करोड़ोंपति परिवहन अधिकारी की भ्रष्टाचार के पहिए पर दौड़ती जिंदगी पर अब लगा ब्रेक

यह कहानी है एक ऐसे व्यक्ति की, जिसने सरकारी कुर्सी पर बैठकर कानून का मजाक उड़ाया। जयपुर के विद्याधर नगर के जिला परिवहन अधिकारी संजय शर्मा ने वह मकड़जाल बुना, जिसमें करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार ने ईमानदारी का दम घोंट दिया।

23 जनवरी की ठंडी सुबह, जब आम लोग अपनी दिनचर्या में व्यस्त थे, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की 10 टीमों ने संजय शर्मा के जयपुर, भरतपुर और मुरादाबाद स्थित 10 ठिकानों पर छापा मारा। सुबह की यह कार्यवाही उस समय चर्चा का विषय बन गई, जब कृष्णा नगर के आलीशान मकान, करणी नगर के बेशकीमती प्लॉट, अलीगढ़ के भूखंड और मुरादाबाद के 25 बीघा खेतों का खुलासा हुआ।

गोपनीय सूचना से शुरू हुआ यह खेल

एसीबी के महानिदेशक डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि संजय शर्मा के खिलाफ गोपनीय सूत्रों से सूचना मिली थी कि उन्होंने अपनी वैध आय से कई गुना अधिक संपत्ति अर्जित की है। विदेशी शिक्षा, बीमा पॉलिसियों में निवेश, बैंक लॉकर और लाखों रुपये जमा खातों का पर्दाफाश इस मामले को और भी सनसनीखेज बना देता है।

सूत्रों से मिली जानकारी को ACB की आसूचना शाखा ने सत्यापित किया, और जब ठोस सबूत हाथ लगे, तो आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज हुआ।

मकड़ी के जाले जैसा सिस्टम

संजय शर्मा का साम्राज्य सिर्फ बैंकों और जमीनों तक सीमित नहीं था। उनकी दौलत के तार विदेशों से भी जुड़े मिले। उनकी विदेश यात्राओं और बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज कई नए सवाल खड़े करते हैं। बच्चों की उच्च शिक्षा के नाम पर विदेश भेजने की कवायद भी उनकी संपत्ति की कहानी का एक अहम हिस्सा है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकंजा

एसीबी की अतिरिक्त महानिदेशक स्मिता श्रीवास्तव के नेतृत्व में यह कार्रवाई जारी है। शुरुआती जांच में ही करोड़ों रुपये की संपत्ति का खुलासा हो चुका है। यह साफ है कि संजय शर्मा ने अपने पद का दुरुपयोग कर सिस्टम को एक व्यापार बना लिया था।

सवालों के घेरे में समाज और सिस्टम

यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति के भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि उस पूरी व्यवस्था का है, जो ऐसे लोगों को बढ़ावा देती है। क्या हम कभी ऐसे सिस्टम से बाहर निकल पाएंगे, जहां ईमानदारी की जगह हवस और लालच को पूजा जाता है?

भ्रष्टाचार के इस खेल का अंत कहां होगा, यह तो आने वाली जांच बताएगी। परंतु, यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए चेतावनी है जो कानून की ताकत को नजरअंदाज करता है। सड़क पर चलने वाले हर वाहन के पहिए के साथ, संजय शर्मा के भ्रष्टाचार की गाड़ी आखिरकार पटरी से उतर ही गई।

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