ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में हमेशा की तरह बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। सबसे आगे भगवान बलभद्र का रथ तालध्वज है। उनके पीछे देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन चल रहा है। आखिर में भगवान जगन्नाथ का रथ है, जिसे नंदीघोष या गरुड़ध्वज के नाम से जाना जाता है। रथ यात्रा में लाखों की संख्या में लोग शामिल हुए हैं।
भगवान बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ के रथ करीब ढाई से तीन किमी दूर गुंडिचा मंदिर तक जाती है। यात्रा में शामिल लोग रस्सियों के जरिए इन रथों को खींचते हैं। गुंडिचा मंदिर को भगवान की मौसी का घर माना जाता है।
इसीलिए रथ यात्रा को गुंडिचा जात्रा भी कहते हैं। देश में उदयपुर, अहमदाबाद समेत कई शहरों में भगवान जगन्नाथ यात्रा निकाली जा रही है।





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