उदयपुर। राजस्थान जैसे जल संकट से जूझते प्रदेश में अगर कोई उद्योग पानी बचाने की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है, तो वह है हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड। पिछले दस वर्षों में कंपनी ने 71 अरब लीटर यानी 71 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी को रीसाइकल करके यह साबित कर दिया है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं। इस प्रयास से शुद्ध जल पर निर्भरता 28 प्रतिशत तक घट गई है, जो उदयपुर शहर की लगभग 500 दिनों की जल खपत के बराबर है।
2014 में राजस्थान सरकार के साथ साझेदारी (PPP मॉडल) में उदयपुर का पहला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) शुरू किया गया। आज इसकी क्षमता 60 एमएलडी तक पहुँच चुकी है। इस प्लांट से ट्रीट किया गया पानी न सिर्फ कंपनी के औद्योगिक कार्यों में काम आता है, बल्कि इससे शहर की झीलों को प्रदूषण से बचाने, स्थानीय जल संसाधन को संरक्षित करने और लोगों को अधिक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में भी मदद मिलती है।
यह पहल एक संदेश देती है कि सीवेज को बोझ नहीं बल्कि जल संसाधन का नया स्रोत बनाया जा सकता है।
जल सकारात्मक कंपनी की पहचान
हिन्दुस्तान जिंक 3.32 गुना वाटर पॉजिटिव कंपनी है। इसका मतलब है कि कंपनी जितना पानी लेती है, उससे कहीं अधिक पानी वापस प्रकृति और समाज को देती है।
कंपनी जीरो एफ्लुएंट डिस्चार्ज नीति पर काम करती है।
सभी प्रक्रियाओं में पानी का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण होता है।
स्थानीय पारिस्थितिकी और समुदायों के लिए पानी की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।
सीईओ अरुण मिश्रा के शब्दों में –
“जल एक साझा विरासत है। हम 2030 तक शुद्ध जल के उपयोग को 50 प्रतिशत तक कम करने और स्मेल्टिंग में 100 प्रतिशत निम्न-गुणवत्ता वाले पानी के पुन: उपयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
पानी बचाने की नई तकनीकें
रामपुरा आगुचा खदान में 4 हजार किलोलीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला नया वाटर ट्रीटमेंट प्लांट शुरू किया गया।
सभी खदानों और संयंत्रों में अत्याधुनिक एफ्लुएंट ट्रीटमेंट सुविधाएँ लगाई गई हैं।
ट्रीटेड पानी का उपयोग औद्योगिक प्रक्रियाओं, धूल नियंत्रण और खदान संचालन में किया जाता है।
सामुदायिक लाभ और वैश्विक मान्यता
इस पहल का सबसे बड़ा लाभ स्थानीय समुदाय को मिला है। ट्रीटेड पानी के उपयोग से शुद्ध पेयजल स्रोतों पर दबाव कम हुआ है, जिससे ग्रामीण और शहरी आबादी को अधिक साफ पानी उपलब्ध हो रहा है।
साथ ही, हिन्दुस्तान जिंक को लगातार दूसरी बार दुनिया की सबसे सस्टेनेबल माइन एंड मेटल कंपनी का दर्जा मिला है और यह इंटरनेशनल काउंसिल ऑन माइनिंग एंड मेटल्स (ICMM) की सदस्य बनने वाली भारत की पहली कंपनी है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह पहल?
भारत में जल संकट तेजी से बढ़ रहा है। राजस्थान जैसे रेगिस्तानी राज्य में तो हर बूंद का महत्व है। ऐसे में हिन्दुस्तान जिंक का यह प्रयास दिखाता है कि— उद्योग भी जल बचत के वाहक बन सकते हैं। रीसाइकल और पुन: उपयोग भविष्य की सबसे अहम रणनीति है।
“पानी बचाना” सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि विकास का हिस्सा होना चाहिए।
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