उदयपुर। उदयपुर के जिला कलेक्टर नमित मेहता इन दिनों सिर्फ हरियाली बढ़ाने में नहीं, बल्कि बारिश में पनपने वाली बीमारियों से ज़िंदगियां बचाने में भी उतनी ही गंभीरता से जुटे हैं। एक ओर मुख्यमंत्री वृक्षारोपण अभियान ‘हरियाळो राजस्थान’ के तहत 38 लाख पौधों का लक्ष्य तय है, तो दूसरी ओर डेंगू जैसी मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम को लेकर भी जिला प्रशासन सक्रिय मोड में है।
38 लाख पौधों का संकल्प, 23 लाख लग चुके
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए मंगलवार को जिले के उपखंड अधिकारियों, विकास अधिकारियों और अन्य विभागीय प्रमुखों के साथ बैठक में कलेक्टर मेहता ने वृक्षारोपण, वित्तीय समावेशन और स्वास्थ्य सुरक्षा पर मंथन किया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री वृक्षारोपण अभियान के अंतर्गत जिले में अब तक 23 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं, जबकि कुल लक्ष्य 38 लाख पौधों का है।
कलेक्टर ने कहा कि “पौधारोपण सिर्फ संख्या नहीं, यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है। हर विभाग को इसमें सक्रिय भूमिका निभानी होगी।”
मेहता ने सभी विभागों को निर्देश दिए कि 24 से 27 जुलाई तक ब्लॉक और ग्राम पंचायत स्तर पर जनजागरूकता अभियान चलाया जाए। इसके अलावा, प्रत्येक पौधे की जियो टैगिंग और फोटोग्राफी अनिवार्य करते हुए पारदर्शिता सुनिश्चित करने की बात कही।
🦟 डेंगू पर कड़ी नज़र : फॉगिंग और जागरूकता दोनों ज़रूरी
बारिश का मौसम अपने साथ डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया जैसी बीमारियां भी लाता है। इस पर नियंत्रण को लेकर कलेक्टर ने साफ निर्देश दिए – “रोकथाम इलाज से बेहतर है।” उन्होंने बताया कि अगले चार दिनों तक शहर में सघन फॉगिंग करवाई जाएगी, और सभी एसडीएम को भी अपने-अपने क्षेत्रों में इस प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
शनिवार को सभी राजकीय कार्यालयों की छतों, कूलरों और परिसर की सफाई, तथा कबाड़ और पानी जमा होने वाली जगहों की जांच कराना अनिवार्य किया गया है।
आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर लोगों को मच्छरजनित बीमारियों के प्रति जागरूक करने के निर्देश भी दिए गए हैं। कलेक्टर नमित मेहता ने कहा- “डेंगू पर नियंत्रण सिर्फ दवाइयों से नहीं, सामूहिक प्रयासों से संभव है।”
पौधारोपण से लेकर पेंशन तक, और डेंगू से रक्षा तक
जिला प्रशासन की यह बहुआयामी रणनीति यह दर्शाती है कि विकास, पर्यावरण और जनस्वास्थ्य को लेकर सरकारी इच्छाशक्ति सक्रिय और संतुलित है। एक ओर जहां ‘हरियाळो राजस्थान’ अभियान से पर्यावरण संरक्षण को गति मिल रही है, वहीं दूसरी ओर वित्तीय योजनाएं गरीबों को आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रही हैं।
सबसे अहम – डेंगू जैसे जानलेवा रोगों से बचाव के लिए समय रहते उठाए जा रहे कदम, यह साबित करते हैं कि प्रशासन सिर्फ योजनाएं बना नहीं रहा, उन्हें ज़मीन पर उतार भी रहा है।
वित्तीय समावेशन शिविर : सामाजिक सुरक्षा के नए आयाम
बैठक का एक और प्रमुख मुद्दा रहा वित्तीय समावेशन और सामाजिक सुरक्षा शिविर, जो 1 से 31 जुलाई तक जिले में चल रहे हैं। जिला कलेक्टर ने जानकारी दी कि 13 लाख से अधिक जनधन खाताधारकों के अतिरिक्त अब 5 लाख नए खाते खोलने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
इसके साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना को जन-जन तक पहुँचाने पर ज़ोर दिया। विशेष रूप से उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि केवल ₹20 प्रीमियम में ₹2 लाख का बीमा गरीब तबके के लिए आर्थिक सुरक्षा कवच बन सकता है।
कलेक्टर ने कहा- “जनधन, बीमा और पेंशन योजनाएं गरीबों के लिए एक ढाल हैं। इनका लाभ हर नागरिक तक पहुँचना चाहिए।”
उन्होंने बैंकिंग अधिकारियों और प्रशासन को निर्देश दिए कि डॉर्मेंट खातों की केवाईसी कराई जाए और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से इन शिविरों की सफलता सुनिश्चित की जाए। साथ ही, इनकी साप्ताहिक समीक्षा भी की जाएगी।
महत्वपूर्ण बैठक में अधिकारीगण भी जुटे
इस रणनीतिक बैठक में अतिरिक्त जिला कलेक्टर (प्रशासन) दीपेंद्र सिंह राठौड़, जिला परिषद सीईओ रिया डाबी, प्रशिक्षु आईएएस सृष्टि डबास, एवं अन्य जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे। कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि इन योजनाओं की ज़मीनी क्रियान्वयन पर सख्त निगरानी रखी जाएगी और प्रत्येक विभाग को समयबद्ध लक्ष्य पूर्ति सुनिश्चित करनी होगी।
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