झीलों की नगरी में ‘पानीदार’ बातें और ‘सूखी’ हकीकत!

उदयपुर। झीलों की नगरी में तीन दिन तक पानी की बातें होंगी—बातें इतनी गंभीर होंगी कि अगर पानी में जान होती, तो खुद शर्म से भाप बनकर उड़ जाता! “वाटर विजन-2047″ नामक इस राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में जल संरक्षण पर ऐसी योजनाएं बनाई जाएंगी कि खुद झीलें भी सोचेंगी—”काश, हमें भी इस योजना का लाभ मिल पाता!”

लेकिन असली जल संकट और जल संरक्षण समझना हो तो किसी दिन सुबह स्मार्ट सिटी में निकल जाइए। कहीं नलों से एक बूंद पानी नहीं टपक रहा होगा, तो कहीं सड़कें बहते पानी से गंगा-जमुना का रूप ले रही होंगी। जल प्रबंधन पर चर्चा होगी, पर जल संरक्षण कब होगा, इस पर चर्चा शायद 2047 तक टल जाए!

मंत्रीगण का ‘ज्ञानवर्षा’ और झीलों के ‘आंसू’
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और अन्य मंत्रीगण जल संरक्षण पर अमृतवाणी प्रस्तुत करेंगे। झीलों के किनारे जल प्रबंधन की बातें होंगी, लेकिन झीलें खुद सोचेंगी—”ये चर्चा पहले क्यों नहीं हुई?” कॉन्फ्रेंस खत्म होते ही मर्सिडीज और फॉर्च्यूनर के काफिले धूल उड़ाते निकल जाएंगे, और जनता फिर से अपनी बाल्टी-बोतल लेकर पानी की लाइन में लग जाएगी!

व्यवस्थाओं का दम-खम, जनता का गुम-शुम!
आईजी और कलेक्टर साहब ने व्यवस्थाओं का जायजा लिया, ताकि कोई यह न कह सके कि “हमें तो बताया ही नहीं था!” मेवाड़ की परंपरा के अनुसार अतिथियों का भव्य स्वागत होगा। जनता के लिए पानी हो न हो, पर मेहमानों की प्लेट में शाही पनीर से लेकर मिनरल वॉटर तक सब कुछ मुहैया रहेगा!

सुरक्षा ऐसी कि जनता पास आने से पहले ही लौट जाए!
आईजी साहब और अन्य अधिकारियों ने सुरक्षा व्यवस्था भी जांची। हालात ऐसे होंगे कि अगर गलती से कोई आम नागरिक इस कॉन्फ्रेंस के करीब पहुंच जाए, तो खुद को अपराधी महसूस करने लगे! पुलिस इतनी मुस्तैद होगी कि पानी की बूंद तक बिना अनुमति के आगे नहीं बढ़ पाएगी।

भव्य आयोजन या पानी में लकीर?
आयोजन जगमंदिर में होगा, जहां अमीरों की महफिलें और खास मेहमानों के लिए खास इंतजाम किए जाएंगे। भोजन, यातायात, सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रोटोकॉल और सुरक्षा पर गहरी चर्चा होगी, ताकि आयोजन ‘भव्य और यादगार’ बन सके। अब देखना यह होगा कि इस कॉन्फ्रेंस से सच में जल संरक्षण की कोई ठोस योजना निकलती है या फिर यह भी सिर्फ ‘पानी में लकीर खींचने’ जैसा साबित होता है!

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