले ही इसने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना ली है।
यह सिर्फ एक फिल्म की सफलता की कहानी नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा के बदलते स्वरूप, कंटेंट-ड्रिवन अप्रोच और वैश्विक मंचों पर बढ़ते प्रभाव का प्रमाण है।
फिल्म का सफर और शुरुआती उपलब्धियां
होमबाउंड का नाम पहली बार सुर्खियों में तब आया जब इसे 2025 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया। वहां दर्शकों और समीक्षकों दोनों ने फिल्म की सराहना की। इसके बाद फिल्म का प्रीमियर टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (TIFF) में हुआ, जहां इसे पीपुल्स चॉइस अवॉर्ड में दूसरा स्थान मिला। TIFF जैसी प्रतिष्ठित जगह पर यह उपलब्धि अपने आप में बड़ी है, क्योंकि यहां से कई फिल्में ऑस्कर तक का सफर तय करती रही हैं।
टोरंटो फेस्टिवल में फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान 9 मिनट तक दर्शक खड़े होकर तालियां बजाते रहे। यह संकेत था कि कहानी और परफॉर्मेंस ने दिल छू लिया है।
निर्देशक नीरज घायवान का विज़न
नीरज घायवान पहले ही मसान जैसी फिल्म से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना पा चुके हैं। उनकी फिल्में छोटे कस्बों की कहानियों और मानवीय रिश्तों की गहराई पर केंद्रित होती हैं। होमबाउंड में भी उन्होंने नॉर्थ इंडिया के एक छोटे गांव और वहां रहने वाले दोस्तों की भावनात्मक यात्रा को बड़े परदे पर उतारा है।
घायवान का मानना है कि “लोकल कहानियों में ही यूनिवर्सल अपील छिपी होती है”। यही कारण है कि उनकी फिल्में ग्लोबल मंचों पर भी आसानी से जुड़ाव बना लेती हैं।

स्टारकास्ट और परफॉर्मेंस
फिल्म के लीड रोल में हैं –
- ईशान खट्टर: उनके अभिनय को अब तक का करियर-बेस्ट बताया जा रहा है। उन्होंने गांव के एक युवा का किरदार निभाया है जिसकी जिंदगी भावनात्मक और सामाजिक संघर्षों से गुजरती है। समीक्षकों का मानना है कि ईशान ने इस फिल्म से खुद को एक गंभीर अभिनेता के रूप में स्थापित कर लिया है।
- जाह्नवी कपूर: उन्होंने फिल्म में अहम और दमदार किरदार निभाया है। अब तक की फिल्मों में उन्हें ज्यादातर ग्लैमरस अंदाज में देखा गया है, लेकिन होमबाउंड में उनका अभिनय अधिक परिपक्व और गहराई से भरा हुआ है।
इन दोनों की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री और व्यक्तिगत परफॉर्मेंस फिल्म की रीढ़ कही जा रही है।
धर्मा प्रोडक्शंस और करण जौहर की भूमिका
धर्मा प्रोडक्शंस आमतौर पर बड़े बजट और ग्लैमरस फिल्मों के लिए जाना जाता है। लेकिन हाल के वर्षों में इस प्रोडक्शन हाउस ने कंटेंट-ड्रिवन सिनेमा पर भी जोर दिया है। होमबाउंड इसका उदाहरण है।
करण जौहर ने एक बयान में कहा –
“यह फिल्म मेरे लिए सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा की आत्मा है। मुझे गर्व है कि यह फिल्म भारत की ओर से ऑस्कर जा रही है।”
ऑस्कर की प्रक्रिया और आगे का सफर
फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (FFI) हर साल भारत से एक फिल्म को ऑस्कर की इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी में भेजता है। इस बार 20 से ज्यादा फिल्मों की लिस्ट में से होमबाउंड को चुना गया।
अब आगे का चरण होगा –
- 16 दिसंबर 2025: अकैडमी इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी की शॉर्टलिस्ट जारी करेगी।
- 22 जनवरी 2026: टॉप 5 फिल्मों की फाइनल लिस्ट (नॉमिनेशन) सामने आएगी।
- 15 मार्च 2026: लॉस एंजिल्स के डॉल्बी थिएटर में ऑस्कर अवॉर्ड्स का आयोजन होगा।
भारतीय फिल्मों का ऑस्कर से रिश्ता
भारत की तरफ से ऑस्कर की रेस में कई फिल्में भेजी गई हैं, लेकिन अब तक सिर्फ तीन फिल्में फाइनल नॉमिनेशन तक पहुंच पाई हैं –
- मदर इंडिया (1957)
- सलाम बॉम्बे (1988)
- लगान (2001)
इसके बाद कई फिल्मों ने कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। होमबound से उम्मीदें इसलिए ज्यादा हैं क्योंकि यह फिल्म पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा बटोर चुकी है।
क्यों खास है ‘होमबाउंड’?
- लोकल स्टोरी, ग्लोबल अपील: गांव और दोस्ती की कहानी दुनिया भर के दर्शकों से जुड़ सकती है।
- सशक्त निर्देशन: नीरज घायवान की रियलिस्टिक ट्रीटमेंट।
- मजबूत परफॉर्मेंस: ईशान और जाह्नवी की परिपक्व एक्टिंग।
- इंटरनेशनल सराहना: कान्स और टोरंटो जैसे मंचों पर सफलता।
- धर्मा प्रोडक्शंस का बैकिंग: बड़े स्तर पर प्रमोशन और रिलीज़।
बॉलीवुड और बदलता सिनेमाई परिदृश्य
पिछले कुछ सालों में हिंदी सिनेमा में कंटेंट-ड्रिवन फिल्मों की ओर झुकाव बढ़ा है। आर्टिकल 15, द कश्मीर फाइल्स, द डिसिपल, कोर्ट जैसी फिल्मों ने दिखाया कि ऑडियंस सिर्फ मसाला एंटरटेनमेंट ही नहीं, बल्कि गहराई और रियलिज्म भी पसंद करती है।
होमबाउंड इसी बदलाव का हिस्सा है। यह साबित करता है कि भारतीय सिनेमा अब वैश्विक स्तर पर गंभीर दावेदार बन चुका है।
ऑडियंस और इंडस्ट्री की उम्मीदें
भारत में दर्शक बेसब्री से 26 सितंबर का इंतजार कर रहे हैं, जब फिल्म रिलीज होगी। सोशल मीडिया पर इस खबर के बाद #HomeboundToOscars ट्रेंड करने लगा। इंडस्ट्री के कई बड़े नामों ने भी इसे भारतीय सिनेमा के लिए गौरव का क्षण बताया।
होमबound की यह उपलब्धि भारतीय सिनेमा के लिए मील का पत्थर है। रिलीज से पहले ही ऑस्कर तक पहुंचने वाली यह फिल्म आने वाले समय में बॉलीवुड को नई पहचान दिला सकती है।
15 मार्च 2026 को जब लॉस एंजिल्स के डॉल्बी थिएटर में ऑस्कर का मंच सजेगा, तब पूरी दुनिया की निगाहें इस बात पर होंगी कि क्या होमबound भारत को पहला ऑस्कर अवॉर्ड (इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी) दिला पाएगी या नहीं। लेकिन इतना तय है कि इस फिल्म ने अभी से भारतीय सिनेमा को गर्व और उम्मीद दोनों दे दी हैं।
भारत की अब तक की ऑस्कर एंट्रियां (1957–2025)
ऑस्कर की इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी (पहले ‘बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म’) में भारत 1957 से फिल्मों को भेज रहा है। हालांकि कई शानदार फिल्में भेजी गईं, लेकिन अब तक सिर्फ तीन फिल्में ही फाइनल नॉमिनेशन तक पहुंच पाई हैं। आइए पूरी लिस्ट देखें:
1950s – 1960s
- 1957 – मदर इंडिया (हिंदी, मेहबूब खान) – नॉमिनेटेड
- 1958 – गाइड (हिंदी, विजय आनंद)
- 1960 – मुग़ल-ए-आज़म (हिंदी, के. आसिफ)
- 1961 – साहिब बीबी और ग़ुलाम (हिंदी, अबरार अल्वी)
- 1963 – संगम (हिंदी, राज कपूर)
- 1969 – ज्वैल थीफ (हिंदी, विजय आनंद)
1970s – 1980s
- 1970 – ग्यारह हज़ार लड़कियाँ (हिंदी, के. पार्थसारथी)
- 1971 – उपहार (हिंदी, सुदर्शन नाग)
- 1973 – दो बूंद पानी (हिंदी, कमल कारंत)
- 1978 – मंथन (हिंदी, श्याम बेनेगल)
- 1982 – गांधी (ब्रिटिश-इंडियन प्रोडक्शन, रिचर्ड एटनबरो) – ऑस्कर विनर (Best Picture) लेकिन भारत की एंट्री नहीं थी।
- 1988 – सलाम बॉम्बे! (हिंदी, मीरा नायर) – नॉमिनेटेड
1990s
- 1990 – अनुपमा (हिंदी, हृषिकेश मुखर्जी)
- 1995 – बैंडिट क्वीन (हिंदी, शेखर कपूर)
- 1997 – कर्मा (हिंदी, सुनील दत्त)
- 1999 – अर्थ (उर्दू/हिंदी, महेश भट्ट)
2000s
- 2001 – लगान (हिंदी, आशुतोष गोवारिकर) – नॉमिनेटेड
- 2002 – देवदास (हिंदी, संजय लीला भंसाली)
- 2004 – श्वास (मराठी, संदीप सावंत)
- 2005 – पेरियार (तमिल, जी. नटराजन)
- 2007 – एंथिरन (तमिल, शंकर)
- 2009 – हरिश्चंद्रची फैक्ट्री (मराठी, पाओळा झुंचा)
2010s
- 2010 – पिपली लाइव (हिंदी, अनुषा रिज़वी)
- 2012 – बार्फी! (हिंदी, अनुराग बसु)
- 2013 – द गुड रोड (गुजराती, ज्ञान कोरिया)
- 2015 – कोर्ट (मराठी, चैतन्य तम्हाणे)
- 2016 – विसारनाई (तमिल, वेट्रिमारन)
- 2017 – न्यूटन (हिंदी, अमित मसूरकर)
- 2018 – विलेज रॉकस्टार्स (असमिया, रीमा दास)
- 2019 – गली बॉय (हिंदी, जोया अख्तर)
2020s
- 2020 – जल्लीकट्टू (मलयालम, लिजो जोस पेलिस्सेरी)
- 2021 – कुझंगल (तमिल, पी. एस. विनोथराज)
- 2022 – छेल्लो शो (गुजराती, पान नलिन)
- 2023 – 2018: एवरीवन इज ए हीरो (मलयालम, जूड एंथनी जोसेफ)
- 2024 – लाापाटा लेडीज (हिंदी, कियारा खन्ना)
- 2025 – होमबाउंड (हिंदी, नीरज घायवान) – अभी ऑफिशियल एंट्री, रिज़ल्ट बाकी
नॉमिनेशन तक पहुंची भारतीय फिल्में
- मदर इंडिया (1957)
- सलाम बॉम्बे (1988)
- लगान (2001)
इतिहास गवाह है कि भारत ने कई उम्दा फिल्में भेजीं, लेकिन ऑस्कर जीत अभी हाथ नहीं लगी। होमबound की अंतरराष्ट्रीय सराहना और इंडस्ट्री का सपोर्ट यह उम्मीद जगा रहा है कि शायद 2026 में यह सपना पूरा हो सके।
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