आवाज़ जो रूह बन गई : नुसरत फ़तह अली ख़ान की कहानी
कुछ आवाज़ें सिर्फ़ कानों को नहीं छूतीं, बल्कि रूह तक पहुँचती हैं। ऐसी ही एक
कुछ आवाज़ें सिर्फ़ कानों को नहीं छूतीं, बल्कि रूह तक पहुँचती हैं। ऐसी ही एक
उदयपुर। पिछले पंद्रह वर्षों से साहित्य और संगीत की सेवा में संलग्न संस्था शायराना उदयपुर
उदयपुर, 26 मार्च 2025। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड द्वारा पंडित चतुर लाल महोत्सव के सहयोग से