आयड़ नदी पेटे में गलत पौधारोपण पर उठे सवाल, विशेषज्ञों की चेतावनी के बाद पूर्व समिति सदस्य ने प्रशासन को लिखा पत्र

उदयपुर। आयड़ नदी में चल रहे पौधारोपण कार्य को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। पूर्व में झील विकास समिति व वेटलैंड टास्क फोर्स के सदस्य रहे महेश शर्मा ने नगर निगम, जिला प्रशासन व स्मार्ट सिटी प्रबंधन को पत्र लिखकर चेताया है कि नदी के पेटे (फ्लड ज़ोन) में लगाए जा रहे बांस व अन्य पौधे न केवल अस्थायी हैं, बल्कि इनके जीवित रहने की संभावना भी नगण्य है।

शर्मा ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि आयड़ नदी के सौंदर्यीकरण कार्यों के दौरान पूर्व में भी ऐसे ही पौधारोपण प्रयास किए गए थे, लेकिन वे विफल रहे। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पासपोर्ट ऑफिस के पीछे, सुभाष-आयड़ रपट के पास लगाए गए पौधे व सीमेंटेड ट्री गार्ड सामान्य नदी बहाव में ही बह गए थे। अब वह न पौधे दिखते हैं, न ट्री गार्ड।

शर्मा ने दावा किया कि वन विभाग के विशेषज्ञों की राय है कि नदी के पेटे में लगाए जा रहे पौधे वहां की मिट्टी, जल बहाव और प्राकृतिक परिस्थिति के अनुसार उपयुक्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नदी के प्रवाह क्षेत्र में नमी के कारण पौधों की जड़ें जम नहीं पातीं, और जैसे ही बारिश या बहाव आता है, वे बह जाते हैं या सूख जाते हैं।

पत्र के साथ महेश शर्मा ने पूर्व में लगाए गए पौधों और ट्री गार्ड के गायब होने तथा हाल ही में सूखे व फेंके गए पौधों की तस्वीरें भी संलग्न की हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सैकड़ों पौधे अब वहाँ फेंके पड़े हैं, जो दिखाता है कि योजनाएं धरातल पर पूरी तरह से असफल रही हैं।

सुझाव : पौधारोपण नदी के ऊंचे किनारों पर हो
पूर्व समिति सदस्य ने सुझाव दिया है कि पौधारोपण का कार्य नदी के ऊंचे किनारों पर किया जाए, जिससे पौधे स्थायी रूप से विकसित हो सकें और बहाव से सुरक्षित रहें। उन्होंने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप करने और मौजूदा पौधारोपण प्रक्रिया की समीक्षा करने की मांग की है।

नगर निगम व स्मार्ट सिटी प्रबंधन की प्रतिक्रिया का इंतजार

इस विषय में नगर निगम व स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, पर्यावरण कार्यकर्ताओं व स्थानीय जागरूक नागरिकों का मानना है कि यदि समय रहते पौधारोपण की दिशा और स्थान पर पुनर्विचार नहीं किया गया, तो सार्वजनिक धन और प्रयास दोनों व्यर्थ होंगे।

 

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