नॉर्वे के महामहिम क्राउन प्रिंस 2025 में एक बड़े व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत का दौरा करेंगे
नई दिल्ली। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने स्टावर्न स्थित नॉर्वे के ‘मिन्नेहेलन स्मारक’ पर द्वितीय विश्व युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले 86 भारतीय नाविकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज ओस्लो में नॉर्वे के महामहिम क्राउन प्रिंस हाकोन के साथ नॉर-शिपिंग 2025 में भारत मंडप का उद्घाटन किया। यह वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख समुद्री कार्यक्रम है। भारत की इसमें पहली बार भागीदारी हो रही है, जिसका उद्देश्य देश की समुद्री शक्ति को प्रदर्शित करना और अंतरराष्ट्रीय समुद्री कंपनियों के साथ सहयोग को प्रोत्साहित करना है।
भारत मंडप में स्थित स्टॉलों के अवलोकन के दौरान केंद्रीय मंत्री भी महामहिम क्राउन प्रिंस के साथ उपस्थित थे। उन्होंने क्राउन प्रिंस को भारत मंडप का भ्रमण कराया और राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी) का मॉडल भी दिखाया। इसे देखकर क्राउन प्रिंस ने प्रसन्नता व्यक्त की और भारत की समुद्री विरासत की सराहना की। उन्होंने कहा, “भारत का चार हजार वर्ष पुराना समुद्री इतिहास नॉर्वेजियन वाइकिंग परंपरा से भी अधिक पुराना है।”
गुजरात के लोथल में विकसित किया जा रहा यह परिसर सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर आज तक की भारत की समुद्री विरासत को संरक्षित और प्रदर्शित करने का केंद्र होगा।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने कहा “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में भारत एक ऐसी समुद्री यात्रा पर अग्रसर है, जो हमारी समृद्ध विरासत में निहित है और भविष्य के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण ‘विकास भी, विरासत भी’ हमें यह स्मरण कराता है कि आधुनिक बंदरगाहों, जहाजों और डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ-साथ हमें अपने नाविकों और जहाज निर्माण परंपराओं की ज्ञान परंपरा को भी संरक्षित करना चाहिए। भारत का समुद्री अतीत सिंधु घाटी की गोदी से लेकर दक्षिण भारत के मसाला व्यापार तक फैला हुआ है। इसी सोच के अनुरूप हम लोथल में विश्वस्तरीय समुद्री विरासत परिसर का निर्माण कर रहे हैं।”
भारत मंडप की यात्रा के दौरान क्राउन प्रिंस ने भारत की 8 प्रतिशत से अधिक की वार्षिक आर्थिक वृद्धि की प्रशंसा की। उन्होंने इस वर्ष के अंत में एक उच्चस्तरीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत की प्रस्तावित यात्रा की पुष्टि भी की। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने क्राउन प्रिंस को हड़प्पा सभ्यता से प्रेरित एक स्मारक पट्टिका भेंट की और एनएमएचसी के भ्रमण के लिए आमंत्रित किया।
नॉर-शिपिंग इवेंट में भारत मंडप की भागीदारी
नॉर-शिपिंग 2025 में भारत मंडप के तहत कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL), गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE), गोवा शिपयार्ड लिमिटेड, मंडोवी ड्राई डॉक्स और एलएंडटी शिपबिल्डिंग जैसी प्रमुख भारतीय कंपनियाँ भाग ले रही हैं। इनके साथ ही समुद्री क्षेत्र की कई MSME कंपनियां जैसे चौगुले एंड कंपनी, योमन मरीन सर्विसेज, मरीन इलेक्ट्रिकल्स, शॉफ्ट शिपयार्ड, एसईडीएस, स्वान डिफेंस, ब्यूयेंसी कंसल्टेंट्स आदि भी उपस्थित हैं।
भारत-नॉर्वे साझेदारी को लेकर प्रमुख घोषणाएं
केंद्रीय मंत्री ने कहा “हम नॉर्वे को केवल एक आधुनिक समुद्री राष्ट्र नहीं, बल्कि इस यात्रा में एक स्वाभाविक और भरोसेमंद साझेदार के रूप में देखते हैं। आपकी समुद्री विरासत — वाइकिंग लॉन्गशिप से लेकर आर्कटिक अभियानों तक — प्रेरणादायक है। भारत एनएमएचसी के लिए नॉर्वे के साथ सांस्कृतिक, तकनीकी और शैक्षणिक सहयोग पर आधारित व्यापक साझेदारी का प्रस्ताव करता है।”
इस साझेदारी में तीन प्रमुख क्षेत्रों पर बल दिया गया:
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सांस्कृतिक सहयोग – समुद्री कलाकृतियों, अभिलेखीय सामग्री और प्रदर्शनियों का आदान-प्रदान।
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तकनीकी सहयोग – संग्रहालय डिज़ाइन, डिजिटल स्टोरीटेलिंग, स्थिरता और संरक्षण के क्षेत्र में।
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शैक्षणिक और संस्थागत सहयोग – समुद्री पुरातत्व, जहाज निर्माण और संरक्षण विज्ञान में संयुक्त अनुसंधान।
 
विशेष द्विपक्षीय संबंध
भारत और नॉर्वे के बीच विशेष द्विपक्षीय संबंधों को रेखांकित करते हुए मंत्री ने कहा कि नॉर्वे के कई जहाज मालिकों के भारत में कार्यालय हैं और उनके जहाजों पर भारतीय नाविकों की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है। कोचीन शिपयार्ड जैसे प्रतिष्ठानों ने कई बड़े नॉर्वेजियन जहाजों का निर्माण किया है। यह सहयोग समुद्री स्थानिक नियोजन, प्रदूषण नियंत्रण, सुनामी पूर्व चेतावनी प्रणाली और गहरे समुद्र में खनन जैसी पहल तक विस्तारित है।
2019 में स्थापित भारत-नॉर्वे समुद्री अर्थव्यवस्था पर संयुक्त कार्यबल इस क्षेत्र में सतत विकास और नवाचार को बढ़ावा दे रहा है।
‘मिन्नेहेलन स्मारक’ पर श्रद्धांजलि
नॉर्वे के स्टावर्न स्थित ‘मिन्नेहेलन मेमोरियल’ का दौरा करने वाले सर्बानंद सोनोवाल पहले भारतीय मंत्री बने। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए 86 भारतीय नाविकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
“मिन्नेहेलन स्मारक पर जाकर उन बहादुर 94 भारतीय नाविकों को श्रद्धांजलि देना मेरे लिए सम्मान की बात है, जिन्होंने विश्व युद्ध के दौरान बलिदान दिया। उनकी प्रतिबद्धता हमें समुद्री संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की प्रेरणा देती है।”
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय नाविक नॉर्वेजियन जहाजों पर कार्य करने वाले तीसरे सबसे बड़े विदेशी समूह थे। इनमें से अधिकांश पंजाब, बंगाल और गोवा से थे। उनकी स्मृति में नॉर्वे सरकार ने तांबे की पट्टियों पर उनके नाम अंकित कर ‘मिन्नेहेलन मेमोरियल’ में स्थापित किया है। इस स्मारक के तहखाने में लगभग 8000 मृत नाविकों के नाम दर्ज हैं।
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