फर्जी कॉल सेंटर का काला खेल : उदयपुर पुलिस की बड़ी कार्रवाई में अहमदाबाद गिरोह पकड़ा गया

 

उदयपुर की झीलों की शांत छवि के बीच अचानक एक ऐसी कहानी सामने आई, जिसने पूरे शहर को हिला दिया। मामला किसी साधारण चोरी या लूट का नहीं था, बल्कि तकनीक का इस्तेमाल कर विदेशी नागरिकों से ठगी करने का था। इस खेल का पर्दाफाश तब हुआ जब हिरणमगरी थाना पुलिस ने अहमदाबाद से आए पाँच युवकों को गिरफ्तार कर लिया।

कहानी की शुरुआत होती है हिरणमगरी के सेक्टर-3 स्थित कृष्णागंगन अपार्टमेंट से। बाहर से देखने में यह इमारत किसी आम परिवार का ठिकाना लगती थी, लेकिन अंदर एक हाई-टेक कॉल सेंटर चल रहा था। यहाँ से बैठे-बैठे अमेरिकी नागरिकों को फंसाया जाता था।

गिरोह का तरीका बड़ा चतुराई भरा था। इनके पास एक विशेष मोबाइल एप्लीकेशन था, जिसके जरिए उन्हें अमेरिकी नागरिकों के मोबाइल नंबर मिलते थे। इसके बाद कॉलर अंग्रेज़ी में बातचीत करते और खुद को लोन एजेंट बताते। शिकार को यह कहा जाता कि भले ही उसका क्रेडिट स्कोर कम हो या उसके पास पहचान पत्र न हो, फिर भी उसे बेहद सस्ते दरों पर ऑनलाइन लोन मिल सकता है। लोन के नाम पर अमेरिकी नागरिकों से पैसे ऐंठ लिए जाते और जब तक उन्हें धोखे का एहसास होता, तब तक उनके अकाउंट से रकम निकल चुकी होती।

इस पूरे मामले की भनक पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल को मिली थी। उन्होंने साफ़ आदेश दिए थे कि तकनीकी साधनों का दुरुपयोग कर धोखाधड़ी करने वालों को किसी भी हाल में पकड़ा जाए। आदेश मिलते ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमेश ओझा और नगर पूर्व वृत के पुलिस उप अधीक्षक छगन पुरोहित ने पूरी कार्रवाई की योजना बनाई। नेतृत्व की ज़िम्मेदारी थानाधिकारी भरत योगी के पास थी।

पुलिस टीम ने पहले सूचनाएँ जुटाईं, फिर तकनीकी निगरानी की और आखिरकार छापेमारी का समय तय किया गया। जैसे ही पुलिस दल कृष्णागंगन अपार्टमेंट में दाखिल हुआ, वहां अफरा-तफरी मच गई। कोई लैपटॉप बंद करने लगा, कोई मोबाइल छिपाने की कोशिश करने लगा और एक युवक तो खिड़की से भागने तक दौड़ा। लेकिन पुलिस पहले से तैयार थी। सबको घेरकर वहीं दबोच लिया गया।

इस छापेमारी में पुलिस ने छह लैपटॉप, दस मोबाइल फोन, पाँच हेडफ़ोन और जियो व एयरटेल कंपनी के इंटरनेट राउटर बरामद किए। यानी एक पूरा फर्जी कॉल सेंटर, जिसके जरिए हजारों किलोमीटर दूर बैठे अमेरिकियों को बेवकूफ बनाया जा रहा था।

गिरफ्तार किए गए युवकों की पहचान अहमदाबाद के रहने वाले कुलदीप पटेल, आनंद डेगामडिया, अर्चित पाण्डेय, सुरज सिंह तोमर और आसु राजपूत के रूप में हुई। इनमें से कुलदीप को इस कॉल सेंटर का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है, जबकि अन्य सभी कॉलिंग और तकनीकी सहयोग में शामिल थे। उम्र 21 से 34 वर्ष के बीच, पेशे से प्राइवेट नौकरी या छोटे-मोटे धंधे करने वाले ये युवक तेजी से पैसा कमाने की लालच में इस अवैध धंधे में उतर आए थे।

इस कार्रवाई के पीछे पूरी टीम की मेहनत थी। भरत योगी के नेतृत्व में वसनाराम, राजेन्द्र सिंह, भगवतीलाल, आनंद सिंह, प्रताप सिंह, राजकुमार जाखड़, विजय कुमार और राकेश कुमार जैसे पुलिसकर्मियों ने दिन-रात काम किया और आखिरकार इस नेटवर्क को ध्वस्त किया।

पुलिस ने प्रकरण संख्या 292/2025 दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ बीएनएस 2023 की कई धाराओं के साथ-साथ आईटी एक्ट की धारा 66सी और 66डी में मुकदमा दर्ज किया है। अब जांच इस ओर बढ़ रही है कि क्या इस गिरोह का संबंध किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर नेटवर्क से है और कितने अमेरिकी नागरिक इनके शिकार बन चुके हैं।

यह कहानी सिर्फ़ एक फर्जी कॉल सेंटर की नहीं, बल्कि उस अंधेरे सच की है, जिसमें तकनीक का इस्तेमाल मासूम लोगों की जिंदगी बर्बाद करने के लिए किया जा रहा है। उदयपुर पुलिस की इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित किया कि चाहे अपराध कितना भी आधुनिक क्यों न हो, कानून की पकड़ से बचना नामुमुमकिन है।

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