मुंबई के साइबर सेल ने एक बेहद संगठित फर्जी निवेश रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसमें आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह गिरोह सिम कार्ड की अवैध बिक्री और शेयर बाजार में फर्जी लाभ दिखाकर लोगों को ठगने की योजनाओं में संलिप्त पाया गया। गिरफ्तार आरोपियों में टेलीकॉम कंपनियों के छह कर्मचारी भी शामिल हैं, जिन पर संदेह है कि उन्होंने बिना उचित KYC प्रक्रियाओं के सिम कार्ड को सक्रिय कर धोखाधड़ी को अंजाम दिया।
धोखाधड़ी की साज़िश और इसके मकड़जाल की शुरुआत
पुलिस का कहना है कि गिरोह मई-जून 2024 के बीच सक्रिय हुआ, जब उन्होंने ‘एमएसएफएल स्टॉक चार्ट 33’ नामक व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए सैकड़ों निवेशकों को फंसाना शुरू किया। ग्रुप में शामिल होने के बाद, पीड़ितों को एक फर्जी ब्रोकरेज कंपनी में अकाउंट खोलने का झांसा देकर भारी मुनाफ़े का दावा किया गया। आरोपियों ने उनके खातों में आभासी लाभ दिखाया, ताकि लोग अधिक से अधिक पैसे निवेश करते जाएं।
फर्जी लाभ का खेल और 51 लाख का नुकसान
प्रत्येक पीड़ित को बड़े लाभ का लालच देकर कुल मिलाकर ₹51,36,000 अलग-अलग खातों में जमा कराए गए। इन पैसों का निवेश मानो शेयर बाजार की सच्चाई से पूरी तरह परे था, जिसे फर्जी आंकड़े और धोखे से सजाया गया। पीड़ितों को यकीन हो गया कि वे अच्छे खासे मुनाफे में हैं, लेकिन हकीकत में यह सब एक जालसाज़ी का हिस्सा था।
अवैध सिम कार्ड का जाल
जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारी सिम कार्ड बिना KYC के सक्रिय करने में लिप्त थे। इन सिम कार्डों को पोर्ट कर, व्हाट्सएप ग्रुप और धोखाधड़ी में इस्तेमाल किया गया। इस नेटवर्क के जरिए जालसाज़ी करने वाले तत्वों ने विदेशियों और भारतीयों को फंसाने के लिए 30,000 से अधिक सिम कार्ड बेचे।
पुलिस ऑपरेशन और गिरफ्तारियां
मुंबई पुलिस कमिश्नर विवेक फनसालकर और उनकी टीम ने मुंबई सेंट्रल साइबर सेल के साथ मिलकर इस रैकेट को ध्वस्त किया। पुलिस इंस्पेक्टर मौसमी पाटिल की अगुवाई में, साइबर सेल ने आरोपियों को ट्रैक किया और आखिरकार इस संगठित गिरोह पर शिकंजा कसा। गिरफ्तार टेलीकॉम कर्मचारियों में महेश महादेव कदम, रोहित कन्हैयालाल यादव, सागर पांडुरंग ठाकुर, राज रविनाथ आर्डे, गुलाबचंद कन्हैया जैसवार और महेश चंद्रकांत पवार शामिल हैं।
अन्य आरोपी उस्मान अली मोहेजबुर रहमान शेख और अबूबकर सिद्दीकी यूसुफ, जो सिम कार्ड की अवैध बिक्री और धोखाधड़ी में सहयोग कर रहे थे, भी हिरासत में हैं।
अपराध का अंत?
इस साज़िश का खुलासा मुंबई के एक नए साइबर युद्ध की कहानी बयां करता है, जिसमें धोखेबाज आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर भोले-भाले निवेशकों को अपना शिकार बना रहे हैं। पुलिस की यह कार्रवाई यह संदेश देती है कि कानून के हाथ इन अपराधियों तक पहुंचने के लिए हमेशा तत्पर हैं, चाहे उनके षड्यंत्र कितने ही गहरे क्यों न हों।
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