
फोटो : कमल कुमावत
उदयपुर। झीलों की नगरी उदयपुर इस बार पर्यटन सीजन में एक नए रूप में नजर आ रही है। दिवाली के बाद शहर में देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की आमद लगातार बढ़ी है — सिटी पैलेस, जगदीश चौक, फतहसागर और पिछोला झील से लेकर नाथद्वारा तक हर जगह रौनक है। भीड़ के बावजूद इस बार सबसे सुखद बदलाव ट्रैफिक सिस्टम में देखा जा रहा है। प्रमुख चौराहों और पर्यटन स्थलों के आसपास ट्रैफिक का प्रवाह व्यवस्थित है, वाहन जाम में फंसे बिना आसानी से गुजर रहे हैं।
इस बदलाव की सबसे बड़ी बात यह है कि पुलिस ने चालान काटे बिना ही लोगों में ट्रैफिक अनुशासन की भावना जगाई है। जगह-जगह तैनात जवान सिर्फ सख्ती नहीं दिखा रहे, बल्कि लोगों को ट्रैफिक सेंस सिखा भी रहे हैं—कहां रुकना है, कैसे मोड़ लेना है और किन रास्तों पर पार्किंग निषिद्ध है। इस सकारात्मक प्रयास का असर साफ दिख रहा है—स्थानीय लोग और पर्यटक, दोनों ही सहज अनुभव कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार संजय गौतम के साथ सिटी राउंड में हमने भी इस बात को महसूस किया है।
कलेक्टर नमित मेहता और एसपी योगेश गोयल के नेतृत्व में प्रशासन की यह कोशिश व्यापक सराहना पा रही है। सिटी फीडबैक यही कहता है कि इस बार पुलिस और प्रशासन दोनों “पेनल्टी नहीं, समझदारी” के सिद्धांत पर काम कर रहे हैं।

फतहसागर झील के किनारे लगी पुलिस गश्त, पिछोला के पास बनाए गए नए ट्रैफिक डाइवर्जन और सिटी पैलेस रोड पर पार्किंग प्रबंधन की व्यवस्था ने इस बदलाव को और मजबूती दी है। यहां तक कि आमजन के सहयोग से नाथद्वारा, सहेलियों की बाड़ी, सज्जनगढ़ और बड़ी तालाब की ओर जाने वाले रास्तों पर भी जाम की समस्या अब पहले जैसी नहीं रही।
पर्यटन विशेषज्ञों का कहना है कि उदयपुर जैसे शहर में ट्रैफिक अनुशासन खुद एक पर्यटन अनुभव बन सकता है। स्वच्छता की तरह “ट्रैफिक मैनेजमेंट टूरिज्म” भी शहर की पहचान बन सकता है।
हालांकि, सुधार की गुंजाइश अभी भी बाकी है। प्रशासन चाहे तो स्काउट-गाइड, एनसीसी कैडेट्स और कॉलेज वॉलंटियर्स की मदद से यातायात व्यवस्था को और सुदृढ़ बना सकता है। यह युवा वर्ग न सिर्फ दिशा-निर्देशन में मदद कर सकता है, बल्कि विदेशी और बाहरी पर्यटकों को भी बेहतर मार्गदर्शन दे सकता है।
इसके अलावा, मानसून पैलेस, उदयसागर झील, सज्जनगढ़ व वन विहार क्षेत्रों में ट्रैफिक हेल्प डेस्क, डिजिटल साइन बोर्ड, और सेफ्टी जोन की शुरुआत की जाए तो यह मॉडल पूरे राजस्थान के लिए एक उदाहरण बन सकता है।
निष्कर्षतः, इस सीजन में उदयपुर पुलिस और प्रशासन ने जो पहल की है, वह शहर की खूबसूरती में और इज़ाफ़ा करती है। यह दिखाता है कि ट्रैफिक सुधार केवल दंड से नहीं, बल्कि संवाद और समझ से भी संभव है।
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