दौसा। राजस्थान – बुधवार तड़के का वो सन्नाटा आज भी दौसा के बापी गांव के आसपास की हवा में पसरा है। सुबह के 3:30 बजे थे, जब खाटूश्यामजी के दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालुओं से भरी एक पिकअप, तेज़ रफ्तार कंटेनर की चपेट में आ गई। सिर्फ़ कुछ सेकंड का फ़ासला था—और पलक झपकते ही 11 ज़िंदगियां हमेशा के लिए बुझ गईं।
इन 11 में 7 मासूम बच्चे थे, जिनकी उम्र अभी सपनों के खिलने की थी। 4 महिलाएं थीं, जो अपने परिवार के साथ श्रद्धा और भक्ति की थकान के बावजूद, घर लौटने की खुशी में मुस्कुरा रही थीं। पर किसे पता था कि यह सफ़र अब लौटकर नहीं आएगा।
सैंथल थाना क्षेत्र के बापी गांव के पास, सुनसान हाईवे पर अंधेरे में दौड़ते पहियों की आवाज़ गूंज रही थी। श्रद्धालुओं से भरी पिकअप अपनी धीमी रफ्तार में आगे बढ़ रही थी। अचानक पीछे से आ रहा एक तेज़ रफ्तार कंटेनर बेकाबू हुआ और ज़ोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भयावह थी कि कई यात्री सड़क पर जा गिरे—कुछ वहीं निर्जीव पड़े रहे, तो कुछ दर्द से कराहते हुए मदद की पुकार लगा रहे थे।
खून और बिखरे सपनों का मंजर
हादसे के बाद सड़क पर फैला खून, इधर-उधर बिखरे जूते-चप्पल, कपड़े और पूजन सामग्री… सब कुछ जैसे मौन गवाही दे रहे थे कि यहां कुछ पल पहले कैसी तबाही हुई है। रात की ठंडी हवा में घुली चीख़ें, रोते-बिलखते परिजन, और गांववालों की बेचैन भागदौड़—यह नज़ारा किसी के भी दिल को चीर सकता था।
जिनके नाम अब सिर्फ़ यादों में रहेंगे
मृतकों में पूर्वी (3), प्रियंका (25), दक्ष (12), शीला (35), सीमा (25), अंशु (26) और सौरभ (35) शामिल हैं। बाकी चार की पहचान अभी नहीं हो पाई है। ये सभी उत्तर प्रदेश के एटा जिले के रहने वाले थे—जिनके घर अब मातम में डूब चुके हैं।
घायल ज़िंदगी और मौत से लड़ रहे हैं
दौसा के जिला अस्पताल में प्राथमिक इलाज के बाद गंभीर घायलों को जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल भेजा गया। लक्ष्य (5), नैतिक (6), रीता (30), नीलेश कुमारी (22), प्रियंका (19), सौरभ (28), मनोज (28) और एक अन्य घायल अभी भी जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। हर सांस अब उनके परिजनों के लिए उम्मीद और डर का मिला-जुला पल है।
एक सवाल जो रह गया
पुलिस ने कंटेनर चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में लापरवाही और तेज़ रफ्तार को हादसे की वजह बताया गया है। पर इस हादसे के बाद फिर वही पुराना सवाल उठता है—क्या हमारी सड़कों पर तेज़ रफ्तार और लापरवाही का ये सिलसिला कभी थमेगा? या फिर हर कुछ दिनों में किसी और परिवार की दुनिया यूं ही उजड़ती रहेगी?
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