भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने टोक्यो ओलंपिक में मेंस फ़्रीस्टाइल 57 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीतकर भारत को एक और पदक दिलाया। कांस्य पदक के लिए निर्णायक मुकाबले में उन्होंने प्यूर्टो रिको के डेरियन टोई क्रूज़ को 13-5 से हराया।
इस उपलब्धि के साथ, भारत के पदकों की संख्या इस ओलंपिक में छह हो गई है। हालांकि, अमन ने सेमीफ़ाइनल में जापान के रेई हिगुची के खिलाफ 10-0 से हार का सामना किया था।
अमन का प्रदर्शन इस ओलंपिक में सराहनीय रहा। उन्होंने क्वार्टर फ़ाइनल में अल्बानिया के ज़ालिमख़ान अबा करोव को 12-0 से हराकर सेमीफ़ाइनल में जगह बनाई थी और पहले राउंड में पूर्व यूरोपीय चैम्पियन व्लादिमीर एगोरोव को 10-0 से पराजित किया था।
इस ओलंपिक में भारतीय कुश्ती को अभी तक कोई पदक नहीं मिला था। महिला कुश्ती में विनेश फोगाट से पदक की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें फ़ाइनल से पहले 100 ग्राम अधिक वज़न के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अमन की कांस्य पदक जीत ने भारतीय कुश्ती के लिए एक नई उम्मीद जगाई है।
“अमन सहरावत की 12-0 की जीत: भारतीय कुश्ती के नए सितारे के उभरने की कहानी”
अमन सहरावत ने पहलवान अबकारोव के खिलाफ एक प्रभावशाली प्रदर्शन करते हुए 12-0 से जीत दर्ज की। यह विजय भारतीय कुश्ती के लिए एक आशाजनक संकेत है, खासकर जब देश का कुश्ती क्षेत्र कठिन दौर से गुजर रहा था।
भारतीय कुश्ती की हालिया स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण रही है। कुश्ती के प्रमुख नाम सुशील कुमार की गिरफ्तारी और पिछले साल के प्रदर्शनों के चलते कुश्ती गतिविधियां लगभग ठप हो गई थीं। इसके अतिरिक्त, टोक्यो ओलंपिक के सिल्वर मेडल विजेता रवि दहिया गंभीर चोट के कारण प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गए थे।
इन सभी कठिनाइयों के बावजूद, अमन सहरावत ने अपनी शानदार परफॉर्मेंस से भारतीय कुश्ती को एक नई दिशा दी। वे भारतीय ओलंपिक खिलाड़ियों में सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं जिन्होंने पेरिस ओलंपिक में पुरुष कुश्ती में भारत की भागीदारी सुनिश्चित की। इस प्रकार, अमन ने देश को कुश्ती की दुनिया में शर्मिंदगी से बचाया और एक नई उम्मीद का संचार किया।
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