निजामाबाद। तेलंगाना की ऐतिहासिक और उपजाऊ धरती निज़ामाबाद ने एक नया इतिहास रचा जब देश के गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किसान महासम्मेलन में शिरकत करते हुए अनेक घोषणाएं कीं, जो ना सिर्फ़ निज़ामाबाद बल्कि समूचे भारत के किसानों के लिए आशा की नई किरण बनकर उभरीं।
हल्दी की सौंधी ख़ुशबू अब पहुंचेगी दुनिया तक
निज़ामाबाद के किसानों की एक चालीस साल पुरानी मांग आखिरकार पूरी हुई — हल्दी बोर्ड की स्थापना। अमित शाह ने स्पष्ट कहा कि यह वही वादा था जो 2023 में नरेन्द्र मोदी ने किया था और अब उसे पूरा कर दिखाया गया है। इंदूर की धरती पर हल्दी बोर्ड का मुख्यालय स्थापित कर दिया गया है और इसका सीधा लाभ निज़ामाबाद के किसानों को मिलेगा।
अब यह सिर्फ़ ‘हल्दी’ नहीं, बल्कि एक ब्रांड बनेगी — वैश्विक बाज़ार में पहचान पाएगी। हल्दी के औषधीय गुणों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्थापित करने की दिशा में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा। FPOs और स्थानीय किसान संगठनों को इससे न केवल बाज़ार में सशक्त उपस्थिति मिलेगी बल्कि मूल्य निर्धारण की ताक़त भी।
सहकारिता से समृद्धि की ओर
सरकार ने सिर्फ हल्दी बोर्ड तक सीमित न रहते हुए दो और महत्वपूर्ण कोऑपरेटिव्स — नेशनल एक्सपोर्ट कोऑपरेटिव लिमिटेड और नेशनल ऑर्गेनिक कोऑपरेटिव लिमिटेड — की शाखाएं निज़ामाबाद में खोलने की घोषणा की। इन संस्थाओं के माध्यम से भारत अब ऑर्गेनिक हल्दी को अमेरिका, यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे बाज़ारों तक पहुंचाएगा।
पैकेजिंग, मार्केटिंग और निर्यात — इन तीनों स्तरों पर केंद्र सरकार किसानों को वह हर संसाधन उपलब्ध कराना चाहती है जिससे वे बिचौलियों की गिरफ़्त से मुक्त होकर सीधे मुनाफ़ा कमा सकें।
जब वादा निभाने वाला नेतृत्व हो…
अमित शाह ने मंच से दो टूक कहा — “मोदी जो वादा करते हैं, वो निभाते हैं।” यह महज़ नारा नहीं, बल्कि पिछले 10 वर्षों की नीति, नीयत और परिणामों का प्रतिबिंब है। यह बयान राजनीतिक भाषण नहीं, एक सामाजिक-सामरिक भरोसे की पुनर्पुष्टि है।
ऑपरेशन सिंदूर का जवाब पाकिस्तान के चेहरे पर
सम्मेलन के दौरान अमित शाह का स्वर और अधिक तीखा हुआ जब उन्होंने देश की सुरक्षा को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे उड़ी, पुलवामा और हाल ही में पहलगाम जैसे हमलों के बाद भारत ने चुप नहीं बैठकर साहसिक जवाब दिया।
ऑपरेशन सिंदूर, जो हाल ही में पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए चलाया गया, उसका उल्लेख करते हुए उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष किया कि “जो कहते थे भारत को चैन से नहीं सोने देंगे, उनके हेडक्वार्टर को उड़ाने का काम मोदी ने किया।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाने वालों को पाकिस्तान का ‘हुलिया’ देख लेना चाहिए — वही हुलिया जिसमें डर, पराजय और बिखराव साफ़ झलकता है।
नक्सलवाद की उलटी गिनती शुरू
निज़ामाबाद की धरती से गृह मंत्री ने एक और बड़ी घोषणा की — “31 मार्च 2026 से पहले भारत को नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाएगा।” यह कोई चुनावी वादा नहीं बल्कि नीतिगत रणनीति का हिस्सा है।
उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर में 10,000 से अधिक उग्रवादी हथियार छोड़कर लोकतांत्रिक धारा में शामिल हो चुके हैं। 2,000 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। अब बातचीत सिर्फ उन्हीं से होगी जिन्होंने हथियार छोड़ दिए हैं, बाकियों से सख़्ती से निपटा जाएगा।
तेलंगाना के उन क्षेत्रों में जहां अब भी नक्सलियों को पनाह देने की कोशिशें हो रही हैं, शाह ने स्पष्ट चेतावनी दी — “विपक्ष अगर नक्सलियों की ढाल बनने की कोशिश करेगा, तो उसे आदिवासी क्षेत्रों की बर्बादी का हिसाब देना होगा।”
डबल इंजन सरकार ही विकल्प
गृह मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि यदि तेलंगाना को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाना है तो केवल मोदी की डबल इंजन सरकार ही विकल्प है। उन्होंने गिनाया कि कैसे कृषि बजट में एक लाख करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी की गई, हर किसान के खाते में सालाना ₹6,000 जमा किए जा रहे हैं, यूरिया और DAP के दाम नियंत्रित रखे गए हैं और अब हल्दी बोर्ड के ज़रिए एक नई क्रांति की नींव रख दी गई है।
निष्कर्ष: निज़ामाबाद से निकला नया राष्ट्रीय विमर्श
इस किसान महासम्मेलन ने स्पष्ट कर दिया कि भारतीय राजनीति अब परंपरागत वादों की नहीं, क्रियान्वयन की राजनीति बन चुकी है। निज़ामाबाद की जनता ने यह महसूस किया कि देश का नेतृत्व अब गांव, खेत, हल और हल्दी की बात कर रहा है — और केवल बात ही नहीं कर रहा, उन्हें साकार भी कर रहा है।
अमित शाह का भाषण निज़ामाबाद के मंच पर था, मगर उसका संदेश पूरे राष्ट्र के लिए था — सुरक्षा, विकास और स्वाभिमान ही अब भारत की नई राजनीतिक धारा हैं।
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