
आप पढ़ रहे हैं हबीब की रिपोर्ट| उदयपुर
“हम कदम बढ़ाएं – उदयपुर को स्वच्छ बनाएं” जैसी तख्तियां हाथ में लिए जब 2000 से अधिक विद्यार्थी, शिक्षक, किसान, पूर्व विद्यार्थी और नागरिक ढाई किलोमीटर की रैली में शामिल हुए, तो यह केवल एक उत्सव नहीं था—बल्कि एक शिक्षा आंदोलन जैसा दृश्य बन गया।
विद्या भवन की 94वीं स्थापना दिवस रैली ने यह सिद्ध किया कि शिक्षा संस्थान केवल शिक्षण केंद्र नहीं होते, वे समाज को दिशा देने वाली संस्थाएं भी होती हैं।
पद्मविभूषण डॉ. मोहन सिंह मेहता द्वारा 1931 में स्थापित यह संस्था आज भी अपने मूल सिद्धांत — समावेशी, मूल्यनिष्ठ और जनसरोकार से जुड़ी शिक्षा — को पूरी ऊर्जा के साथ जी रही है। और इस वर्ष की रैली इसका सजीव प्रमाण बनी।
रैली का संदेश : तख्तियों में विचार, कदमों में संकल्प

फतेहसागर की ओवरफ्लो पाल से लौटती यह रैली केवल प्रतीकात्मक नहीं थी, बल्कि सामाजिक चेतना का सार्वजनिक प्रदर्शन थी। “शिक्षित नारी – शिक्षित परिवार”, “संवेदनशील समाज की यही पहचान – हर बच्चे को मिले सम्मान और ज्ञान”, “झीलों का लौटाएंगे सम्मान”, “जल बचाएंगे, वायु सुधारेंगे” जैसे संदेशों वाली तख्तियों ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह आयोजन केवल अतीत की स्मृति नहीं, भविष्य की कार्ययोजना भी है।
शहर, शिक्षा और पर्यावरण — इन तीन प्रमुख मुद्दों को एक साथ जोड़ने का यह प्रयास वास्तव में शहरी नागरिकता और छात्र चेतना का नया अध्याय कहा जा सकता है।
जिला प्रशासन की भागीदारी: प्रतीकात्मक नहीं, सहभागी भूमिका

जिला कलेक्टर नमित मेहता द्वारा हरी झंडी दिखाकर रैली को रवाना करना केवल औपचारिक उपस्थिति नहीं थी। उन्होंने अपने संबोधन में उदयपुर की स्वच्छता रैंकिंग (13वां स्थान) को गर्व का विषय बताते हुए “हर नागरिक सप्ताह में एक घंटा अपने शहर के लिए दे” जैसा ठोस सुझाव भी दिया।
यह बयान बताता है कि प्रशासन इस आयोजन को केवल संस्था विशेष का कार्यक्रम नहीं, बल्कि शहर-स्तरीय नागरिक पहल के रूप में देख रहा है। शासकीय और शैक्षणिक भागीदारी का यह समन्वय आज की शिक्षा नीति और नागरिक जुड़ाव के लिए अनुकरणीय है।
आबकारी आयुक्त नकाते शिवप्रसाद : जीवन यात्रा से प्रेरणा का स्रोत

कार्यक्रम में आईएएस नकाते शिवप्रसाद की उपस्थिति और उनका उद्बोधन एक भावनात्मक और प्रेरक पहलू रहा। गांव से आईएएस तक की उनकी यात्रा केवल व्यक्तिगत सफलता की कहानी नहीं थी, बल्कि वंचित तबकों के लिए आशा का संचार भी थी।
उन्होंने कहा कि विद्या भवन का जाति, लिंग, धर्म से ऊपर उठकर शिक्षा का अधिकार देना आज की शिक्षा प्रणाली के लिए आदर्श मॉडल है। उनका यह भी कहना कि “असफलताओं से न डरें, योग और प्राणायाम से मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखें”, रैली को आत्ममंथन और आत्मविकास की दिशा में भी प्रेरित करता है।
संस्था की दृष्टि: 100 साल की ओर बढ़ते कदम

विद्या भवन के अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र कुमार तायलिया द्वारा विश्वस्तरीय नर्सरी स्कूल और स्पोर्ट्स एकेडमी की घोषणा यह दर्शाती है कि यह संस्था अपने गौरवशाली अतीत के साथ-साथ आधुनिकता की ओर भी सजगता से बढ़ रही है।
छह वर्षों में संस्था 100 वर्ष पूरे करेगी, जो न केवल उदयपुर, बल्कि भारत की शिक्षा जगत के लिए भी एक उपलब्धि होगी। यह लक्ष्य केवल तिथि भर नहीं होगा, बल्कि तब तक संस्था को राष्ट्रीय शिक्षा नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में काम चल रहा है, ऐसा संकेत इस कार्यक्रम से मिलता है।
संस्थापक मूल्यों की पुनर्पुष्टि : भूत से भविष्य का पुल

सीईओ राजेंद्र भट्ट और अध्यक्षता कर रहे पूर्व भेल महाप्रबंधक जगदीश आचार्य ने जिस प्रकार डॉ. मोहन सिंह मेहता, कालूलाल श्रीमाली, और दादाभाई बोर्डिया जैसे संस्थापक सदस्यों को स्मरण किया, वह यह दर्शाता है कि संस्था अपने बुनियादी विचारों और नेतृत्व परंपरा को नहीं भूली है।
यह स्मरण केवल औपचारिक नहीं था—बल्कि एक विचारधारा का पुनर्पाठ था, जिससे आज की पीढ़ी को लोकसेवा, सदाचार और आत्मनिर्भरता जैसे मूल्यों से जोड़ा जा रहा है।
शिक्षा से समाज तक—एक गतिशील आंदोलन
94 वर्षों की यात्रा के बाद विद्या भवन की यह स्थापना दिवस रैली एक साधारण परंपरा नहीं, बल्कि जन चेतना और शैक्षिक दृष्टिकोण का संगम बन चुकी है। यह रैली बताती है कि जब शिक्षा संस्थान सामाजिक सरोकारों से जुड़ते हैं, तो वे केवल डिग्रियां नहीं, दिशाएं भी प्रदान करते हैं।

इस आयोजन ने तीन स्पष्ट संदेश दिए—
शिक्षा संस्थानों को समाज के मुद्दों से जोड़ना आवश्यक है।
प्रशासनिक सहभागिता से जनचेतना को दिशा मिलती है।
संस्था की परंपराएं भविष्य निर्माण का आधार बन सकती हैं, यदि उन्हें सक्रिय रूप में जीवित रखा जाए।
यह केवल एक स्थापना दिवस नहीं था, यह एक विचार का उत्सव था — जो उदयपुर के स्वच्छ, शिक्षित, समृद्ध और स्वावलंबी भविष्य का सपना देखता है।
About Author
You may also like
-
151 यूनिट रक्तदान, 501 पौधारोपण : प्रो. विजय श्रीमाली की पुण्यतिथि पर सजीव हुई सेवा की विरासत
-
उदयपुर बालिका गृह में रेप का आरोप : डॉक्टर की मौजूदगी संदिग्ध, बाल आयोग और प्रशासन ने शुरू की जांच
-
जब शिक्षक शोषक बन जाए : चित्तौड़गढ़ के बेगूं के सरकारी स्कूल की घटना और समाज का आत्ममंथन
-
पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाय. चंद्रचूड़ ने वायसरॉय वेदांता रिपोर्ट को बताया ‘मानहानिकारक और अविश्वसनीय’
-
राजस्थान में प्रशासनिक फेरबदल : देर शाम 142 RAS अफसरों के तबादले, कौन कहां गया..देखें सूची